- समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने अखिलेश के सामने की दारोगा की पिटाई
- अखिलेश ने गाड़ी से बाहर निकलकर कार्यकर्ताओं से की शांत रहने की अपील
- लखनऊ से लखीमपुर जाने पर अड़े हुए थे अखिलेश यादव
लखनऊ: लखीमपुर खीरी में हुए बवाल के बाद राजनीति भी तेज हो गई है। कांग्रेस और समाजवादी पार्टी सहित तमाम विपक्ष अलग-अलग जगहों पर विरोध प्रदर्शन कर रहा है। इस बीच लखीमपुर कांड पीड़ितों से मिलने जा रहे समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को पुलिस ने घर से निकलने के साथ ही लखनऊ में हिरासत में ले लिया। अखिलेश को पुलिसकर्मी जैसे ही गाड़ी में बैठाकर इको गार्डन ले जाने लगे तो समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने हंगामा खड़ा कर दिया, जिसका वीडियो भी वायरल हो रहा है इसमें एक एसपी कार्यकर्ता एक दारोगा को पीटते नजर आ रहे हैं।
उग्र हो गए सपा कार्यकर्ता
दरअसल अखिलेश को जैसे ही गाड़ी में बैठाया गया तो उसी गाड़ी के सामने मौजूद एक पुलिस अफसर पर समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता टूट पड़े, जैसे ही अखिलेश की नजर इस पर पड़ी तो उन्होंने तुरंत गाड़ी से निकलकर अपने समर्थकों को शांत रहने की अपील की और किसी तरह वहं मौजूद जवानों ने हालात को काबू में किया। इसके बाद पुलिस अखिलेश को ईको गार्डन ले जा सकी। हालांकि इसके बाद भी सपा कार्यकर्ताओं ने लखनऊ सहित प्रदेश के कई हिस्सों में प्रदर्शन कर रहे हैं। दिल्ली से सटे नोएडा में भी सपा नेताओं ने विरोध प्रदर्शन किया और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा को बर्खास्त करने तथा दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की।
अखिलेश की मांग
इससे पहले अखिलेश यादव ने कहा, 'किसानों पर इतना अन्याय, इतना जुल्म अंग्रेजों ने भी नहीं किया जितना भाजपा की सरकार कर रही है। आखिरकार सरकार विपक्ष के किसी भी नेता को लखीमपुर खीरी क्यों नहीं जाने देना चाहती। सरकार आखिर क्या छुपाना चाहती है। यह सरकार इस बात से घबराती है कि जनता कहीं सच्चाई न जान जाए। भाजपा की सरकार पूरी तरह असफल हुई है। सबसे पहले गृह राज्य मंत्री को इस्तीफा देना चाहिए। इसके साथ-साथ उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को भी इस्तीफा देना चाहिए जिन्हें कानून व्यवस्था बिगड़ने की पूरी सूचना थी।'
आपको बता दें कि लखीमपुर खीरी जिले के तिकोनिया क्षेत्र में रविवार को राज्य के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य द्वारा केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के पैतृक गांव जाने के विरोध के दौरान हुए संघर्ष में चार किसानों समेत आठ लोगों की मौत हो गई थी।