लखनऊ। कोरोना की दूसरी लहर की संक्रमण दर पहले की तुलना में 30 से 50 गुना संक्रामक थी। इसी अनुपात में ऑक्सीजन की चौतरफा मांग भी हुई। इससे उत्तर प्रदेश समेत अन्य राज्यों को भी परेशान होना पड़ा। यहां पर ऑक्सीजन की कमी को लेकर हाहाकार मचा। अस्पताल से लेकर ऑक्सीजन रीफिलर के पास ऑक्सीजन के सिलिंडर लेने वालों की भीड़ लगने लगी। हालांकि राज्य में काफी हद तक मामला संभल गया है।
यूपी के सभी जिलों में ऑक्सीजन का पर्याप्त स्टॉक
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस कमी को दूर करने के लिए जो योजना तैयार की, उसके चलते आज यूपी में ऑक्सीजन की कमी नहीं है। बताया जा रहा है कि राज्य के हर जिले में मरीजों की सांसों को सहेजने के लिए पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन के सिलेंडर मौजूद हैं। ऑक्सीजन की इस उपलब्धता के चलते अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने होम आइसोलेशन में कोरोना संक्रमण का इलाज कर रहे लोगों को भी ऑक्सीजन सिलेंडर मुहैया कराये जाने का निर्देश दिया। यह काम शुरू भी हो गया और बीते 24 घंटे के दौरान होम आइसोलेशन में 4105 कोरोना संक्रमितों को 27.9 मीट्रिक टन ऑक्सीजन उपलब्ध कराई गई।
वितरण में लगने वाले समय में आई कमी
बढ़ती आपूर्ति के बाद ऑक्सीजन संकट की मूल वजह थी वितरण में देरी। इसके लिए अभूतपूर्व मांग की आपूर्ति के लिए क्रायोजनिक टैंकर ही नहीं थे। केंद्र और बड़े उद्यमियों से बात कर ऐसे टैंकरों की संभव व्यवस्था की गई। साथ ही सरकार ने इसके लिए ग्लोबल टेंडर भी जारी किए।
यूपी में ऑक्सीजन लाने के लिए 64 ऑक्सीजन टैंकर थे, जो अब बढ़कर 89 हो गए हैं। केंद्र सरकार ने भी प्रदेश को 400 मीट्रिक टन के 14 टैंकर दिए हैं। यही नहीं भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए सभी जिलों में ऑक्सीजन की उपलब्धता के लिए ऑक्सीजन प्लांट स्थापित करने का फैसला लिया जा चुका है। इसके लिए बजट भी सरकार ने जारी कर दिया है। इसके साथ ही भारत सरकार, राज्य सरकार और निजी क्षेत्र द्वारा प्रदेश में ऑक्सीजन प्लांट स्थापित करने की कार्यवाही भी शुरू की गई है। विभिन्न पीएसयू भी अपने स्तर पर प्लांट स्थापित करा रही हैं। इसके साथ ही गन्ना विकास एवं चीनी उद्योग और आबकारी विभाग द्वारा ऑक्सीजन जनरेशन की दिशा में विशेष प्रयास किए जा रहे हैं। यह विभाग प्रदेश के सभी 75 जिलों में ऑक्सीजन जनरेटर लगाएगा।
एमएसएमई इकाइयों का मिला सहयोग
एमएसएमई इकाइयों की ओर से भी ऑक्सीजन की कमी को दूर करने के मामले में सहयोग मिल रहा है। इसके अलावा सरकार ने सीएचसी स्तर से लेकर बड़े अस्पतालों तक में ऑक्सीजन कंसंट्रेटर उपलब्ध कराए हैं। यह सभी क्रियाशील रहें, इसे सुनिश्चित किया गया। जिलों की जरूरतों के अनुसार और ऑक्सीजन कंसंट्रेटर खरीदे जाने की अनुमति भी दी गई है। इसके अलावा उन्होंने तकनीक का इस्तेमाल कर ऑक्सीजन की मांग और आपूर्ति में संतुलन बनाने का निर्देश दिया। और ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए 24 घंटे साफ्टवेयर आधारित कंट्रोल रूम, ऑक्सीजन टैंकरों में जीपीएस और ऑक्सीजन के वेस्टेज को रोकने के लिए सात प्रतिष्ठित संस्थाओं से ऑडिट की व्यवस्था की गई है। इसके अलावा दूसरे राज्यों से ऑक्सीजन मंगाने के लिए ऑक्सीजन एक्सप्रेस और वायु सेना के जहाजों की भी सहायता ली।
11 मई को 1011 मीट्रिक टन ऑक्सीजन का वितरण
बीते 11 मई को 1011 मीट्रिक टन ऑक्सीजन का वितरण किया गया। इसमें रीफिलर को 632 मीट्रिक टन ऑक्सीजन और मेडिकल कालेजों तथा चिकित्सालयों को 301 मीट्रिक टन ऑक्सीजन दी गई। जबकि 12 मई को प्रदेश में 1014.53 मीट्रिक टन ऑक्सीजन का किया गया वितरण। जिसके तहत रीफिलर को 619.59 मीट्रिक टन ऑक्सीजन और मेडिकल कालेजों तथा चिकित्सालयों को 302.62 मीट्रिक टन ऑक्सीजन दी गई। और होम आइसोलेशन में इलाज कर रहे 4105 कोरोना संक्रमितों को 27.9 मीट्रिक टन ऑक्सीजन उपलब्ध कराई गई।
अपर मुख्य सचिव (सूचना) नवनीत सहगल ने बताया कि कोविड से संक्रमित होने के बाद जिनको अस्पताल में भर्ती होना पड़ता है, उनमें से अधिकांश को ऑक्सीजन सपोर्ट की जरूरत होती है। क्रमश: आपूर्ति बढ़ाने के संभव प्रयास के बाद इसका वितरण ठीक करने, दुरुपयोग रोकने के लिए ट्रैकिंग, ऑडिट जैसे हर उपाय किए गए। नतीजा सामने है। अब हम होमाइसोलेशन में इलाज करा रहे लोगों को भी ऑक्सीजन देने की स्थिति में हैं और दे भी रहे हैं।