- हेलीपोर्ट सेवा शुरू करने जा रहा है उत्तर प्रदेश सरकार का पर्यटन मंत्रालय
- आसमान से प्रदेश के प्रमुख पर्यटन स्थलों का विहंगम नजारा देख सकेंगे पर्यटक
लखनऊ: कई बार जिज्ञासा होती है कि जिस ऐतिहासिक, पौराणिक या धार्मिक स्थल का भ्रमण हम कर रहे हैं, उसका आसमान से नजारा कैसा लगेगा। जैसे ताज महल, झांसी का किला, मथुरा के बांके बिहारी, काशी और बहुत कुछ। चिंता मत कीजिये, क्योंकि यह जिज्ञासा जल्द ही शांत होने वाली है। जल्द ही आप आसमान से प्रदेश के प्रमुख पर्यटन स्थलों का विहंगम नजारा देख सकेंगे। इस नजारे का तात्कालिक आंनद लेने के साथ कैमरे के जरिए अपनी इन यादों को हमेशा के लिए अमिट भी कर सकेंगे। प्रदेश का पर्यटन मंत्रालय इसके लिए हेलीपोर्ट सेवा शुरू करने जा रहा है।
पहले चरण में यहां होगी शुरूआत
पहले चरण में इसके लिए शाहजहां और मुमताज के मोहब्बत की निशानी ताज नगरी आगरा, कृष्ण एवं राधा की रासलीला की भूमि मथुरा, तीनों लोकों से न्यारी शिव की नगरी काशी, ऋषि भरद्वाज की धरती, गंगा,यमुना और सरस्वती की संगम स्थली तीरथ राज प्रयाग और नवाबों की नगरी के रूप में विख्यात प्रदेश की राजधानी लखनऊ को शामिल किया गया है। पहले चरण की सफलता के बाद हेलीपोर्ट सेवा का विस्तार प्रदेश के अन्य धार्मिक, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व वाली जगहों से यह सेवा शुरू की जाएगी।
हेलीपोर्ट सेवा होगी मददगार
पर्यटन विभाग प्रथम चरण के लिए चयनित शहरों में हेलीपोर्ट निर्माण की कार्यवाही कर रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा प्रदेश को पर्यटन के लिहाज से देश में नंबर एक बनाने की है। इसी मकसद से सरकार बनने के बाद पर्यटकों की सुरक्षा,सुविधा और इस क्षेत्र में अधिकाधिक निवेश आए इसके लिए नई पर्यटन नीति लाई गई। इसी मकसद से सरकार ने अयोध्या में दीपावली के एक दिन पहले भव्य दीपोत्सव का आयोजन शुरू किया गया। काशी में देव दीपावली, मथुरा में कृष्ण जन्माष्टमी के आयोजन को और भव्य रूप दिया गया। लोगों का समय बचे,कम समय में पूरी तसल्ली से लोग आसमान से संबंधित पर्यटन स्थलों का नजारा लें सके। इसमें हेलीपोर्ट सेवा मददगार होगी। पर्यटकों की आवाजाही बढ़ने से स्थानीय स्तर पर रोजगार के मौके बढ़ेंगे।
ये है मकसद
क्षेत्रीय पर्यटन आधिकारी कीर्ति ने बताया कि बाहर से आने वालों पर्यटकों को असमान से नाजारा देखने में हेलीपोर्ट सेवा मददगार होगी। पर्यटकों की आवाजाही बढ़ने से स्थानीय स्तर पर रोजगार के मौके बढ़ेंगे। आने वाले पर्यटक और श्रद्धालु विहंग दृश्य देखने के अलावा वहां के खास उत्पादों को भी खरीदेंगे। इससे स्थानीय कला को संरक्षण एवं सवंर्धन मिलेगा। सरकार ने करीब तीन वर्ष पहले इसी मकसद से ओडीओपी की शुरूआत की थी।