- सुशांत सिंह राजपूत के आत्महत्या करने के बाद ऑफिस बुलिग की चर्चा हो रही है
- इसका मतलब होता है कि काम करने की जगह पर आपको किसी तरह प्रताड़ित किया जाए
- इसका मतलब होता है कि काम करने की जगह पर आपको किसी तरह प्रताड़ित किया जाए
बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत के सुसाइड करने की खबर सुनने के बाद सभी लोग सकते में आ गए हैं। इस हादसे ने तमाम लोगों के जहन में मानसिक तनाव, नेपोटिज्म और प्रताड़ना जैसे कई मुद्दों को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं। सोशल मीडिया पर अवसाद, नेपोटिज्म और खासकर प्रताड़ना जैसे मुद्दों पर पोस्ट या तो लिखी जा रही है या साझा की जा रही है।
हालांकि, स्कूल में प्रताड़ना (bullying) पर अक्सर बातचीत होती रहती है लेकिन जब बात ऑफिस या कार्यस्थल पर प्रताड़ित करने की हो, तो उस समय इस पर कोई चर्चा नहीं की जाती है। जी हां, स्कूल ही नहीं बल्कि कई काम वाली जगहों पर भी लोगों को प्रताड़ित किया जाता है। फिनिक्स यूनिवर्सिटा के डॉ. ज्यूडी लिन फिशर ने हाल ही में इस विषय पर एक रिसर्च की है। इस रिसर्च के अनुसार 75 फीसदी लोग अपने कार्यस्थल पर प्रताड़ना का शिकार होते हैं।
"वर्कप्लेस बुलिंग: एग्रेसिव बिहेवियर एंड इट्स इफेक्ट ऑन जॉब सैटिस्फैक्शन एंड प्रोडक्टिविटी" नाम के अध्ययन में कार्यस्थल में प्रताड़ना से जुड़े कुछ हैरान करने वाले तथ्यों के बारे में बताया गया है।
क्या है वर्कप्लेस बुलिंग (workplace bullying)?
वर्कप्लेस बुलिंग का मतलब है जिस जगह या ऑफिस में आप काम कर रहे हैं उस जगह पर आपके सहयोगी या बॉस आपको किस तरह से परेशान करते हैं। सामान्य शब्दों में कहें तो इसका ये मतलब हुआ कि आपके कार्यस्थल पर आपके साथ काम करने वाले लोग या आपके बॉस से व्यवहार से आप किस हद तक परेशान होते हैं। प्रताड़ना सिर्फ मानसिक ही नहीं बल्कि शारीरिक भी हो सकती है। लेकिन वर्कप्लेस बुलिंग को इसलिए ज्यादा ख़तरनाक कहा गया है ये पीड़ित व्यक्ति के मनोवैज्ञानिक स्तर पर ज्यादा असर डालती है।
डॉ. ज्यूडी लिन फिशर की रिसर्च के मुताबिक, वर्कप्लेस में शारीरिक उत्पीड़न और यौन शोषण की तरह प्रताड़ना भी आम हो गई है। हीरानंदानी अस्पताल के मनोचिकित्सक डॉ. केदार तिल्वे के अनुसार, कार्यस्थल पर किसा व्यक्ति को जानबूझकर उकसाना, बहिश्कार करना या किसी जरूरी प्रोजेक्ट्स पर जानबूझकर नज़रअंदाज़ करना, प्रताड़ना करने के समान ही है। कार्यस्थल पर ऐसा व्यवहार पीड़ित को गहरे अवसाद में ला सकता है।
कौन होते हैं प्रताड़ना का शिकार?
फोर्ब्स में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, कार्यस्थल में वे लोग ज्यादा प्रतााड़ित किए जाते हैं- जो लोग अपने काम में कुशल हों, बेहतर EQ वाले हों या तकनीकी रुप से मजबूत हों। विशेषज्ञों के अनुसार, जो लोग इकोसिस्टम में फिट होते हैं, वे अक्सर कार्यस्थल की बदमाशी के शिकार हो जाते हैं। कई लोग इसलिए भी प्रताड़ना के शिकार होते हैं कि वे दूसरों से आगे निकलने की क्षमता रखते हैं।
प्रताड़ित करने वाले लोग कौन होते हैं?
अक्सर ये देखा गया है कि आपके सहयोगी ही ऐसा करते हैं। जब वे खुद को कम सक्षम महसूस करते हैं और जानते हैं कि वे अपने दम पर जीत सकते हैं, तो वे उन लोगों को धमकाने का सहारा लेते हैं, जिन्हें वे अपने लिए ख़तरा मानते हैं। हालांकि, प्रताड़ित करने वाला कोई एक व्यक्ति ही नहीं बल्कि लोगों का समूह भी हो सकता है। कार्यस्थल में भी प्रताड़ित करने वाले लोगों को ऐसे लोगों का समर्थन मिलता रहता है, जो उनके करीबी होते हैं। ऐसे लोग अपने अपने से ज्यादा सक्षम लोगों की असफलता पर ज्यादा खुश होते हैं।
कार्यस्थल में हो रही प्रताड़ना को कैसे रोका जाए?
हालांकि, ये सबसे बड़ा और अहम सवाल है कि कार्यस्थल पर हो रही प्रताड़ना को कैसे रोका जाए। कार्यस्थल में काम करते हुए सभी नियमों में बंधे होते हैं। एक्सपर्ट्स के मुताबित, अक्सर जो लोग प्रताड़ना करते हैं, वे खुद भी अपने बचपन में किसी प्रताड़ना का शिकार हो सकते हैं। हालांकि, कार्यस्थल पर ऐसी शिकायत करना आसान नहीं है, लेकिन पीड़ित व्यक्ति प्रताड़ना करने वाले व्यक्ति का सामना करके उसे ये बता सकता है कि वह उसके व्यवहार से परिचित है। हालांकि, इसके लिए कार्यस्थल में भी सख्त नियम होने चाहिए। साथ ही, लोगों को ऐसी घटनाओं की रिपोर्ट करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए और उन्हें यह आश्वासन दिया जाना चाहिए कि उनका पूरा साथ दिया जाएगा।