नई दिल्ली: बिहार के 2015 विधानसभा चुनावों में खराब प्रदर्शन करने वाली वामपंथी पार्टियां इन चुनावों में अच्छा कर रही हैं और 18 सीटों पर आगे चल रही हैं। इस साल महागठबंधन में वाम दलों को 29 सीटें मिलीं, जिसमें से सीपीआई (एम-एल) ने 19 सीटों पर चुनाव लड़ा और सीपीआई और सीपीएम ने क्रमश: छह और चार सीटों पर चुनाव लड़ा। पिछले विधानसभा चुनाव में इन तीनों दलों में से सिर्फ भाकपा (माले) को तीन सीटें मिली थीं। साल 2010 में भाकपा सिर्फ एक सीट जीती थी।
निर्वाचन आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) 3 सीटों पर, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) 3 सीटों पर और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माले) 12 सीटों पर आगे चल रही हैं।
भाकपा (माले) के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा, 'हमारी बढ़त उम्मीद के मुताबिक हैं तथा हम तीन और सीटों की आशा कर रहे हैं। यह अलग तरह का चुनाव था। एक तरह से जनांदोलन था। हमने नौजवानों, छात्र नेताओं, किसानों के लिए संघर्ष करने वाले नेताओं को उम्मीदवार बनाया। ऐसा सफल होता दिख रहा है।'
वाम दलों के इस प्रदर्शन के बावजूद महाठबंधन को बहुत ज्यादा लाभ होता नहीं दिख रहा है। महागठबंधन 110 सीटों पर आगे है, जो कि बहुमत से कम है। आरजेडी 72 सीटों पर आगे है, कांग्रेस सिर्फ 20 सीटों पर आगे है, जो कि 50 सीटों पर चुनाव लड़ी थी।