- ओवैसी के पांच विधायकों ने की CM नीतीश कुमार से मुलाकात, JDU में शामिल होने की अटकलें हुईं तेज
- बसपा और एक निर्दलीय विधायक पहले ही थाम चुके हैं जेडीयू का दामन
- चिराग पासवान की पार्टी के एकमात्र विधायक भी कर चुके हैं नीतीश से मुलाकात
पटना: दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन के बीच बिहार की राजनीति करवट लेती दिख रही है और इसकी एक झलक गुरुवार को उस समय देखने को मिली जब असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के पांचों विधायकों ने पटना में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात की। इस मुलाकात के बाद से ही सियासी अटकलें लगनी तेज हो गई हैं। हालांकि इस मुलाकात को शिष्टाचार भेंट कहा जा रहा है लेकिन फिर भी चर्चाओं का बाजार गर्म है।
थामेंगे जेडीयू का दामन?
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ AIMIM के पांचों की मुलाकात के सियासी मायने निकाले जा रहे हैं और कहा ये भी जा रहा है कि पांचों विधायक नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू का दामन थाम सकते हैं। जिन विधायकों ने नीतीश से मुलाका की है उनमें जेडीयू के राज्य इकाई अध्यक्ष और विधायक अख्तरुल ईमान के अलावा अन्य विधायक मोहम्मद इजहार असफी, शाहनवाज आलम, सैयद रुकनुद्दीन और अजहर नईमी शामिल थे। मुख्यमंत्री के साथ इन विधायकों की क्या बात इसकी ज्यादा डिटेल्स सामने नहीं आ सकी है लेकिन कहा जा रहा है कि इन विधायकों ने सीमांचल के विकास को लेकर सीएम से मुलाकत की है जहां से ये जीतकर आए हैं।
AIMIM ने खारिज की अटकलें
हालांकि AIMIM ने ऐसी अटकलों को खारिज करते हुए ट्वीट कर कहा, 'सीमांचल में विकास की गति को तेज़ करने के लिए, मजलिस के सारे विधायक सरगर्म हैं। सीमांचल में सैलाब के रोकथाम, नदी कटाओ ख़त्म करने और नए-पुराने पुलों के निर्माण की मांग को लेकर AIMIM बिहार प्रदेश अध्यक्ष की अगुवाई में सभी विधायकों ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाक़ात की।'
बसपा विधायक भी हो चुके हैं जेडीयू में शामिल
आपको बता दें कि इससे पहले बसपा के एकमात्र विधायक जामा खान भी नीतीश की जेडीयू में शामिल हो चुके हैं, इतना ही नहीं निर्दलीय विधायक सुमित सिंह भी जेडीयू में शामिल हो चुके हैं। वहीं चिराग पासवान की लोकजनशक्ति पार्टी के मटिहानी क्षेत्र से विधायक राज कुमार सिंह भी नीतीश से मिल चुके हैं तो ऐसे में अटकलों का बाजार गर्म है।
चुनाव में जेडीयू को मिली थी 43 सीटें
आपको बता दें कि पिछले साल बिहार चुनाव में नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू का प्रदर्शन निराशाजनक रहा था और महज 43 सीटें ही पार्टी जीत सकी थी। वहीं बीजेपी ने इस बार 70 का आंकड़ा पार कर लिया और वह सीटों के मामले में सरकार में बड़े भाई की भूमिका में नजर आई। ऐसे में आने वाले दिनों में नीतीश अन्य दलों के विधायकों को अपने कुनबे में शामिल कर लें तो इसमें कोई आश्चर्य नहीं होगा।