- किसानों से संवाद के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने की बड़ी घोषणाएं
- खेत से खलिहान- बीज से बाजार तक किसानों की हर जरूरत होगी पूरी
- किसानों ने सीएम योगी के प्रति जताया आभार, कहा, पहली बार बढ़ा किसानों का मान
लखनऊ: किसान हित को शासन की शीर्ष प्राथमिकता में होने की बात कहने वाले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किसानों की मनमांगी मुराद पूरी कर दी है। बड़ी घोषणा करते हुए सीएम योगी ने कहा है कि फसल जलाने के कारण किसानों पर दर्ज मुकदमों को सरकार वापस लेगी और उन पर लगा जुर्माना भी माफ़ होगा। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा है कि 2010 से बकाया रहे गन्ना मूल्य भुगतान को पूरा करने के बाद अब सरकार गन्ना मूल्य में बढ़ोतरी करने जा रही है। सभी संबंधित पक्षों से विमर्श कर बहुत जल्द इस बारे में घोषणा की जाएगी।
सीएम योगी ने साफ शब्दों में अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि बिजली बिल बकाया होने के कारण एक भी किसान का कनेक्शन कतई न काटा जाए। साथ ही, किसानों को आश्वस्त करते हुए कहा है कि बिजली बिल बकाए पर किसान को ब्याज न देना पड़े इसके लिए ओटीएस स्कीम भी लाई जाएगी।
"किसानों की आय को दोगुना करने का लक्ष्य रखा गया"
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यह बड़े ऐलान बुधवार को मुख्यमंत्री आवास पर किसानों से संवाद के दौरान किए। प्रदेश के विभिन्न जिलों से आए प्रगतिशील किसानों से मुखातिब सीएम ने कहा कि किसान का पसीना बहता है तब फसल लहलहाती है। जाड़ा हो गर्मी हो या बरसात, किसान अपने खेत में सतत लगा रहता है। यही कारण है कि किसान अन्नदाता कहा गया।
सीएम ने कहा कि राजनीतिक दलों के एजेंडे में भले ही लंबे समय से किसान रहा हो, लेकिन कभी उनकी सुनी नहीं गई। इस लिहाज से साल 2014 ऐतिहासिक रहा। जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार आई और किसानों की आय को दोगुना करने का लक्ष्य रखा गया। सिलसिलेवार ढंग से किसान हितैषी नीतियों का उल्लेख करते हुए योगी ने कहा कि किसान सम्मान निधि, फसल सिंचाई, स्वायल हेल्थ कार्ड जैसे अनूठे प्रयासों ने खेती और किसानों की दशा ही बदल कर रख दी। उन्होंने कहा कि यह सरकार किसानों की है और खेत से खलिहान तक और बीज से बाजार तक, किसानों को जहां भी जरूरत होगी, सरकार साथ खड़ी है।
"नए सत्र से पहले हो जाएगा पुराना सब बकाया भुगतान"
"चीनी का कटोरा" कहे जाने वाले पूर्वांचल और "गन्ना बेल्ट" पश्चिमी यूपी की चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि 2017 से पहले की सरकारों ने बदनीयती से चीनी मिलों को बंद करने का काम क़िया। किसान हताश हुए निराश हुए। लेकिन 2017 में जब प्रदेश ने पीएम मोदी को मौका दिया तो चौधरी चरण सिंह की भूमि रमाला हो या पिपराइच और मुंडेरवा, कहीं नई चीनी मिलें लगीं तो कहीं पुराने का जीर्णोद्धार करा कर पुनः चलाया गया। कहीं क्षमता बढ़ोतरी हुई तो कहीं आधुनिकतम तकनीक से लैस मशीनें लगाई गईं। किसानों के साथ आकंड़े साझा करते हुए मुख्यमंत्री ने बताया कि वर्ष 2007 से 2016 तक मात्र 95 हजार करोड़ गन्ना मूल्य का मूल्य भुगतान हुआ था।
2010 के बाद से 96 माह तक सब बकाया था। बीते साढ़े चार सालों में 1.40 हजार करोड़ का भुगतान कराया। आज न केवल मात्र 04 माह का बकाया है, बल्कि वर्तमान सीजन के 82 फीसदी मूल्य का भुगतान कर दिया गया है। कोरोना काल में जबकि एक्सपोर्ट बन्द था, बावजूद इसके गन्ना खरीद जारी रही। 2016-17 में जहां 06 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदा गया था, वहीं इस साल कोरोना के बावजूद 56 लाख मीट्रिक टन रिकॉर्ड गेहूं की खरीद हुई। 2016 में हुई 16 लाख एमटी धान खरीद के सापेक्ष हमने बीते सत्र में 66 लाख एमटी धान खरीद की। इसमें महत्वपूर्ण यह भी कि पिछली सरकारों की खरीद आढ़तियों के माध्यम से होती थी जबकि वर्तमान सरकार ने सीधे किसानों से खरीद सुनिश्चित कि डीबीटी से सीधे किसान के बैंक अकाउंट में पैसा गया।पश्चिम क्षेत्र में 20 अक्टूबर से चीनी मिलें प्रारम्भ हो जाएंगी
नए पेराई सत्र के शुभारंभ की तिथि तय करते हुए सीएम ने कहा कि किसानों की मांग पर पश्चिम क्षेत्र में 20 अक्टूबर से चीनी मिलें प्रारम्भ हो जाएंगी, जबकि मध्य क्षेत्र में 25 अक्टूबर से मिलें चलेंगी। इसी तरह, पूर्वी क्षेत्र की मिलें नवम्बर के पहले सप्ताह से प्रारंभ होंगी। इस पर किसानों ने तालियां बजाकर सीएम के प्रति आभार जताया।