- रेलवे पार्सल घरों में सस्ती होगी पैकिंग
- 500 से 700 रुपये तक वसूलते हैं दलाल
- अब रेलवे मात्र 200-300 रुपये में पैक करेगा पार्सल
Indian Railways Parcel Packing: रेलवे नई पहल करने जा रहा है। अब दोपहिया वहनों को दूर किसी शहर ले जाना और भी आसान होने वाला है। अब भारतीय रेलवे के जरिए दोपहिया वाहनों को ट्रांसपोर्ट करना वाहन मालिकों को लिए और भी सस्ता होगा। आपको बता दें कि, रेलवे के जरिए स्कूटर या मोटर साइकिल जैसे वाहनों को एक शहर से दूसरे शहर ले जाना बेहद आसान है। ट्रेन द्वारा भेजे जाने वाले पार्सल में दोपहिया सामान को पैक कराने के लिए लोगों को भाग दौड़ करने की जरूरत नहीं होगी। स्टेशन पर ही पार्सल का सामान पैक होगा। इसके लिए ज्यादा रकम भी खर्च नहीं करनी होगी।
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में रेलवे स्टेशन के पार्सल घरों से देश के किसी भी हिस्सों में भेजी जाने वाली दोपहिया गाड़ियों की पैकिंग सस्ते दरों में उपलब्ध होगी। दरअसल, रेलवे ने दलालों की मनमानी रोकने के लिए यह फैसला लिया है।
चारबाग पार्सल घर और प्लेटफॉर्म- 1 पर बनेगा अमानती सामान घर
पार्सल घरों के बाहर अभी दलाल मौजूद रहते हैं, ये दलाल वाहन मालिकों से मनमाना पैसा वसूलते हैं। ऐसे लोगों पर रेलवे प्रशासन ने अब तक कोई लगाम नहीं लगाई थी। ऐसे में रेलवे इस महीने लखनऊ के चारबाग पार्सल घर और प्लेटफॉर्म -1 पर अमानती सामान घर बनाएगा। यहां से दोपहिया वाहन भेजने के पहले उनकी पैकिंग तय दरों पर की जाएगी। दोपहिया गाड़ी पैक करने के एवज में अभी तक दलाल 500 से 700 रुपये तक वसूलते रहे हैं। रेलवे इसके लिए अब 200 से 300 रुपये शुल्क लेगा।
दोपहिया वाहन की पैकिंग का रेलवे ने तय किया शुल्क
आपको बता दें कि, रेलवे से सामान भेजने के लिए वजन और दूरी के तहत भाड़े की गणना की जाती है। बाइक ट्रांसपोर्ट करने के लिए रेलवे सस्ता, अच्छा और फास्ट माध्यम है। हालांकि लगेज का चार्ज पार्सल के मुकाबले ज्यादा होता है। 500 किलोमीटर दूर तक दोपहिया वाहन भेजने के लिए करीब 1200 रुपये का भाड़ा लगता है, हालांकि इसमें थोड़ा बहुत अंतर आ सकता है। वहीं, दोपहिया वाहन की पैकिंग पर भी अब रेलवे ने शुल्क तय कर दिया है। लखनऊ से अब रेलवे मात्र 200-300 रुपये में पार्सल पैक करेगा। गौरतलब है कि दोपहिया वाहन को पैक करने के लिए नीचे पुआल डालने के बाद ऊपर से बोरा डालकर अच्छी तरह से पैक करने की जरूरत होती है। साथ ही वाहन से पेट्रोल पूरी तरह से निकाल लिया जाता है। टीन के प्लेट पर दोपहिया वाहन का नंबर पेंट से लिखकर लटकाना होता है।