- कोविड-19 से संक्रमित 40 साल के एक युवक ने दम तोड़ दिया
- युवक का शव ठेले से अंतिम संस्कार के लिए ले जाया गया
- आरोप है कि उसे न तो वेंटिलेटर बेड मिला, न एंबुलेंस पहुंचा
मुंबई : महाराष्ट्र में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच एक गांव में 40 साल के एक युवक की मौत इलाज के अभाव में हो गई। और तो और, मौत के बाद भी उसके शव को उचित सम्मान नहीं मिला, बल्कि उसके शव को ठेले से ले जाया गया। सरपंच का दावा है कि युवक को न तो अस्पताल में बिस्तर मिला और जब उन्होंने एंबुलेंस के लिए फोन किया तो वह भी नहीं पहुंचा। बाद में ठेले से उसका शव अंत्येष्टि के लिए ले जाया गया।
यह वाकया पुणे से करीब 20 किलोमीटर दूर खानपुर गांव का है। सरपंच निलेश जावलकर के मुताबिक, युवक ने दो दिन पहले ही कोरोना वायरस संक्रमण से दम तोड़ दिया था। युवक और उसके भाई की कोरोना रिपोर्ट चार दिन पहले पॉजिटिव आई थी। दोनों नरहे गांव के एक निजी अस्पताल गए, जहां अस्पताल ने उनसे 40,000 रुपये मांगे। ग्रामीणों ने यह रकम जुटाई। लेकिन बाद में अस्पताल ने वेंटीलेटर बेड नहीं होने की बात कहकर एक रोगी को भर्ती करने से इनकार कर दिया, जबकि उसे सांस लेने में गंभीर समस्या थी।
नहीं पहुंचा एंबुलेंस
सरपंच का कहना है कि युवक के इलाज के लिए जिलापरिषद और स्थानीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के अधिकारियों से भी संपर्क किया गया, लेकिन वेंटिलेटर बेड की व्यवस्था नहीं की जा सकी। इसके बाद वे खानपुर में अपने घर लौट गए। इस बीच जब युवक की हालत बिगड़ी तो स्थानीय प्रशासन से एंबुलेंस के लिए संपर्क किया गया, लेकिन वह भी नहीं पहुंचा और अंतत: इलाज के अभाव में उसने दम तोड़ दिया।
वहीं, जिला परिषद के अधिकारियों का कहना है कि युवक का घर संकरी गली में था और इस वजह से वहां एंबुलेंस नहीं पहुंच सका। उनका यह भी कहना है कि युवक को जब अस्पताल में भर्ती नहीं किया गया तो वह किसी को सूचित किए बगैर ही अपने घर चला गया। शव को ठेले से ले जाए जाने पर अधिकारियों ने सफाई दी कि चूंकि कोविड-19 के मरीजों का शव कंधे पर ले जाने की अनुमति नहीं है, इसलिए इसे ठेले से ले जाया गया। हालांकि मामले में जांच के आदेश दिए गए हैं।