मुंबई: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में छात्रों पर नकाबपोशों द्वारा हुए हमले के खिलाफ रविवार रात से मुंबई के गेट-वे ऑफ इंडिया पर इकट्ठा हुए सैकड़ों प्रदर्शनकारियों को आज (मंगलवार) सुबह पुलिस जबरन दो किलोमीटर दूर आजाद मैदान में लेकर गई। बड़ी संख्या में पुलिस आई और पॉपुलर टूरिस्ट साइट से प्रदर्शनकारियों उठाकर ले गई।
पुलिस के एक अधिकारी ने कहा कि जेएनयू हिंसा के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों को मंगलवार सुबह दक्षिण मुंबई में गेट-वे ऑफ इंडिया से निकाला गया क्योंकि सड़कें अवरुद्ध हो रही थीं और पर्यटकों और आम लोगों को परेशानी हो रही थी। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों से शिफ्ट करने की अपील की, लेकिन उन्होंने बात नहीं मानी, इसलिए उन्हें छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस के पास आज़ाद मैदान में स्थानांतरित कर दिया गया।
डिप्टी पुलिस कमिश्नर( जोन 1) संग्रामसिंह निशंदर ने कहा कि जैसा कि प्रदर्शन पर्यटकों के लिए और ट्रैफिक मूवमेंट में समस्या उत्पन्न कर रहा था, हमने प्रदर्शनकारियों से आजाद मैदान में जाने का अनुरोध किया। लेकिन कुछ समूहों ने हमारे बार-बार अनुरोध के बावजूद नहीं सुना, इसलिए हमने उन्हें आजाद मैदान में शिफ्ट कर दिया।
इससे पहले, छात्रों, महिलाओं और वरिष्ठ नागरिकों सहित सैकड़ों लोग - जो रविवार आधी रात से भारत के गेट-वे ऑफ इंडिया पर इकट्ठे हुए थे। जेएनयू हिंसा के पीछे शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग कर रहे थे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के इस्तीफे की मांग कर रहे थे।
हाथों में तंबूरा और गिटार और क्रांति के गीतों के साथ लोगों ने गेटवे ऑफ इंडिया और ताजमहल पैलेस होटल के सामने रात भर जेएनयू के छात्रों पर हमले का विरोध किया।
आईआईटी बॉम्बे, टीआईएसएस के छात्रों, एएसएफआई समेत कई छात्र संगठनों के सदस्यों ने 'हम देखेंगे', 'हम हैं काम्याब' और 'सरफरोशी की तमन्ना' जैसे नारे लगाए। पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ नारे लगाए। प्रदर्शनकारियों ने तिरंगे लहराए और 'कागज नहीं दीखाएंगे' (दस्तावेज नहीं दिखाएंगे) और 'तुम कौन बे' (तुम कौन हो?) जैसे नारे लगाए।
दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में रविवार रात हिंसा भड़क उठी थी, क्योंकि लाठी और डंडों से लैस नकाबपोश लोगों ने छात्रों और शिक्षकों पर हमला किया और परिसर में संपत्ति को नुकसान पहुंचाया। हिंसा में लगभग 34 लोग घायल हुए थे।