- नोएडा में प्राइवेट स्कूल में फीस बढ़ोतरी ने बढ़ाई चिंता
- शासन के फैसले से खुश नहीं बच्चों के अभिभावक
- अभिभावकों पहले से ही किताब, कॉपी और ड्रेस के खर्चे में दबे
Noida School Fees: निजी स्कूलों की फीस बढ़ोतरी पर शासन की रोक हटने के बाद अभिभावकों की चिंता बढ़ गई है। महंगाई के बोझ तले दबे अभिभावक शासन के इस फैसले से नाखुश नजर आ रहे हैं। नया शिक्षा सत्र शुरू होने पर बच्चों का दाखिला, स्कूल ड्रेस, पाठ्य सामग्री के रूप में पड़ने वाले अतिरिक्त बोझ को देखकर अभिभावक पहले ही चिंतित थे। वहीं प्राइवेट स्कूलों की फीस में दस प्रतिशत तक की बढ़ोतरी ने उनके चेहरे पर चिंता की लकीरों को और बढ़ा दिया है।
कोरोना के ग्राफ कम होते ही मंहगाई का ग्राफ बढ़ा उसके साथ ही अब शासन द्वारा निजी स्कूलों में 10% फीस बढ़ोतरी होने के कारण अभिभावकों में आक्रोश देखने को मिल रहा है। अभिभावकों का कहना है कि महंगाई के दौर में सैलरी कम है और मंहगाई का ग्राफ तेजी से बढ़ता जा रहा है ।
अभिभावकों को उठाना पड़ा अतिरिक्त बोझ
अभिभावकों का कहना है कि, दो साल से स्कूल बंद थे। ऑनलाइन पढ़ाई के नाम पर स्कूल पूरी फीस वसूल रहे थे। बच्चों को ऑनलाइन कक्षा दिलाने के लिए लैपटाप, मोबाइल फोन के साथ इंटरनेट सुविधा का अतिरिक्त बोझ अभिभावकों को उठाना पड़ा। कई लोगों की नौकरी जाने के बाद वह आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं, जबकि ज्यादातर शिक्षण संस्थानों ने बीते दो सालों में शिक्षकों को भी पूरे वेतन का भुगतान नहीं किया। स्कूल मेंटेनेंस, सुरक्षा, आदि के खर्च में भी स्कूल प्रबंधकों की बचत हुई।
स्कूलों के शुल्क में बढ़ोतरी क्यों?
अभिभावकों का कहना है कि, बीते दो सालों में अतिरिक्त बोझ अभिभावकों पर पड़ा है न कि शिक्षण संस्थानों पर, फिर स्कूलों की शुल्क बढ़ोतरी क्यों? इस बारे में सरकार को सोचना चाहिए और अपने निर्णय पर विचार करना चाहिए, जिससे अभिभावकों को राहत मिल सके। गौर सिटी निवासी अमित शर्मा ने कहा, 'दो साल से कोरोना का दंश झेल रहे हैं। प्राइवेट स्कूलों की फीस बढ़ोतरी गलत फैसला है। नया शिक्षा सत्र होने के बाद बच्चों का दाखिला, पाठ्य सामग्री व स्कूल ड्रेस का प्रबंध करने को लेकर अभिभावक पहले ही टेंशन में हैं।
बच्चों की पढ़ाई हुई प्रभावित
स्प्रिंग मिडोज सोसायटी निवासी विकास कटियार ने कहा, 'महंगाई से लोगों का बजट पहले ही बिगड़ा हुआ है। स्कूल फीस वृद्धि का फैसला बिल्कुल गलत है। दो साल से निजी स्कूल पूरी फीस वसूल रहे थे। जबकि ऑनलाइन पढ़ाई चल रही थी। कोरोना के कारण कई बार बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित हुई।' वहीं एजुकेशन एक्टिविस्ट सुखपाल सिंह तूर ने कहा कि फीस बढ़ने की खबर सुनी तो सबसे पहले ध्यान बजट पर ही गया। अब ज्यादा फीस देनी होगी। ज्यादातर स्कूल पहले ही ज्यादा फीस वसूल रहे हैं।