- मनीष गुप्ता की मौत मामले में योगी आदित्यनाथ सरकार ने सीबीआई जांच की सिफारिश की।
- पीड़ित परिवार के लिए और 30 लाख रुपए सहायता राशि स्वीकृत की गई।
- पहले 10 लाख रुपए का चेक दिया गया था।
उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में कानपुर के कारोबारी मनीष गुप्ता की मौत मामले में योगी आदित्यनाथ सरकार ने शुक्रवार (1 अक्टूबर) को सीबीआई जांच की सिफारिश की। गौर हो कि गोरखपुर के कृष्णा होटल के मनीष गुप्ता दो दोस्तों के साथ ठहरे हुए थे। उनके कमरे में पुलिस पहुंची। किसी बात पर बहस हुई और फिर पुलिस ने होटल में ही मनीष गुप्ता की काफी पिटाई कर दी जिससे उसकी मौत हो गई। उधर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज पीड़ित परिवार के लिए और 30 लाख रुपए सहायता राशि स्वीकृत की। एक दिन पहले गुरुवार को 10 लाख रुपए का चेक दिया गया था। परिजनों से मिलकर मुख्यमंत्री ने सहायता राशि बढ़ाने का आश्वासन दिया था।
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने गोरखपुर में कारोबारी मनीष गुप्ता की मौत के मामले में आरोपी पुलिसकर्मियों की गिरफ्तारी नहीं होने पर शुक्रवार को उत्तर प्रदेश सरकार को घेरते हुए कहा कि इसके पीछे "वसूली तंत्र" से जुड़े होने की पूरी आशंका है। यादव ने ट्वीट किया कि मनीष गुप्ता हत्याकांड में पुलिसवालों की गिरफ्तारी नहीं होना ये दर्शाता है कि वो फरार नहीं हुए हैं उन्हें फरार कराया गया है। दरअसल कोई आरोपियों को नहीं बल्कि खुद को बचा रहा है क्योंकि इसके तार वसूली-तंत्र से जुड़े होने की पूरी आशंका है। जीरो टालरेंस भी भाजपाई जुमला है।
गौरतलब है कि सोमवार देर रात को गोरखपुर जिले के रामगढ़ ताल इलाके में पुलिस ने एक होटल में तलाशी ली थी। आरोप है कि किसी अन्य व्यक्ति के पहचान पत्र के आधार पर होटल के एक कमरे में रुके तीन व्यवसायियों से पूछताछ के दौरान पुलिस ने उन्हें मारा पीटा था। सिर में चोट लगने से उनमें से 36 वर्ष मनीष गुप्ता नामक कारोबारी की गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में मौत हो गई थी। मामले में आरोपी सभी 6 पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर उन्हें सस्पेंड कर दिया गया है। घटना के वक्त गुप्ता अपने दो दोस्तों के साथ होटल में ठहरे हुए थे।