- नेशनल जेनरिक डॉक्टयूमेंट रजिस्ट्रेशन सिस्टम होगा शुरू
- आज निबंधन विभाग में होगा कार्यक्रम
- मद्य निषेध उत्पाद एवं निबंधन मंत्री करेंगे उद्घाटन
निबंधन विभाग के कार्यक्रम में ऑनलाइन डीएम और निबंधन अधिकारी भी जुड़ेंगे। केंद्र सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा यह सॉफ्टवेयर विकसित किया गया है। इसका उद्देश्य एक देश-एक निबंधन के तहत किया गया है। बिहार इसको लागू करने वाला 12वां राज्य होगा। इससे सभी विभागों को जमीन की खरीद-बिक्री की जानकारी मिलेगी। वर्तमान में केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों को जमीन की होने वाली खरीद-बिक्री की ऑफलाइन जानकारी निबंधन विभाग की ओर से उपलब्ध कराई जाती है। वर्तमान में सूबे के अलग-अलग जिलों में जमीन का वर्गीकरण अलग-अलग है। बेतिया सहित कई जिलों में 47 श्रेणी में निबंधन हो रहा है।
जमीन का निबंधन एनजीडीआरएस सॉफ्टवेयर पर शुरू होने पर खरीद-बिक्री में पारदर्शिता आएगी। लोग खुद खरीद-बिक्री करने वाले डॉक्यूमेंट ऑनलाइन तैयार कर सकेंगे। सारा रिकॉर्ड ऑनलाइन रहेगा। पहले चरण में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में पटना के बिक्रम समेत 9 जिलों के एक-एक निबंधन कार्यालयों में सॉफ्टवेयर को लागू किया जाएगा। इसके बाद ऑनलाइन रिकॉर्ड शामिल करने साथ अन्य कार्यालयों में लागू किया जाएगा।
विभाग के 11 नए कार्यालय खोले जा रहे हैं
मंत्री ने बताया कि, निबंधन विभाग के 11 नए कार्यालय खोले जा रहे हैं। कहा कि, दस्तावेजों का डिजिटाइजेशन करा रहे हैं। इससे लोग देख सकेंगे पुराने समय में दस्तावेज कैसे होते थे। विभाग ने स्थल निरीक्षण जमीन निबंधन में गड़बड़ी पर रोक लगाने के लिए शुरू करा रहे हैं।
रजिस्ट्री के दिन ही मिलेंगे सभी पेपर
लोगों को अब रजिस्ट्री से जुड़े कागजात के लिए इंतजार नहीं करना पड़ेगा। रजिस्ट्री के दिन ही सभी कागजात मिले जाएंगे। अब लोक सेवा गारंटी कानून यानी आरटीपीएस काउंटर पर भी आवेदकों को नहीं जाना पड़ेगा। फिलहाल रजिस्ट्री करवाने के पांच दिन तक कागजात के लिए इंतजार करना पड़ता है। इस बारे में मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने इसके लिए सभी प्रमंडल और जिला अवर निबंधकों को निर्देश जारी कर दिया है। उन्होंने कहा कि, आरटीपीएस की व्यवस्था मुख्यत: उन लोगों के लिए है, जिनके कागजातों में कोई भी समस्या नहीं हो। मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग ने अन्य फैसले में निबंधन कार्यालयों में दस्तावेज नवीसों के लिए शेड बनाने की बाध्यता को खत्म कर दिया है। इससे संबंधित 40 साल पुराने संकल्प को भी रद्द कर दिया है।