- उत्तर प्रदेश में विधानसभा की 403 सीटों के लिए अगले साल होंगे चुनाव
- सूत्रों का कहना है कि योगी आदित्यनाथ के चेहरे पर चुनाव लड़ेगी भाजपा
- वाराणसी दौरे के समय प्रधानमंत्री मोदी भी कर चुके हैं योगी की तारीफ
लखनऊ : उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव फरवरी-मार्च महीने में होने हैं। इसके पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने तय कर लिया है कि वह विधानसभा चुनाव मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के चेहरे पर लड़ेगी। विश्वसनीय सूत्रों से टाइम्स नाउ को मिली जानकारी के मुताबिक भाजपा योगी आदित्यनाथ के नाम पर चुनाव लड़ने का मन पूरी तरह से बना चुकी है। हालांकि, पार्टी की तरफ से अभी इस बारे में कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया गया है।
चुनाव में 43.1 प्रतिशत लोग भाजपा का समर्थन कर सकते हैं
पिछले महीने टाइम्स नाउ-सी वोटर के सर्वे में यह बात निकलकर सामने आई कि आगामी विधानसभा चुनाव में 43.1 प्रतिशत लोग भाजपा का समर्थन कर सकते हैं। जबकि समाजवादी पार्टी (सपा) के समर्थन में 29.6 फीसदी लोग सामने आए। सर्वे में शामिल 31.7 प्रतिशत लोगों ने योगी आदित्यनाथ को अच्छा मुख्यमंत्री बताया। 23.4 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वह औसत सीएम हैं। गत मई महीने में भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री (संगठन) बीएल संतोष की लखनऊ यात्रा हुई। इस दौरान उनकी भाजपा के विधायकों, मंत्रियों एवं उप मुख्यमंत्रियों के साथ बैठकें हुईं।
सीएम योगी की तारीफ कर चुके हैं पीएम मोदी
इस दौरान यह भी अटकलें लगीं कि कोविड प्रबंधन को लेकर भाजपा नेताओं का एक धड़ा मुख्यमंत्री आदित्यनाथ से खफा है। राज्य में विस चुनाव के दौरान नेतृत्व परिवर्तन की अटकलें भी लगीं लेकिन इसके बाद सीएम योगी के दिल्ली दौरे और जुलाई में पीएम मोदी के वाराणसी दौरे के बाद नेतृत्व परिवर्तन के सभी अटकलों पर विराम लग गया। पीएम मोदी गत 15 जुलाई को अपनी संसदीय सीट वाराणसी के दौरे पर थे। इस दौरान उन्होंने वहां एक सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने सीएम योगी की जमकर तारीफ की। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह भी स्पष्ट कर चुके हैं कि भाजपा अगला चुनाव सीएम योगी के चेहरे पर लड़ेगी।
2017 में भाजपा ने जीतीं 312 सीटें
उत्तर प्रदेश में विधानसभा की 403 सीटें हैं। 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 312 सीटों पर जीत दर्ज की। भगवा पार्टी इस बार भी अपने इसी प्रदर्शन को दोहराना चाहेगी। हालांकि, इस बार का चुनाव दिलचस्प हो सकता है। आम आदमी पार्टी और सपा के बीच गठबंधन होने की अटकलें हैं। एआईएमआईएम मुखिया असदुद्दीन ओवैसी भी 100 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़ा करेंगे। बसपा एक बार फिर अपने सोशल इंजीनियरिंग के सहारे सत्ता तक पहुंचने की उम्मीद लगाए है जबकि कांग्रेस अपनी खोई हुई राजनीतिक जमीन पाने की जद्दोजहद करती दिख रही है।