मुख्य बातें
- बच्चों को दोस्ती के बारे में जरूरी बातें बतानी चाहिए
- दोस्ती में उदारता बहुत जरूरी है, दोस्त को अपना साथ दें
- बच्चों को बताएं कि दोस्ती में कोई अमीर-गरीब नहीं होता
पहले का वक्त कुछ और था जब जॉइंट फॅमिली में आपका बच्चा परिवार के हर सदस्य से कुछ न कुछ सीखता था, लेकिन अब ये जिम्मेदारी आपके कंधों पर आ गई है। अच्छी परवरिश का एक हिस्सा ये भी है कि आप आपने लाडले को दोस्त बनाना और दोस्ती के मूलमंत्र बताना न भूलें। अपने बच्चों को दोस्ती के ये 5 पाठ जरूर सिखाएं।
- दोस्त के प्रति उदार बनें : आजकल के जीवन में ये जैसे खत्म होता जा रहा है। बच्चों की क्या बात करें, आज तो बड़े भी एक-दूसरे से उदारता दिखाना भूल चुके हैं। सबको अपनी पड़ी है। अपने बच्चों की अच्छी परवरिश करना चाहते हैं, तो उन्हें उदार बनना सिखाएं। दोस्ती में इसकी बड़ी आवश्यकता है।
- दोस्तों की मदद करें : संसार में हर किसी की मदद करनी चाहिए। कई बार आपने खुद भी जीवन में महसूस किया होगा कि आपकी मदद कोई अनजान कर गया, जिसे आप जानते भी नहीं थे। दोस्ती में एक-दूसरे का हाथ पकड़कर हर मुश्किल को पार करना बहुत जरूरी है। मुश्किल दौर में दोस्त को बीच मझधार में छोड़ना दोस्ती नहीं है. अपने बच्चों को इसके बारे में बताएं।
- परेशान न करें और नीचा न दिखाएं : आजकल सिर्फ बड़े ही नहीं बल्कि बच्चे भी दूसरे बच्चों को बुली करना और उन्हें नीचा दिखाने में पीछे नहीं हटते। आपके बच्चे की नींव के लिए ये ठीक नहीं। उसे ये बताएं कि ऐसा करना उसके लिए ठीक नहीं। दोस्ती में कोई अमीर या गरीब नहीं होता। किसी को परेशान करना मानवता नहीं है।
- समय के अनुसार दोस्त बदलते रहते हैं : बहुत कम लोगों के साथ होता है कि जो दोस्त स्कूल में हो वो सारी उम्र ही गहरा दोस्त बना रहे। अक्सर समय के साथ दोस्त बदलते रहते हैं। अपने बच्चे को इसके बारे में बताएं। अक्सर स्कूल बदलने, शहर बदलने पर बच्चों से जब उनके दोस्त बिछड़ते हैं, तो वो बहुत दुखी हो जाते हैं। ऐसे समय पर आपका दायित्व बनता है कि आप उन्हें दोस्ती का ये पाठ अवश्य सिखाएं। इससे उनका मनोबल बढ़ेगा। वो जीवन की सच्चाई से वाकिफ होंगे।
- छोटे-मोटे झगड़े चलते हैं : दोस्ती में नोक-झोंक होती रहती है। छोटे-मोटे झगड़े चलते हैं, इससे दोस्ती तोड़ने की कोई जरुरत नहीं है। कुछ दिन बाद फिर से उन सब चीजों को भुलाकर अच्छे दोस्त मिल जाते हैं। इन छोटे-मोटे रोड़े को अपनी दोस्ती का पत्थर नहीं बनने देते। जब आप अपने बच्चे को ये बताएंगे, तब वो इससे सीख लेकर दोस्ती में वैसा ही करेगा। किसी को अपना दुश्मन नहीं बनेगा।
इस बात का हमेशा ध्यान रखिए कि बच्चा आपके जीवन को भी बड़ी बारीकी से देखता है। वो वैसा ही करने की कोशिश भी करता है। इसलिए आप खुद भी दोस्ती के इन पाठों को एक बार फिर से दोहरा लें।