- जिलेवार जिला पंचायत अध्यक्ष पदों की आरक्षण प्रक्रिया पर भी मुहर लग चुकी है
- पंचायतों के पुनर्गठन के बाद 60.59 लाख की आबादी ग्रामीण क्षेत्र से नगरीय क्षेत्र में शिफ्ट हो गई है
- आरक्षण जारी होने के बाद कई जिलों की ग्रामीण राजनीति के समीकरण बदले
पंचायत चुनाव (Panchayat Chunav) किसी भी राजनीतिक दल के लिए खासे अहम होते हैं कहा जाता है कि राजनीतिक करियर बनाने में आगे बढ़ने में इन इलेक्शन का बहुत अहम रोल होता है। उत्तर प्रदेश की राजनीति में तो इसका खासा योगदान है कहा जा रहा है कि यूपी पंचायत चुनाव के लिए आरक्षण जारी होने के बाद कई जिलों की ग्रामीण राजनीति के समीकरण बदल गए हैं।
पंचायत चुनाव के लिए यूपी में जिला पंचायत, क्षेत्र पंचायत और ग्राम प्रधान के पदों के लिए आरक्षण जारी कर दिया गया है इस बदलाव के कई जिलों की ग्रामीण राजनीति के समीकरण बदल गए हैं और कुछ की राजनीतिक महत्वकांक्षाएं भी धाराशाही हुई हैं तो कुछ की परवान भी चढ़ीं हैं।
बीते पांच साल तक जिन लोगों ने प्रधान का पद संभाला था, उन्हें अब नए उम्मीदवार देने होंगे राज्य की राजधानी लखनऊ की बात करें तो वहां जिला पंचायत अध्यक्ष का पद दलित महिला के लिए रिजर्व होगा जबकि पिछली बार यह सीट ओबीसी के लिए आरक्षित थी।
अपर मुख्य सचिव पंचायती राज के मुताबिक पंचायतों के पुनर्गठन के बाद 60.59 लाख की आबादी ग्रामीण क्षेत्र से नगरीय क्षेत्र में शिफ्ट हो गई है। इसका असर पदों पर पड़ा है,जिला पंचायत सदस्य के 69, क्षेत्र पंचायत सदस्य के 1,946 और ग्राम प्रधान के 880 पद घटे हैं।
जिलेवार जिला पंचायत अध्यक्ष पदों की आरक्षण प्रक्रिया पर भी मुहर लग चुकी है, अब जिला पंचायत अध्यक्ष की 27 सीटें ओबीसी, 16 सीटें एससी और 12 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित की गई हैं वहीं जिला पंचायत अध्यक्ष के 27 पद अनारक्षित यानी सामान्य रहेंगें।
Reserved सीटों पर एक नजर-
SC महिला सीट की बात करें तो कौशाम्बी,सीतापुर,लखनऊ, शामली, हरदोई और बागपत इनके लिए आरक्षित हैं वहीं SC की बात करें तो औरैया, चित्रकूट, महोबा,कानपुर नगर, झांसी ,जालौन, बाराबंकी, लखीमपुर खीरी, रायबरेली, मिरजापुर वहीं OBC महिला संभल, हापुड़, एटा, बरेली, कुशीनगर, वाराणसी, बदायूं सीट होगी।
Unreserved सीटें हैं ये -
वहीं अनारक्षित सीटों की बात करें तो- कानपुर देहात, गोरखपुर, देवरिया, महाराजगंज, गोंडा, अलीगढ़, हाथरस, आगरा, मथुरा, सिद्धार्थनगर, मुरादाबाद, बिजनौर, रामपुर, अमरोहा,प्रयागराज, फतेहपुर,गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर,मेरठ, बुलंदशहर आदि हैं।
गौरतलब है कि इससे पहले शासन ने आरक्षण नीति जारी का थी जिसके मुताबिक वर्ष 2015 में ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत और जिला पंचायत के लिए आरक्षण की जो स्थिति थी,पंचायत चुनाव के मद्देनजर परिसीमन को पहले ही अंतिम रूप दिया जा चुका है।