- लखनऊ में दो लाख मकानों का बढ़ेगा गृहकर
- जीआईएस सर्वे में 25 प्रतिशत तक बढ़ा मिला क्षेत्रफल
- निगम ने भवन मालिकों को जारी किया नोटिस
Luckow House Tax: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में नगर निगम क्षेत्र में जीआईएस सर्वे में 1.85 लाख भवन स्वामियों के मकानों का क्षेत्रफल अधिक मिलने के बाद वार्षिक मूल्यांकन बढ़ गया है। नगर निगम ने सर्वे रिपोर्ट मिलने के बाद इन भवन स्वामियों को नोटिस जारी कर दिया है। ऐसे में अब नए सिरे से कर निर्धारण किया जाएगा। नगर निगम ने शहर में भवनों का जियोग्राफिकल इंफारमेशन सिस्टम (जीआईएस) सर्वे कराया है। कुल 5.82 लाख भवनों की सर्वे रिपोर्ट नगर निगम को मिल गई है।
रिपोर्ट के मुताबिक, इनमें 1,85,410 भवनों का वार्षिक मूल्य 25 फीसदी से ज्यादा बढ़ गया है। वार्षिक मूल्य बढ़ने से हाउस टैक्स भी बढ़ जाएगा। वार्षिक मूल्य क्षेत्रफल ज्यादा होने से बढ़ा, क्योंकि टैक्स निर्धारण के वक्त क्षेत्रफल कम दिखाया था।
नौ हजार मकान सर्वे के बाद बढ़े
जियोग्राफिकल इंफारमेशन सिस्टम सर्वे से पहले राजधानी लखनऊ में कुल भवनों की संख्या 5.82 लाख थी। सर्वे के बाद संख्या 5.91 लाख हो गई है। मुख्य कर निर्धारण अधिकारी अशोक सिंह के अनुसार, छह जुलाई को कम्प्यूटर से रिपोर्ट निकलवाई गई तो भवनों की संख्या करीब नौ हजार ज्यादा मिली। ऐसे में अब जोनवार भवन स्वामियों को नोटिस भेजे गए हैं। नोटिस के बाद भवन स्वामी 30 दिन तक आपत्ति दर्ज करा पाएंगे। अगर भवन स्वामी तय समय में आपत्ति दाखिल नहीं करेंगे तो यह माना जाएगा कि उन्हें कोई आपत्ति नहीं है।
सर्वे में 1,85,410 भवनों का वार्षिक मूल्य बढ़ा
इसके बाद नगर निगम सर्वे के आधार पर उसका हाउस टैक्स बढ़ा देगा। गलत या तथ्य परक आपत्ति न होने पर जुर्माना लगाया जाएगा। मामले में संबंधित जोनल अधिकारी सुनवाई करेंगे। नगर निगम के मुख्य कर निर्धारण अधिकारी अशोक सिंह ने बताया कि सर्वे में 1,85,410 भवनों का वार्षिक मूल्य बढ़ा है। इसके लिए नोटिस जारी कर दिए गए हैं। जिन स्वामियों में 25 फीसदी से ज्यादा बढ़ोत्तरी की है, उन मामलों को पहले सुना जाएंगा। आपत्तियों पर सुनवाई के बाद कर निर्धारित होगा।
ये हैं वो कारण जिसकी वजह से सर्वे में मूल्यांकन बढ़ा
आपको बता दें कि लोगों ने पुराने मकान तोड़कर नया और कई मंजिल का निर्माण करा लिया है। कहीं, एक मंजिल का मकान होने पर बाद में दूसरा मंजिल का निर्माण करा लिया। इसके अलावा किसी ने कर निर्धारण के वक्त कम क्षेत्र दिखाया या कर्मियों ने कम कर दिखाया, इसके कारण सर्वे में मूल्यांकन बढ़ा है।