- पांच साल में भारत में 12 फीसदी बढ़ी कैंसर मरीजों की संख्या
- वृद्धों पर पर हो रहा इसका अधिक प्रभाव
- समय पर पता चल जाए तो इलाज मुमकिन है
नई दिल्ली: कित्सा विज्ञान ने आज के दौर में बहुत तरक्की कर ली है और लगातार समुन्नति की ओर अग्रसर है। कैंसर जैसी बीमारी के क्षेत्र में सर्वाधिक शोध की जाती है जिसका परिणाम यह है की वक़्त रहते किसी भी तरह के कैंसर का पता चलने पर इलाज मुमकिन हो गया है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आज भी सबसे ज़्यादा लोग कैंसर से क्यों ग्रसित हैं? यदि बंगलुरू के नेशनल सेंटर फॉर डिसीज इंफॉर्मेटिक्स एंड रिसर्च(NCDIR) और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) की माने तो भारत में कैंसर के मरीजों की संख्या अचानक बढ़ने लगी है और आने वाले 5 सालों में लगभग 12% से यह संख्या बढ़ जाएगी।
डॉक्टर सुरेश आडवाणी, हिंदुजा हॉस्पिटल खार में सीनियर ओंकॉलजिस्ट (कैंसर विशेषज्ञ) हैं। इन्होंने भारत में hematopoietic stem cells के प्रत्यारोपण का संचालन किया था। जब इनसे उपरोक्त कहीं रिपोर्ट के विषय में उनके विचार पूछे तो उनका कहना था,"मुझे बिल्कुल भी आश्चर्य नहीं है। हम पिछले कई वर्षों से सिर्फ इसके बढ़ने पर ध्यान दे रहे हैं और अब तक भी हमने कैंसर के रोकथाम के लिए कुछ नहीं किया। तम्बाकू की वजह से होने वाले कैंसर कुल कैंसर मामलों का 27% है फिर भी तम्बाकू बड़े आराम से बिक रहा है, वैसे ही सिगरेट है।"
पुरुषों में सबसे ज़्यादा मुंह, फेफड़ों व बड़ी आंत का कैंसर
यदि हम नेशनल कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम रिपोर्ट, 2020 के आंकड़ों पर गौर करें तो पुरुषों में कैंसर की संख्या 2020 में 679,421 है और 2025 में 763,585 तक हो जाएगी। वहीं महिलाओं की बात करें तो 2020 में 712,758 हैं वहीं 2025 में यह संख्या बढ़कर 806,218 काकंड़ा छू लेगी। रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया हैकी पुरुषों में सबसे ज़्यादा मुंह, फेफड़ों व कोलोरेक्टल(बड़ी आंत का कैंसर) के कैंसर के मामले होते हैं।
भारत में जब हम कैंसर कीबात बड़े स्तर पर करते हैं तो पाया गया कि बुजुर्गों में इसका ज़्यादा प्रभाव है। बढ़ती उम्र के साथ कैंसर की संभावनाएं भी बढ़ जाती है। एक अस्पताल के ओंकॉलजी सर्जरी के प्रमुख, डॉक्टर संजय दुधात बताते हैं कि, "भारत में लम्बी आयु की कामना कैंसर की संभावना को बढ़ा देता है। उमर के साथ लोग अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता में असक्षम हो जाते हैं जिस वजह से कैंसर होने का खतरा ज़्यादा बढ़ जाता है।" आसानी से समझने वाली बात है कि जैसे जैसे हमारी आयु बढ़ती है हम विर्धावस्था की ओर जाते हैं वैसे वैसे हमारे शरीर पर इसका प्रभाव पड़ता है। हमारी रोगों से लडने की क्षमता कम होने लगती है। हमारा शरीर जल्दी जल्दी खामियों को ठीक नहीं कर पता। धीरे धीरे यही खामियां बढ़ कर कैंसर जैसा विकराल रूप धारण कर लेती हैं और कैंसर के होने का खतरा बढ़ जाता है।
डॉक्टर संजय दुधांत ने यह भी बताया कि छोटी आयु वर्ग में भी आजकल कैंसर के मामले सामने आए हैं। उन्होंने 23-30 वर्ष की आयु की महिलाओं के ब्रेस्ट (स्तन) कैंसर के मामलों को देखा है जो कि चिंता का विषय है। डॉक्टर दूधांत कहते हैं कि,"पहले मै सिर्फ बूढ़े कैंसर मरीजों को देखा करता था पर अब मैंने करीबन 15 ब्रेस्ट कैंसर के मरीजों का इलाज किया है जिनकी उम्र 23 से 30 वर्ष है।" यहां यह समझना ज़्यादा ज़रूरी है कि कैंसर बड़ी उम्र के बजाय छोटी उम्र में ज़्यादा जल्दी से फैल रहा है। यदि यह दर चलता हर तो 2025 तक भारत में कैंसर एक महामारी का रूप धारण कर लेगा।
खास कैंसर होने के खास कारण
जिस तरह डायबिटीज़ और हृदय रोग किसी एक कारण से नहीं होते उसी प्रकार एक प्रकार का कैंसर भी किसी एक कारण से नहीं होता। एक तरह का कैंसर कई कारणों की वजह से होता है। डॉक्टर सुजाता मित्तल प्रमुख गाइनोकोलॉजिस्ट ओंकाइटिस्ट व हॉलिस्टिक कैंसर कोच हैं, कैंसर के होने के कारणों पर अपना गया साझा करते हुए उन्होंने बताया भारत में किसी भी तरह के कैंसर के कई कारण होते हैं। जैसे कि पश्चिमी जीवनशैली को अपनाना, खान पान का अनियमित सेवन, डेयरी आत्पदों का गलत तरीकों से सेवन, प्रोसेस्ड फूड (पहले से तैयार खाद्य सामग्री) का प्रचलन, ज़्यादा मांस आहार, रासायनिक प्रदूषण, कब्ज़ व पुरानी गैस्ट्रिक समस्या, नियमित व्यायाम का दैनिक जीवन में न होना आदि।
डॉक्टर मेहुल भंसाली, डायरेक्टर सर्जिकल ओंकलजी, जसलोक हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर, इस पर प्रकाश डलते हुए कहते हैं कि ख़राब जीवनशैली, लंबे कार्य समय, तनावपूर्ण जीवन, धूम्रपान, शराब का सेवन, गर्भ निरोधक का प्रयोग, ये सब स्तन कैंसर के कारण बनते जा रहे हैं। इतना ही नहीं पुरुषों के मुकाबले महिलाएं ज्यादा लंबी आयु जीती हैं इसलिए कैंसर का ज़्यादा शिकार होती हैं।
पूर्व निदान और रोकथाम
पहले के मुकाबले अब हम ज़्यादा कैंसर मरीजों के आंकड़े देख पा रहे हैं। इसका मुख्य कारण है कि अब लगभग हर छोटे बड़े शहरों में कैंसर की स्क्रीनिंग/ या छोटे स्तर पर ही सही जांच मुमकिन है। यही महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है कैंसर का समय रहते पता लगाने में और फिर समय रहते इलाज हो जाने में। यदि समय से इस बीमारी का पाता चल जाता है तो इसका इलाज मुमकिन है जिससे मरीजों के जीवित रहने की संभावना बढ़ जाती हैं।
कैंसर से बचाव के लिए जरूरी है सक्रिय जीवनशैली
जैसा कि हम जानते हैं सक्रिय जीवनशैली से हम कैंसर से बच सकते हैं। इसके अलावा कुछ बातें जो सदैव ध्यान में रखनी होगी। जैसे धूम्रपान नहीं करना, तम्बाकू का सेवन नहीं करना, प्रोसेस्ड फूड से दूरी बनाए रखनी है, नियमित व्यायाम करना है। डॉक्टर दुधात यह भी कहते हैं कि हालांकि हमारे पास तनाव और कैंसर के होने की वजहों का स्पष्ट या पूर्ण डाटा नहीं है लेकिन यह स्पष्टता से कहा जा सकता है तनाव ही उच्च रक्तचाप का कारण है जो इंसान के शरीर का सबसे बड़ा नाशक है।
(टाइम्स ऑफ इंडिया से साभार)