- योगी सरकार उत्तर प्रदेश विधि विरूद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश 2020 लायी है। इसे राज्यपाल की मंजूरी मिल गई है
- समाजवादी पार्टी ने कहा कि इस तरह का कोई कानून मंजूर नहीं है, विधानसभा में इस बिल का विरोध किया जाएगा
- बीएसपी सुप्रीमो ने कहा कि धर्म परिवर्तन अध्यादेश अनेक आशंकाओं से भरा है
लखनऊ : उत्तर प्रदेश में धर्मांतरण (लव जिहाद) रोक अध्यादेश को लेकर सियासी पारा चढ़ने लगा है। अखिलेश यादव के बाद मायावती ने भी इसका पूरजोर विरोध किया बहुजन समाज पार्टी ने सोमवार (30 नवंबर) को सरकार से इस अध्यादेश पर पुनर्विचार करने की मांग की जबकि इसके पहले समाजवादी पार्टी ने दो टूक कहा कि इस तरह का कोई कानून उसे मंजूर नहीं है और इसका पुरजोर विरोध किया जाएगा। दूसरी तरफ इसको लेकर मुस्लिम धर्म गुरुओं की ओर से भी प्रतिक्रिया आनी शुरू हो गई है। पिछले दिनों उप चुनाव के दौरान उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने कहा था कि सरकार ‘लव जिहाद’ से निपटने के लिए एक नया कानून बनाएगी।
सोमवार को बीएसपी सुप्रीमो और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने ट्वीट कर पार्टी की मंशा जाहिर की। मायावती ने ट्वीट किया कि लव जिहाद को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा आपाधापी में लाया गया धर्म परिवर्तन अध्यादेश अनेक आशंकाओं से भरा है जबकि देश में कहीं भी जबरन व छल से धर्मांतरण को ना तो खास मान्यता और ना ही स्वीकार्यता है। उन्होंने आगे कहा कि इस संबंध में कई कानून पहले से ही प्रभावी हैं। सरकार इस पर पुनर्विचार करे, बसपा की यह मांग है।
विधानसभा में बिल का विरोध करेगी समाजवादी पार्टी
राज्यपाल से इस अध्यादेश को मंजूरी मिलने के कुछ घंटे बाद ही शनिवार को समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने पत्रकारों के सवाल के जवाब में कहा, 'जब यह विधेयक विधानसभा में पेश होगा तो उनकी पार्टी पूरी तरह विरोध करेगी।' यादव ने कहा कि सपा ऐसे किसी कानून के पक्ष में नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार एक तरफ अंतरजातीय और अन्तर्धामिक विवाह को प्रोत्साहन दे रही और दूसरी तरफ इस तरह का कानून बना रही है, तो यह दोहरा बर्ताव क्यों है?
10 साल की जेल और 50 हजार रुपए तक जुर्माना
उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने ‘उत्तर प्रदेश विधि विरूद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश, 2020’ को मंजूरी दे दी है जिसमें जबरन या धोखे से धर्मांतरण कराये जाने और शादी करने पर 10 वर्ष की कैद और विभिन्न श्रेणी में 50 हजार रुपए तक जुर्माना लगाया जा सकता है। राज्यपाल की मंजूरी के बाद 'उत्तर प्रदेश विधि विरूद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश, 2020' की अधिसूचना शनिवार को जारी कर दी गई।
अध्यादेश 6 महीने तक रहता है प्रभावी
गौरतलब है कि अध्यादेश छह महीने तक प्रभावी रह सकता है और इस अवधि के भीतर कानून बनाने के लिए विधानसभा में विधेयक लाना जरूरी होगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में पिछले मंगलवार को मंत्रिमंडल की बैठक में इस अध्यादेश को मंजूरी दी गई थी। इसमें विवाह के लिए छल, कपट, प्रलोभन देने या बल पूर्वक धर्मांतरण कराए जाने पर अधिकतम 10 वर्ष कारावास और जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
इस अध्यादेश पर पहला मामला बरेली जिले में दर्ज
अध्यादेश के प्रभावी होते ही शनिवार को बरेली जिले के देवरनियां थाना क्षेत्र में इसके तहत पहला मुकदमा दर्ज किया गया जिसमें एक युवक ने शादीशुदा युवती पर धर्म बदलकर निकाह करने के लिए दबाव बनाया और उसके पूरे परिवार को धमकी दी थी। देवरनियां थाने में उवैश अहमद के खिलाफ भारतीय दंड संहिता और नए अध्यादेश के तहत मामला दर्ज किया गया है।
बरेली परिक्षेत्र के पुलिस उप महानिरीक्षक राजेश पांडेय ने रविवार को बताया कि पहला मामला बरेली जिले के थाना देवरनिया में टीकाराम की तहरीर पर दर्ज किया गया है। उन्होंने बताया कि वादी के अनुसार उसके गांव के ही एक युवक द्वारा जबरन धर्मांतरण का दबाव बनाया जा रहा था जिस पर आईपीसी की धाराओं के साथ ही नये अध्यादेश के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।