- एक्शन में योगी सरकार, उन्नाव रेप और बलात्कार मामले में लापरवाही बरतने के लिए 7 पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया
- इसके बाद योगी कैबिनेट ने महिलाओं के साथ हो रहे बलात्कार, हिंसा और बच्चों के यौन शोषण मामलों के जल्द निपटारे के लिए पूरे उत्तर प्रदेश में 218 फास्ट ट्रैक कोर्ट स्थापित करने का फैसला लिया
- इनमें से 144 अदालतें बलात्कार के मामलों की नियमित रूप से सुनवाई करेंगी जबकि 74 अदालतों में पोक्सो (बच्चों के खिलाफ अपराधों) के मामले सुने जाएंगे
लखनऊ : उन्नाव में एक युवती के साथ बलात्कार के बाद पेट्रोल डालकर जिंदा जलाने के मामले को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार को विपक्षी पार्टियों ने जमकर हमला बोला। कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने ट्वीट कर राज्य में फास्ट ट्रैक कोर्ट शुरू करने में देरी पर भी सवाल उठाया। उन्होंने आगे लिखा कि पुलिस का उस महिला से व्यवहार देखिए जो उन्नाव में पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराने के लिए गई। और यह तब हुआ जब वहां एक दुखद घटना हुई है। उन्नाव में एक महिला की उससे रेप की कोशिश की शिकायत कथित रूप से पुलिस ने दर्ज नहीं करने की। इसके बाद उत्तर प्रदेश कैबिनेट ने सोमवार को महिलाओं और बच्चों के खिलाफ बढ़ते क्राइम के मामलों की तुरंत सुनवाई के लिए 218 फास्ट ट्रैक के गठन का फैसला लिया है।
योगी आदित्यनाथ कैबिनेट ने बलात्कार और बाल यौन शोषण मामलों से निपटने के लिए प्रदेश में 218 फास्ट ट्रैक कोर्ट स्थापित करने का फैसला लिया है। इनमें से 144 अदालतें बलात्कार के मामलों की नियमित रूप से सुनवाई करेंगी जबकि 74 अदालतों में पोक्सो (बच्चों के खिलाफ अपराधों) के मामले सुने जाएंगे।
यूपी के कानून मंत्री बृजेश पाठक ने सोमवार को कैबिनेट की बैठक के बाद मीडिया को बताया कि सीएम योगी आदित्यनाथ ने महिलाओं के साथ हो रहे अपराधों पर चिंता जाहिर की है। उन्होंने बताया कि इन सभी अदालतों के लिए एडिशनल सेशन जज के 218 पद होंगे। साथ ही अदालत कर्मियों के भी पद बनाए जाएंगे।
मंत्री ने बताया कि इन अदालतों के गठन पर होने वाले खर्च का 60% हिस्सा केंद्र सरकार तथा 40% हिस्सा राज्य सरकार उठाएगी। हर नई फास्ट ट्रैक कोर्ट में वेतन और अन्य मदों पर 63 लाख रुपए खर्च होने का अनुमान है। यह कदम योगी आदित्यनाथ सरकार ने तब उठाया जब उन्नाव में बलात्कार का मामला दर्ज होने के एक साल बाद पीड़िता को जिंदा जला दिया गया था। इस प्रदेश में लॉ एंड ऑर्डर को लेकर सरकार की जमकर आलोचना हुई।
उधर उन्नाव रेप और बलात्कार मामले में योगी आदित्यनाथ सरकार ने कर्तव्य की कथित लापरवाही के लिए 7 पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया है। अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) अवनीश अवस्थी के अनुसार, उन्नाव के बिहार पुलिस स्टेशन के एसएचओ अजय कुमार त्रिपाठी और छह अन्य पुलिस कर्मियों को सस्पेंड कर दिया है। कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच रविवार को उसके पैतृक गांव हिंदूपुर में 23 वर्षीय उन्नाव बलात्कार पीड़िता के अंतिम संस्कार कर दिया गया।
मृत बलात्कार की पीड़िता को उसके दादा दादी की समाधि के पास ही दफना दिया गया। उन्नाव बलात्कार पीड़िता को 6 दिसंबर को आरोपी ने पेट्रोल डालकर जला दिया था। जब वह अदालत में सुनवाई के लिए रायबरेली जा रही थी। बलात्कार के आरोपी को 30 नवंबर को जमानत पर रिहा किया गया था। पीड़िता 90% जल गई थी। उसे इलाज के लिए लखनऊ लाया गया था और बाद में उसी शाम को दिल्ली ले जाया गया। शुक्रवार रात को दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में उसने दम तोड़ दिया। यह घटना हैदराबाद की घटना की तुरंत बाद हुई थी। जहां एक युवा डॉक्टर के साथ चार आरोपियों ने बलात्कार के बाद गला दबाकर हत्या के आग लगा दी। सभी आरोपी बाद में एक एनकाउंटर में मारे गए।