- दिमागी बुखार और मलेरिया के इलाज में उपयोगी पौधा एनुआ खोजा
- आर्टीमिसिया एनुआ पौधा करता है दोनों बीमारियों में अचूक काम
- पहले भारत भी इसके लिए चीन पर था निर्भर
Lucknow Artemisia Annua: दिमागी बुखार और मलेरिया की दवा बनाने में इस्तेमाल होने वाले पौधे आर्टीमिसिया एनुआ की बेहतर किस्म के प्रसंस्करण और खेती की तकनीक सीमैप ने गुरुवार को चेन्नई की कंपनी मेसर्स सत्त्व वेद नेचर्स ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड को सौंप दी। केंद्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान (सीमैप) ने आर्टीमिसिया एनुआ पौधे की खेती और प्रसंस्करण की तकनीक के लिए चेन्नई की सत्त्व वेद नेचर्स ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के साथ करार किया है। सीमैप के प्रशासनिक अधिकारी नरेश कुमार और कंपनी के निदेशक श्रेनिक मोदी ने अनुबंध पर हस्ताक्षर किए। सीमैप के निदेशक डॉ. प्रबोध कुमार त्रिवेदी ने बताया कि, यह पौधा चीन में प्राकृतिक रूप से पाया जाता है। अभी तक आर्टीमिसिया एनुआ को चीन से मंगाया जाता था।
अब खत्म होगी चीन पर हमारी निर्भरता
उन्होंने बताया कि, पहले भारत भी इसके लिए चीन पर निर्भर था। लेकिन सीमैप ने इस पौधे पर अनुसंधान कर एक नयी प्रजाति का विकास कर दिया है, इससे अब चीन पर हमारी निर्भरता खत्म होगी। नयी प्रजाति से अधिक मात्रा में आर्टीमिसिनिन तत्व प्राप्त होता है। इस तत्व का इस्तेमाल दिमागी बुखार की दवा बनाने में किया जाता है। यह एक पौधा दिमागी बुखार के मरीजों के लिए जीवनदायी हो रहा है।
किसानों के साथ अनुबंध करेगी कंपनी
मेसर्स सत्त्व वेद नेचर्स ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड निदेशक श्रेनिक मोदी ने कहा कि, कंपनी किसानों के साथ अनुबंध करेगी। इस आधार पर आर्टीमिसिया की खेती होगी। फिर इसे कंपनी किसानों से तय कीमत पर खरीदेगी। इससे किसानों को भी मुनाफा होगा।
पौधे में 137 तरह के रासायनिक तत्व मिले
आपको बता दें कि, आर्टीमिसिया एनुआ पौधा मलेरिया की बीमारी में अचूक काम करता है। जानवर भी इस पौधे को नहीं खाते। पहाड़ों पर इसकी खेती अच्छे तरह से हो जाती है। इस फसल के अच्छी कीमत भी बाजारों में मिल जाती है। साल 1986 में सीमैप लखनऊ आर्टीमिसिया एनुआ के पौधे को इंग्लैंड से भारत लाया था। इसकी उन्नत कृषि उत्पादन तकनीक एवं दवा निर्माण विधि विकसित कर साल 2004 से देश के विभिन्न प्रदेशों में खेती शुरू की गई। पौधे में अब तक 137 तरह के रासायनिक तत्व मिल गए है। इसमें मुख्य सक्रिय तत्व आर्टीमिसिनिन है, जो मलेरिया की दवा बनाने में काम आता है।