- यूपी में हिंसा के लिए पीएफआई पूरी तरह जिम्मेदार-डीजीपी
- ऐहतियात के तौर पर कई जिलों में इंटरनेट पर लगी थी पाबंदी
- नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ सियासत हुई तेज
लखनऊ। सीएए के विरोध में यूपी के कई जिलों में जबरदस्त हिंसा हुई थी। हिंसात्मक प्रदर्शन में 10 से ज्यादा लोग मारे गए थे। अब इस संबंध में पुलिस का कहना है कि पीएफआई के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं। उन्होंने कहा कि इस संगठन के बारे में और गहराई से पता किया जा रहा है कि क्या इसके पीछे कोई और राजनीतिक संगठन है। लेकिन एक बात साफ है कि राज्य के अलग अलग शहरों में हिंसा के मामले में इस संगठन का हाथ है। इस मामले में पीएफआई के 25 सदस्यों को गिरफ्तार किया गया है।
डीजीपी ओ पी सिंह ने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ जिन लोगों की गिरफ्तारी की गई उसमें किसी निर्दोष को नहीं पकड़ा गया है। पुलिस निष्पक्ष ढंग से कार्रवाई कर रही है। सुनियोजित तरह से राज्य के अलग अलग शहरों में हिंसा भड़काई गई और उसके पीछे पीएफआई संगठन मास्टर माइंड की तरह काम कर रहा था। यूपी पुलिस का स्पष्ट मानना है कि बिना किसी राग द्वेष के जो लोग भी हिंसात्मक गतिविधियों के लिए जिम्मेदार रहे हैं उन्हे सजा भुगतना होगा।
यूपी के ये शहर हुए थे प्रभावित
मेरठ
सहारनपुर
वाराणसी
बहराइच
मऊ
संभल
गोरखपुर
फिरोजाबाद
लखनऊ
बता दें कि इन जिलो में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ जबरदस्त प्रदर्शन हुए थे। हिंसा पर काबू पाने के दौरान 10 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी। पुलिस पर आरोप लगा कि अधिकतर लोगों की मौत के लिए वही जिम्मेदार है। लेकिन यूपी पुलिस का कहना है कि उसकी तरफ से गोली नहीं चलाई गई थी। इस मुद्दे पर जमकर सियासत हो रही है। समाजवादी पार्टी, कांग्रेस और बीएसपी का कहना है कि योगी सरकार समाज में नफरत फैला रही है। लेकिन बीजेपी का कहना है कि इस विषय पर जानबूझकर भ्रम का माहौल बनाया जा रहा है।