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जब गंगा-जमुनी तहजीब की पहचान बन गया पीलीभीत, कभी 'टाइगर' के नाम से था मशहूर

साइम इसरार | Senior Social Media Journalist
Updated Oct 07, 2021 | 15:32 IST

Pilibhit Ganga-Jamuni Tehzeeb: पश्चिमी उत्तर प्रदेश का शहर पीलीभीत जो नदी, नहर और जंगल को लेकर मशहूर है। इस शहर में गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल देखने को मिलती है।

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Pilibhit town (सभी तस्वीर PILIBHIT NIC से साभार )

नई दिल्ली:  उत्तराखंड की सीमा से सटा हुआ पश्चिमी उत्तर प्रदेश का शहर जो नदी, नहर और जंगल को लेकर मशहूर है। वह शहर जो टाइगर के नाम से मशहूर है और जिसका इतिहास से एक पुराना नाता रहा है। आज हम यूपी के ऐसी ही शहर की बात करेंगे। यह शहर पश्चिमी उत्तर प्रदेश का पीलीभीत है।

पीलीभीत अपने आप में एक ऐतिहासिक शहर के रूप में पहचान रखता है। यहां की कई जानी-मानी हस्तियां दुनिया भर में अपना नाम रोशन कर चुकी हैं। वैसे इस शहर का इतिहास बहुत पुराना है। पीलीभीत का नाम पीलीभीत इसलिए पड़ा क्योंकि इस शहर के चारों तरफ एक दीवार थी जो सुरक्षा के लिहाज से बनाई गई थी। इस दीवार का रंग पीला था, इसलिए इसे पीलीभीत कहा जाने लगा। साल 1801 में जब अंग्रेजों ने रोहिलखंड पर कब्जा किया तो उस वक्त कई सारे बदलाव हुए। 1879 में इस  इलाके को 1 जिले का रूप दे दिया गया।

गौरी शंकर मंदिर

शहर में कई ऐतिहासिक इमारतें भी मौजूद हैं, जैसे गौरी शंकर मंदिर शहर के खाकरा मोहल्ले में मौजूद है। इस मंदिर में हनुमान जी, भैरव, दुर्गा और गणेश जी की मूर्तियां लगी हुई हैं। मंदिर पर शानदार नक्काशी की गई है जो पुराने इतिहास को पीलीभीत से जोड़ती है। दूर-दूर से इस मंदिर को देखने के लिए लोग आते हैं। इस मंदिर की विशेषता यह है कि इसके द्वार को एक मुस्लिम द्वारा बनवाया गया था जो इस शहर की संस्कृति यानी कि जो गंगा-जमुनी तहजीब के बारे में बताता है। यह मंदिर ढाई सौ साल पुराना माना जाता है और इस मंदिर से जुड़ी कई मान्यताएं भी हैं।

पीलीभीत की जामा मस्जिद 

पीलीभीत के अंदर एक और गौरवशाली धर्म स्थल है जो इसको इतिहास से जोड़ता है। दिल्ली की जामा मस्जिद की तरह हूबहू एक छोटी सी जगह में बनी मस्जिद है जिसका नाम जामा मस्जिद है। इसका निर्माण रोहिल्ला नवाब हाफिज रहमत खां ने करवाया था। कहा जाता है कि हाफिज रहमत खान का यह 'ड्रीम प्रोजेक्ट' था कि जो लोग दिल्ली की जामा मस्जिद अगर नहीं देख सकते तो आकर पीलीभीत की जामा मस्जिद देखें, उन्हें वही एहसास पीलीभीत में महसूस हो जाएगा।

मस्जिद के प्रवेश द्वार पर ही नक्काशी का बेहद शानदार नमूना दिखाया गया है। मोटी-मोटी लकड़ी के बड़े-बड़े दरवाजे इसकी खूबसूरती और ज्यादा बढ़ा देते हैं। मस्जिद के द्वार पर एक मजार है। यह मजार मस्जिद के पहले इमाम और दरवेश हाफिज नूरुद्दीन गजनबी का है। उनका इस मस्जिद में एक अहम योगदान माना जाता है। सुनसान क्षेत्र में जब यह मस्जिद बनाई गई थी तब इस मस्जिद की जिम्मेदारी इन्हीं के कंधों पर थी। 

ऐतिहासिक गुरुद्वारा 

सिख समुदाय के धार्मिक स्थल के रूप में एक ऐतिहासिक गुरुद्वारा भी है जिस की मान्यता दूर-दूर तक है। बाहर से हजारों लोग यहां दर्शन के लिए आते हैं। 400 साल पुराना यह गुरुद्वारा पीलीभीत रेलवे स्टेशन से मात्र 2 किलोमीटर दूर है। इस गुरुद्वारे की मान्यता यह है कि जब गुरु गोविंद सिंह जी उत्तराखंड स्थित नानकमत्ता साहिब जा रहे थे तब पीलीभीत के इस गुरुद्वारे पर रुक कर उन्होंने विश्राम किया था, जो इस गुरुद्वारे का महत्व को और बढ़ा देता है। सिख समुदाय के अंदर इस गुरुद्वारे को एक विशेष दर्जा हासिल है। यही कारण है कि इस गुरुद्वारे पर सभी धर्मों के लोग आते हैं। इस गुरुद्वारे की स्थापना भी गुरु गोविंद सिंह जी ने ही की थी। सिख समुदाय के छठे गुरु श्री हरगोविंद सिंह जी की याद में इस गुरुद्वारे की स्थापना की गई और इसका नाम छठवीं पातशाही गुरुद्वारा रखा गया। 

शाहजी मियां का मजार

पीलीभीत में एक संत विराजमान हैं जो पूरी दुनिया के अंदर अपनी पहचान रखते हैं। मानव कल्याण के कामों में अपनी पूरी जिंदगी देने वाले फकीराना जिंदगी जीने वाले शाहजी मोहम्मद शेर मियां का मजार भी पीलीभीत में है। इस मजार को सभी धर्मों के लोग मानते हैं। हिंदू मुस्लिम,सिख, ईसाई सभी समुदाय के लोग इस मजार पर हाजिरी देते हैं। मजार पर 24 घंटे लंगर की व्यवस्था है, यानी कि गरीब लोग आकर खाना खा सकते हैं। 

यशवंती देवी का मंदिर

पीलीभीत शहर के कचहरी रोड स्थित नकटा दाना चौराहा जो अपने आप में ऐतिहासिक रहा है। उसी चौराहे के पास है यशवंती देवी का मंदिर। इस मंदिर का इतिहास बेहद पुराना है। कई सौ साल पहले यशवंती देवी के मंदिर की स्थापना हुई। ऐसा कहा जाता है की उस इलाके में नकता नाम का एक दानव रहा करता था, जिसने हजारों लोगों को परेशान कर रखा था। वहां से निकलने वाले लोगों को वह मारता-डराता और धमकाता था। उससे परेशान होकर कई लोगों ने अपने प्राण त्याग दिए थे। तब मां यशवंती देवी ने अवतार लेकर उसका वध किया और क्षेत्र के लोगों को राहत दिलाई थी। आज भी इस मंदिर में हजारों लोग अपनी मन्नतें मांगने जाते हैं।

शिव धाम मंदिर

महादेव का मंदिर पीलीभीत की शोभा को और बढ़ा देता है। यशवंती देवी के निकट ही मंदिर भव्य बना हुआ है। शिव धाम मंदिर आने वाले भक्तों के दर्शन के लिए एक खास जगह मानी जाती है। इस मंदिर का बहुत बड़ा महत्व है। इस मंदिर में एक विशाल पीपल का पेड़ है जिसे देखने और जल चढ़ाने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। कहा यह जाता है कि जो इस पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाएगा उसको पीपल के पत्तों के बराबर शक्तियां मिल जाएंगी। 

चूका बीच 

पीलीभीत में आप कुदरत के खूबसूरत नजारे भी देख सकते हैं। जंगल और पानी की भरपूर मात्रा इस क्षेत्र की खूबसूरती को और ज्यादा बढ़ा देती है। शारदा नदी क्षेत्र के लिए विशेष महत्व रखती है।  यह नदी जंगलों के बीच से होती हुई निकल रही है जो कुदरत का खूबसूरत नजारा दिखाती है। यही वजह है कि जंगलों के बीचोबीच शारदा नदी और शारदा कैनाल के बीच की जगह को बेहतरीन तरीके से इस्तेमाल किया गया है। इसे पर्यटक स्थल के तौर पर विकसित किया गया है। इस पर्यटक स्थल का नाम चूका बीच रखा गया है। लकड़ी की शानदार कारीगरी से बनी हुई झोपड़ियों में सुकून का वक्त बिताने के लिए लोग दूर-दूर से यहां पहुंचते हैं। सरकार ने भी इसे पर्यटक स्थल को बेहतर बनाने के लिए कई सारे प्रयास किए हैं। पर्यटकों को अपनी तरफ खींचने के लिए टाइगर रिजर्व जैसा खूबसूरत गेट बनाया गया है, वहां से गाड़ी द्वारा जंगल घुमाने की व्यवस्था भी की गई है। खुली जीप में बैठकर आप जंगल का आनंद ले सकते हैं।

(सभी तस्वीर PILIBHIT NIC से साभार )