- 2000 मेगावाट का इन्फ्रास्ट्रक्चर होगा तैयार
- पटना में अब लोगों को मिलेगी भरपूर बिजली
- 30 लाख से अधिक लोगों को मिलेगी इसका फायदा
Patna Power Plant: पटना के 30 लाख से अधिक लोगों को पावर कट से निजात देने के लिए पेसू की ओर से तैयारियां चल रही हैं। क्षमता बढ़ाने को 8 नए पावर सब स्टेशनों को बनाने का काम चल रहा हैं। लगातार बिजली सप्लाई के लिए शहर में बिजली की आधारभूत संरचना मजबूत किए जाने से बिजली सप्लाई की क्षमता पहले के मुकाबले अधिक हो गई है। अब इसे और मजबूती मिलेगी। पेसू के इंजीनियरों के मुताबिक, वर्तमान में 1700 मेगावाट बिजली सप्लाई क्षमता है। क्षमता को बढ़ाने के लिए 8 नए पावर स्टेशनों को बनाने का काम चल रहा है।
इसके साथ ही केन्द्र के डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम से नया पीएसएस बनाने के साथ खुले तार को हटा एरियल केबल लगाने, 11 और 33 केवी फीडर को छोटा करने की योजना है। ताकि, ब्रेकडाउन होने इलाके में बिजली बंद हो तो कम समय में फॉल्ट को ठीक करने के बाद सप्लाई चालू की जा सके।
इस गर्मी भी पावरकट से राहत की उम्मीद नहीं
दरअसल, पटना नगर निगम के साथ दानापुर और फुलवारी क्षेत्र का कुछ हिस्सा शामिल है। इन इलाकों में 6.21 लाख उपभोक्ताओं ने 2019 में 697 मेगावाट बिजली की खपत की थी। इस साल मई-जून में खपत 800 मेगावाट पहुंचने की उम्मीद है। अगले पांच साल में 200 से 300 मेगावाट खपत बढ़ने की उम्मीद है। इसको ध्यान में रख दिसंबर तक 2000 मेगावाट विकसित करने का प्लान तैयार किया गया है। हालांकि इस गर्मी भी पावरकट से राहत की उम्मीद नहीं दिख रही।
जानें कहां-कहां बन रहा हैं पावर सब स्टेशन?
वर्तमान में जीआईएस तकनीक पर आधारित एनएमसीएच, जगनपुरा, सिपारा वन और सिपारा टू, आईटीआई दीर्घा में पीएसएस का निर्माण शुरू हुआ है। साथ ही गोलघर, बकरी बाजार, पाटलिपुत्र-पीएसएस बनाया जा रहा है। इन पावर सब स्टेशनों को दिसंबर तक चालू करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके निर्माण के साथ ही पेसू क्षेत्र में पीएसएस की कुल संख्या करीब 75 होगी।
बढ़ने लगी है बिजली की मांग
बता दें कि, तीन साल पहले गर्मी के दौरान पांच सौ मेगावाट तक बिजली की मांग थी। पर इस बार भीषण गर्मी को देखते हुए शहर की बिजली की मांग बढ़ने की संभावना है। पिछले साल गर्मी में शहर में बिजली की मांग करीब 610 मेगावाट तक पहुंची थी। बता दें कि चार से पांच साल पहले तक पेसू की क्षमता महज तीन सौ से साढ़े तीन सौ मेगावाट बिजली सप्लाई की ही थी। उस वक्त पांच सौ मेगावाट बिजली की मांग पहुंचते ही पेसू के फीडर और ट्रांसफार्मर हांफने लगते थे।