- मुंबई के निगमों में अब मराठी भाषा में होगा सभी काम
- उच्च अधिकारियों को इंग्लिश, हिंदी बोलने की अनुमति
- महाराष्ट्र विधानसभा में सर्वसम्मति के साथ विधेयक मंजूर
Mumbai Marathi: महाराष्ट्र विधानसभा ने राज्य सरकार द्वारा स्थापित नगर निकायों और निगमों समेत स्थानीय प्राधिकारियों के आधिकारिक कामकाज में मराठी भाषा के इस्तेमाल को अनिवार्य बनाने वाले विधेयक को गुरुवार को सर्वसम्मति से मंजूरी दे दी। राज्य के मंत्री सुभाष देसाई ने कहा कि महाराष्ट्र राजभाषा अधिनियम, 1964 के कारण इस विधेयक को पेश करना आवश्यक था क्योंकि उसमें स्थानीय अधिकारियों के लिए अपने आधिकारिक कार्यों में मराठी का उपयोग करना अनिवार्य नहीं था। राज्य मंत्री सुभाष देसाई ने अधिनियम में प्रावधान की कमी का लाभ लेने वाले अधिकारियों के उदाहरणों का भी हवाला दिया।
महाराष्ट्र के राज्य मंत्री सुभाष देसाई ने कहा कि हमने उस गलती को दूर करने का प्रयास किया है। उन्होंने कहा कि कोई भी (स्थानीय) प्राधिकरण, चाहे वह राज्य सरकार या केंद्र सरकार या (राज्य द्वारा संचालित) निगमों द्वारा स्थापित हो, उसे जनता के साथ संवाद करते समय तथा कार्यों में भी मराठी का उपयोग करना होगा। मंत्री की बातों से साफ जाहिर होता है कि महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे सरकार मराठी भाषा को आगे बढ़ाना चाहती है। दूसरी ओर मंत्री ने यह भी कहा कि विदेशी राजदूतों के साथ संवाद करने जैसे कुछ सरकारी कार्यों के लिए स्थानीय अधिकारियों को अंग्रेजी या हिंदी के उपयोग की अनुमति दी गई है।
बीजेपी विधायक योगेश सागर ने कसा तंज, कहा- मराठी के प्रति प्रेम क्यों उमड़ पड़ा
इससे पहले भारतीय जनता पार्टी के विधायक योगेश सागर ने विधेयक पर तंज कसा। बीजेपी विधायक योगेश सागर ने इस मामले में अपनी बात रखते हुए पूछा कि विधानसभा चुनाव नजदीक आते देख उद्धव ठाकरे सरकार का मराठी के प्रति प्रेम क्यों उमड़ पड़ा है? वह आगामी स्थानीय निकाय चुनावों का जिक्र कर रहे थे, जिसमें बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) चुनाव भी शामिल है। सागर ने विधेयक का समर्थन किया और कहा कि सभी कामकाज मराठी में होने चाहिए।