- उद्धव ठाकरे सरकार के सामने 16 महीने में चार बड़े सवाल
- कोरोना महामारी, सुशांत सिंह राजपूत केस, कंगना रनावत विवाद और एंटीलिया केस का करना पड़ा सामना
- इन चार बड़े मामलों के बाद महाविकास अघाड़ी की सरकार विपक्ष के निशाने पर
मुंबई। राजनीति के बारे में कहा जाता है कि सियासत की पिच पर बैटिंग से बोलिंग करना ज्यादा आसान होता है। दरअसल बोलर अलग अलग अंदाज में बोलिंग करता है और बैट्समैन को जवाब देना पड़ता है। अगर बात महाराष्ट्र करें तो सरकार में आने से पहले वो उद्धव ठाकरे अपने ही गठबंधन से सवाल किया करते थे। लेकिन उनके 16 महीने के कार्यकाल में चार ऐसे बड़े सवाल सामने आए जिससे उन्हें दो चार होना पड़ा। अगर सवालों की फेहरिश्त की बात करें तो वो लिस्ट बहुत लंबी है। लेकिन चार ऐसे सवाल जैसे कोरोना, सुशांत, कंगना रनावत औक एंटीलिया हैं जिसे लेकर उन्हें तमाम तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ा।
कोरोना मामले से जुड़े सवाल
28 नवंबर 2019 को उद्धव ठाकरे ने भगवान कपड़े में मराठी भाषा में शपथ ली थी। शपथ से पहले उन्हें उठापठक के दौर का सामना करना पड़ा तो इस बात का भान नहीं रहा होगा कि सत्ता की मीठी स्वाद की जगह कड़वी स्वाद का सामना करना पड़ेगा। कोरोना वायरस पुरी दुनिया को दहला रहा था तो भारत में सबसे ज्यादा भयावह तस्वीर महाराष्ट्र की थी। विपक्ष उनसे सवाल पूछ रहा था कि आखिर देश के दूसरे राज्यों में जिस तरह से कोरोना से निपटने की तैयारी हुई। उस तरह की व्यवस्था करने में राज्य सरकार नाकाम क्यों रही।
सुशांत सिंह राजपूत का मुद्दा आया सामने
कोरोना महामारी के बीच सुशांत सिंह राजपूत के केस में ना सिर्फ बॉलीवुड दहल गया बल्कि राजनीति में भी उफान आ गया। यह सवाल उठने लगे कि सुशांत सिंह राजपूत और दिशा सालियान का केस राजनीतिक भी है। इसके साथ जब बिहार पुलिस की तरफ से एफआईआर दर्ज की गई तो भी बवाल बढ़ा। उद्धव ठाकरे को कहना पड़ा कि इस मुद्दे पर जानबूझकर सियासत की जा रही है।
कंगना रनावत विवाद बनी सुर्खी
सुशांत सिंह राजपूत केस जब खबरों में था तो उस समय महाराष्ट्र सरकार की सबसे मुखर आलोचक के तौर पर कंगना रनावत उभरीं। उन्होंने जब कहा कि मुंबई तो पाक अधिकृत कश्मीर की तरह लगता है तो सियासत गरमा गई। शिवसेना उनके ऊपर हमलावर हुई और उसका असर यह हुआ कि अवैध अतिक्रमण का हवाला देते हुए उनके ऑफिस को गिरा दिया गया। विवाद का यह सफर आज भी जारी है। गाहे बेगाहे कंगना रनावत शिवसेना सरकार के कार्यप्रणाली पर निशाना साधती रहती हैं।
एंटीलिया केस चर्चा में
इस समय एंटीलिया केस की वजह से उद्धव ठाकरे सरकार चर्चा में है। इस केस में जो जानकारी अब तक सामने आई है उसके मुताबिक विपक्ष का कहना है कि उद्धव ठाकरे आरोपियों को बचा रहे हैं। बता दें कि इस केस में क्रिमिनल इंटेलिजेंस यूनिट का एपीआई सचिन वझे एनआईए की गिरफ्त में हैं और उसकी लपट में मुंबई पुलिस के कमिश्नर रहे परमबीर सिंह झुलस चुके हैं। उनका तबादला डीजी होमगार्ड्स पर किया गया है।
इस केस में महाराष्ट्र सरकार में गृहमंत्री अनिल देशमुख ने कहा कि परमबीर सिंह का ट्रांसफर रूटीन ट्रांसफर नहीं है। बल्कि जिस तरह से कुछ गंभीर लापरवाही सामने आई उसके बाद फैसला किया गया। इस मुद्दे पर बीजेपी महाविकास अघाड़ी सरकार पर विशेष तौर पर हमलावर है। बीजेपी का कहना है कि महाराष्ट्र सरकार को परमबीर सिंह की भूमिका के बारे में बताने की जरूरत है।