- लखनऊ विकास प्राधिकरण में लागू होगी ई-ऑफिस प्रणाली
- डिजिटल रिकॉर्ड में रहेंगी फाइलें, गुम होने का झंझट होगा खत्म
- ई-ऑफिस प्रणाली लागू होने पर कर्मचारियों की जवाबदेही होगी तय
E Office System: लखनऊ विकास प्राधिकरण में जल्द ही ई-ऑफिस प्रणाली लागू होगी। इसके लागू होने से सभी अनुभागों की नई और पुरानी पत्रावलियां ई-ऑफिस पोर्टल पर अपलोड कर दी जाएंगी। प्राधिकरण के उपाध्यक्ष अक्षय त्रिपाठी और सचिव पवन कुमार के नेतृत्व में इसका प्रशिक्षण शुरू हो गया है। प्रशिक्षण शिविर में सभी अनुभागों के अधिकारी और कर्मचारी शामिल हुए। आपको बता दें कि ई-ऑफिस सिस्टम लागू होने से विभागीय कार्यों में पारदर्शिता आने के साथ ही लंबित फाइलों पर कर्मचारियों की जवाबदेही तय होगी। विशेष कार्याधिकारी देवांश त्रिवेदी के अनुसार, प्राधिकरण में ई-ऑफिस प्राणली लागू करने के संबंध में यूपी इलेक्ट्रॉनिक्स कॉरपोरेशन को नोडल एजेंसी नामित किया गया है।
कॉर्पोरेशन के प्रतिनिधियों ने मंगलवार को लखनऊ विकास प्राधिकरण भवन में प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया। इस दौरान उपाध्यक्ष अक्षय त्रिपाठी ने निर्देश दिया कि पहले फेस में प्राधिकरण के सभी अनुभागों में बनने वाली नई पत्रावलियां ई-ऑफिस पोर्टल के माध्यम से ही बनाई जाएं।
422 अधिकारी और कर्मचारियों की आईडी बनेगी
दूसरे चरण में मौजूदा समय में प्रचलित फाइलों को इस पोर्टल के अंतर्गत लाने का काम होगा। इसके बाद तीसरे चरण के काम में पुरानी पत्रावलियों को ई-ऑफिस पोर्टल पर अपलोड किया जाएगा। प्राधिकरण के प्रोग्रामर एनालिस्ट राघवेन्द्र कुमार मिश्रा के अनुसार, ई-ऑफिस सिस्टम लागू करने के लिए सभी अनुभागों के 422 अधिकारी और कर्मचारियों के ई-सिग्नेचर, डीएसटी और एनआईसी कॉरपोरेट मेल आईडी बनवाई जा रही हैं। ई-आफिस के काम संपादित करने में कोई परेशानी न हो, इसलिए हर अनुभाग से दो लोगों को मास्टर ट्रेनर के रूप में प्रशिक्षित किया जाएगा।
ई-ऑफिस सिस्टम लागू होने पर पेपरलेस होगा काम
सचिव पवन कुमार गंगवार के कहा कि ई-ऑफिस सिस्टम लागू होने पर सारा काम पेपरलेस होगा। सभी जरूरी दस्तावेज डिजीटल रिकॉर्ड में मौजूद रहेंगे। ई-ऑफिस सिस्टम लागू होने पर फाइलों के गायब होने का झंझट नहीं रहेगा, साथ ही नष्ट होने की संभावना भी पूरी तरह खत्म हो जाएगी। इसके अलावा यह भी जानकारी मिल सकेगी कि इस प्रणाली के अंतर्गत कौन सी फाइल किस पटल पर कितने दिन अटकी रही। इससे कर्मचारियों की जवाबदेही भी होगी। साथ ही यहां काम कराने आने वाले लोगों को भी चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे।