- साल 1990 में हुए एक हादसे के बाद से बंद पड़ा था गोरखपुर का यह खाद कारखाना
- सांसद के रूप में योगी आदित्यनाथ ने करीब दो दशक तक अथक परिश्रम किया
- साल 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फर्टिलाइजर फैक्ट्री की आधारशिला रखी
गोरखपुर : मंगलवार (7 दिसंबर) को प्रधानमंत्री नरेंद मोदी गोरखपुर में खाद कारखाने की 31 साल बाद एक बार फिर से शुरुआत करेंगे। फ़र्टिलाइज़र कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया का ये खाद कारखाना 1990 से बंद पड़ा था। जिसको फिर से शुरुआत करने की लड़ाई बतौर सांसद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 2 दशक तक लड़ी है। 1998 से लेकर मार्च 2017 तक उनके संसदीय कार्यकाल में संसद का कोई भी ऐसा सत्र ऐसा नहीं रहा जिसमें उन्होंने इसके लिए अपनी आवाज बुलंद न की हो। योगी की पहल पर 22 जुलाई 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसकी आधारशिला रखी थी। अब उन्हीं के हाथों मंगलवार (सात दिसंबर) को इसका उद्घाटन होगा।
8603 करोड़ की लागत 20 हज़ार जॉब्स देने की क्षमता
नीम कोटेड यूरिया बनाने का ये प्रोजेक्ट इस पूरे रीजन में बीस हजार प्रत्यक्ष-परोक्ष रोजगार पैदा करने की क्षमता रखता हैं। इस खाद कारखाने से केवल उत्तर प्रदेश और अन्य सीमाई राज्यों को पर्याप्त उर्वरक की उपलब्धता ही सुनिश्चित नहीं होगी बल्कि इससे खाद आपूर्ति के मामले में आयात पर निर्भरता भी कम होगी। गोरखपुर के खाद कारखाने की संचालन की जिम्मेदारी हिंदुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड (एचयूआरएल) ने निभाई है। एचयूआरएल एक संयुक्त उपक्रम है जिसमें कोल इंडिया लिमिटेड, एनटीपीसी, इंडियन ऑयल कोर्पोरेशन लीड प्रमोटर्स हैं जबकि इसमें फर्टिलाइजर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड और हिंदुस्तान फर्टिलाइजर कॉर्पोरेशन लिमिटेड भी साझीदार हैं।
गोरखपुर खाद कारखाना : एक नजर में
- शिलान्यास - 22 जुलाई 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों
- संचालनकर्ता : हिंदुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड
- कुल लागत - 8603 करोड़ रुपये
- क्षेत्रफल - 600 एकड़
- यूरिया प्रकार - नीम कोटेड
- रोजाना यूरिया उत्पादन - 3850 मीट्रिक टन
- रोजाना लिक्विड अमोनिया उत्पादन -2200 मीट्रिक टन
8603 करोड़ रुपये की लागत से कारखाने का निर्माण
इस संयुक्त उपक्रम के अधीन गोरखपुर खाद कारखाने के निर्माण में करीब 8603 करोड़ रुपये की लागत आई है। कारखाना परिसर में दक्षिण कोरिया की विशेष तकनीक से 30 करोड़ की लागत से विशेष रबर भी बना है जिस पर गोलियों का भी असर नहीं होता है। एचयूआरएल के इस खाद कारखाने की उत्पादन क्षमता प्रतिदिन 3850 मीट्रिक टन और प्रतिवर्ष 12.7 लाख मीट्रिक टन उर्वरक उत्पादन की है। इतने बड़े पैमाने पर उत्पादन से देश के सकल खाद आयात में भारी कमी आएगी। इसके उत्पादनशील होने से पूर्वी उत्तर प्रदेश के साथ ही बिहार व यूपी से सटे अन्य राज्यों में नीम कोटेड यूरिया की बड़े पैमाने पर आपूर्ति सुनिश्चित होगी।
फर्टिलाइजर फैक्टरी की कहानी
गोरखपुर में 1968 में स्थापित फर्टिलाइजर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया के खाद कारखाने को 1990 में हुए एक हादसे के बाद बंद कर दिया गया। 1998 में गोरखपुर से पहली बार सांसद बनने के बाद योगी आदित्यनाथ ने हर सत्र में खाद कारखाने को चलाने या इसके स्थान पर नए प्लांट के लिए आवाज बुलंद की। 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी ने सांसद योगी आदित्यनाथ की इस मांग पर संजीदगी दिखाई और 22 जुलाई 2016 को नए खाद कारखाने का शिलान्यास कर पूर्वी उत्तर प्रदेश को बड़ी सौगात दी।