- एक भावनात्मक दुरुपयोग माना गया है गैसलाइटिंग।
- रिश्ते में एक पक्ष मानसिक रूप से प्रताड़ित महसूस करता है।
- वहीं दूसरा पक्ष सामने वाले पर हावी होने की कोशिश करता है।
What Is Gaslighting, What Are It's Affect And How To Identify You Are A Victim: मनोविज्ञान में गैसलाइटिंग एक खास शब्द है जिसका इस्तेमाल आजकल बढ़ता जा रहा है। गैसलाइटिंग शब्द आजकल रिश्तों को परिभाषित करने के लिए उपयोग किया जा रहा है। मनोवैज्ञानिक यह मानते हैं कि, रिश्ते में अगर पहला व्यक्ति छल का इस्तेमाल करते हुए दूसरे व्यक्ति के ऊपर हावी होने की कोशिश करता है और उसके वास्तविकता, पसंद और फैसलों पर सवाल करता है तो इसे गैसलाइटिंग कहते हैं। आपने अपने आसपास ऐसे कई लोगों को देखा होगा जो अपने पार्टनर का भावनात्मक दुरुपयोग करते होंगे। ऐसे में जो व्यक्ति गैसलाइटिंग का शिकार होता है वह अंदर से टूट जाता है और प्रताड़ित महसूस करता है। यहां जानिए गैसलाइटिंग क्या होता है, आप इसका शिकार कैसे बन रहे हैं और रिश्ते पर इसका असर कैसे पड़ता है।
क्या है गैसलाइटिंग?
न्यूपोर्ट इंस्टिट्यूट के अनुसार, गैसलाइटिंग एक तरह का मैनिपुलेशन है जिसमें पहला व्यक्ति तरह-तरह के हथकंडे अपनाकर अपने पार्टनर को यह विश्वास दिलाने की कोशिश करता है कि उसके साथ जो हो रहा है वह गलत है या फिर उनके द्वारा लिए गए फैसले या उनकी पसंद गलत है। उदाहरण के तौर पर, आपके सबूत दिखाने पर भी पहला व्यक्ति उसे झूठा साबित करे। कई बार ऐसा भी होता है कि मैनिपुलेट करने वाला व्यक्ति यह बार-बार जताने की कोशिश करता है कि कोई इवेंट हुआ ही नहीं है और वह आपके याददाश्त पर शक करता है।
कई बार यह भी देखा गया है कि मैनिपुलेट करने वाला व्यक्ति आपके बारे में अफवाहें फैलाता है और आपसे यह कहता है कि लोग आपके बारे में ऐसी बातचीत करते हैं। ऐसे व्यक्तियों का जब सच सामने आता है तो वह उसे ठुकरा देते हैं और आपको गलत साबित करने में जुट जाते हैं। कभी-कभार यह ऐसे भी रिएक्ट करते हैं जैसे आप किसी बात का बतंगड़ बना रहे हों या ओवररिएक्ट कर रहे हों।
क्या हैं गैसलाइटिंग के संकेत?
आप गैसलाइटिंग का शिकार हो रहे हैं इसके बहुत सारे संकेत हैं जिनमें से कुछ आम संकेत यहां दिए गए हैं।
1. किसी भी चीज की वास्तविकता को लेकर खुद पर ही शक करना।
2. अपने निर्णय और धारणाओं पर ही सवाल उठाना।
3. असुरक्षित महसूस करना।
4. शक्तिहीन महसूस करना।
5. किसी के कहने पर अपनी वास्तविकता पर सवाल खड़े करना।
6. खुद से निराश रहना और यह सोचना कि आपमें कई बदलाव आ गए हैं।
7. भ्रमित महसूस करना।
8. इस बात की चिंता करना कि आप संवेदनशील हो गए हैं।
9. माफी मांगते रहना।
10. अपर्याप्त महसूस करना।
11. यह सोचना कि आप से लोग नाराज हैं।
12. खुद की ही कमी निकालना।
13. खुद पर भरोसा ना करने की वजह से फैसले लेने में देरी करना।
इस परिस्थिति से खुद को कैसे बाहर निकालें?
गैसलाइटिंग से छुटकारा पाना थोड़ा मुश्किल हो सकता है लेकिन कुछ टिप्स की मदद से आप इस परिस्थिति से बाहर आ सकते हैं।
1. सबसे पहले इस बात का पता लगाएं कि आपके साथ जो हो रहा है वह गैसलाइटिंग है या नहीं।
2. अगर आप गैसलाइटिंग के शिकार हैं तो अपने लिए थोड़ा स्पेस बनाएं।
3. सबूत इकट्ठा करें।
4. अपने व्यवहार और खुद के लिए आवाज उठाएं।
5. कॉन्फिडेंट रहें और किसी चीज को लेकर आप सही हैं तो अपने लिए स्टैंड लें।
6. सेल्फ केयर पर ध्यान दें।
7. इस परिस्थिति से बाहर निकलने के लिए किसी की मदद भी ले सकते हैं।
8. अगर समस्या थोड़ी कठिन नजर आ रही है तो प्रोफेशनल सपोर्ट जरूर लें।
गैसलाइटिंग से रिश्ते पर कैसा पड़ता है असर?
गैसलाइटिंग का शिकार व्यक्ति खुद में ही बहुत सारी चीजों से लड़ रहा होता है ऐसे में उसके लिए डोमिनेटिंग पार्टनर से रिश्ता रख पाना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में रिश्ते में भरोसे की कमी आने लगती है और इस परिस्थिति से जूझ रहे व्यक्ति कोई भी फैसला लेने में संकोच करते हैं। ऐसे व्यक्ति रिश्ते में अपनी आवाज उठाने की भी जरूरत महसूस नहीं करते हैं। इससे ना ही सिर्फ रिलेशनशिप में बल्कि सामाजिक जीवन में भी प्रभाव पड़ सकता है। जो व्यक्ति गैसलाइटिंग का शिकार होते हैं वह अपने मित्रों और परिवार से भी दूरी बनाने लगते हैं। ऐसे में अस्थिरता की भावना भी पैदा होती है।