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Maharashtra Students Hostel: मुंबई में 72 छात्रावास का होगा निर्माण, पिछड़े वर्ग के छात्रों को मिलेगा लाभ

Updated Mar 15, 2022 | 14:28 IST

Maharashtra Students Hostel: महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे सरकार जल्द ही 72 छात्रावास का निर्माण करने जा रही है। इन छात्रावास का फायदा पिछड़े वर्ग के छात्रों को मिलेगा। जल्द ही कैबिनेट से मंजूरी के बाद इन छात्रावासों का निर्माण शुरू हो जाएगा।

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महाराष्ट्र में राज्य सरकार 72 नए छात्रावास बनाएगी
मुख्य बातें
  • महाराष्ट्र में राज्य सरकार 72 नए छात्रावास बनाएगी
  • हर जिले में पिछड़े वर्ग के छात्रों के लिए बनेंगे छात्रावास
  • कैबिनेट की मंजूरी के बाद निर्माण कार्य होगा शुरू

Maharashtra Students Hostel: महाराष्ट्र सरकार द्वारा अन्य पिछड़ा वर्ग के छात्रों के लिए राज्य के हर जिले में 72 छात्रावास शुरू किए जाएंगे। सरकार के इन छात्रावासों का प्रस्ताव वित्त विभाग की मंजूरी के बाद कैबिनेट के सामने रखा जाएगा। अन्य पिछड़ा बहुजन कल्याण मंत्री विजय वडेट्टीवार ने एक प्रश्न के जवाब में, राज्य में अन्य पिछड़ा वर्ग के छात्रों के लिए छात्रावास निर्माण के संबंध में जानकारी दी है।

सदस्य समाधान अवताडे द्वारा पूछे गए एक तारांकित प्रश्न का उत्तर देते हुए मंत्री वडेट्टीवार ने कहा कि, केंद्र सरकार की बाबू जगजीवनराम छात्र आवास योजना द्वारा प्रदान की गई, वित्तीय सहायता के साथ ही 3 जनवरी 2019 में इसे लिया गया था। योजनान्तर्गत छात्रावास के लिए उपलब्ध भूमि नागपुर, अहमदनगर, वाशिम एवं यवतमाल जिलों से प्रस्ताव स्वीकृति हेतु केंद्र को भेजे गये थे। 

हजारों छात्रों को लाभ पहुंचेगा
चार को छोड़कर सभी जिलों में जमीन या भवन की उपलब्धता की जानकारी जिला कलेक्टर को दे दी गई है। इस बीच, राज्य सरकार ने 72 छात्रावास बनाने की घोषणा की है और प्रस्ताव की मंजूरी के लिए कैबिनेट को प्रस्तुत किया। इन छात्रावास से प्रदेशभर के हजारों छात्रों को लाभ पहुंचेगा। कैबिनेट की बैठक में महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार इसको पेश करेगी। सभी मंत्रियों की मंजूरी के बाद प्रस्ताव पर मुहर लगेगी। इसके बाद जल्द ही इन छात्रावासों पर काम शुरू हो जाएगा। प्रदेश के हजारों बच्चों को पढ़ाई के लिए किराए पर रहना पड़ता है, जिस कारण उनके ऊपर आर्थिक बोझ पड़ता है। कई बार परिजनों को भी अपने बच्चों के लिए कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

खबर सुनकर अभिभावकों में ख़ुशी 
इस बारे में अभिभावकों का कहना है कि, वे अपनी बेटियों और बेटों के शिक्षा का स्तर बढ़ाने के लिहाज से शहर भेजते हैं, लेकिन उन्हें रहने के लिए सरकारी छात्रावास नहीं मिलता है। उनके पास इतना पैसा नहीं है कि, वह अपने बच्चों के लिए मकान खरीदकर रख सकें, इसलिए वे लोग मजबूरी में बच्चों को किराए के मकानों में रखते हैं। हालांकि यह भी उनको मंहगा पड़ता है। लेकिन जैसा सुनने को मिल रहा है, अगर ऐसा हुआ तो हमारे बच्चों को शहर में रुक कर अब पढ़ाई करने में आसानी होगी। 

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