- रिटर्निंग ऑफिसर चुनाव आयोग और उचित प्राधिकारी को परिणाम बताता है
- काउंटिंग के दौरान सुरक्षा चाक चौबंद होती है
- मतगणना केंद्र के अंदर सुरक्षा की जिम्मेदारी केंद्रीय सुरक्षा बलों की होती है और बाहर राज्य पुलिस की
नई दिल्ली: बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के आज नतीजे आने है। दोपहर तक यह साफ हो जाएगा कि नीतीश कुमार सत्ता में बने रहते हैं या फिर बाहर होंगे। भारत में चुनाव का आयोजन एक व्यापक प्रक्रिया है जिसमें मतदान से पहले और मतदान से लेकर काउंटिंग तक बड़े पैमाने पर चुनाव आयोग तैयारियां कराता है।
मतदान से लेकर मतगणना एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके तहत कई चीजों की व्यवस्था और संचालन होता है। एक एक मतों को सहेजकर रखा जाता है और काउंटिंग के दिन उनकी गणना की जाती है। यहां हम जानेंगे कि हमारे यहां वोटों की गिनती किस प्रकार होती है।
रिटर्निंग ऑफिसर की देखरेख मे काउंटिंग
भारतीय कानूनों के मुताबिक उम्मीदवारों और उनके एजेंटों की मौजूदगी में वोटों की गिनती निर्वाचन क्षेत्र के रिटर्निंग ऑफिसर की देखरेख में की जाती है। गणना यानी काउंटिंग एक से ज्यादा जगहों पर और एक ही स्थान पर एक से अधिक टेबल पर की जा सकती है। 14 काउंटिंग टेबल बनाए जाते है। एक बार में ज्यादा से ज्यादा 14 EVM की गिनती की जाती है।
हर उम्मीदवार अपनी पार्टी की तरफ से हितों की देखभाल करने और निगरानी रखने के लिए काउंटिंग एजेंट नियुक्त करता है। गौर हो कि चुनाव आयोग द्वारा तैनात पर्यवेक्षकों के अलावा किसी और को मतगणना केंद्र के अंदर मोबाइल फोन इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं होती है। मतगणना केंद्र के अंदर सुरक्षा की जिम्मेदारी केंद्रीय सुरक्षा बलों की होती है और बाहर राज्य पुलिस की।
काउंटिंग की प्रक्रिया के जरूरी जरूरी पहलू
- सिर्फ रिटर्निंग ऑफिसर, अपने संबंधित चुनाव एजेंटों के साथ उम्मीदवार, काउंटिंग एजेंट, ड्यूटी पर सरकारी कर्मचारी और अधिकृत चुनाव आयोग के एजेंटों को आसपास के इलाकों में अनुमति दी जाती है जहां मतों की गणना हो रही होती है।
- गिनती यानी काउंटिंग शुरू होने से पहले इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (EVM) की जांच काउंटिंग स्टाफ और एजेंटों द्वारा की जाती है।
- सबसे पहले डाक मतपत्रों की गिनती की जाती है।
- इसके 30 मिनट के बाद ईवीएम वोटों की गिनती शुरू होती है।
- हर राउंड के बाद RO यानी रिटर्निंग ऑफिसर दो मिनट तक रुकता है, जिस दौरान उम्मीदवार या चुनाव एजेंट री-काउंट के लिए कह सकता है। रिटर्निंग ऑफिसर इस बात का फैसला लेता है कि अनुरोध मान्य है या नहीं और उसके मुताबिक काम करता है।
- सभी विरोधों को दूर करने के बाद आरओ पर्यवेक्षकों की मंजूरी मांगता है और नतीजों की घोषणा करता है।
- रिटर्निंग ऑफिसर चुनाव आयोग और उचित प्राधिकारी को परिणाम बताता है।
- काउंटिंग सुबह 8 बजे शुरू होती है और जब तक पूरी नहीं हो जाती ये प्रक्रिया चलती रहती है।
- चुनाव अधिकारी जब पूरी तरह आश्वस्त हो जाते हैं कि वोटों की गिनती सफलतापूर्वक हो गई है तब नतीजों का ऐलान किया जाता है।
- किसी प्रत्याशी को लगता हो कि गिनती में कोई कमी रह गई हो तो वह इस दो मिनट के अंदर आपत्ति जता सकता है और दोबारा गिनती की मांग कर सकता है।
- इस पर चुनाव अधिकारी फैसला लेता है कि दोबारा गिनती की मांग जायज है या नहीं।
काउंटिंग बूथों पर ये नियम भी लागू होते हैं:
- काउंटिंग हॉल के अंदर मोबाइल फोन ले जाने की बिल्कुल मनाही होती है।
- सामान्य पर्यवेक्षकों के अलावा,हर काउंटिंग टेबल पर एक माइक्रो पर्यवेक्षक भी नियुक्त होता है।
- ईवीएम को बेहद सुरक्षित ढंग से स्ट्रॉन्ग रूम से काउंटिंग बूथ पर लाया जाता है।
- जहां वोटों की गिनती होती है वहां और आसपास तीन-स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था होती है।
- भीड़ को नियंत्रित करने और प्रवेश को नियंत्रित करने के लिए प्रवेश द्वार पर एक वरिष्ठ मजिस्ट्रेट को तैनात होता है।
- काउंटिंग बूथ या परिसर के आसपास 100 मीटर क्षेत्र के दायरे के भीतर किसी भी वाहन की अनुमति नहीं होती है।
- काउंटिंग सेटर्स के अंदर केंद्रीय बलों को तैनात किया जाता है।
- बाहरी सर्कल में स्थानीय पुलिस की तैनाती होती है।