- नीतीश कुमार के 15 वर्षों के शासनकाल में तरक्की के रास्ते पर अग्रसर हुआ बिहार
- मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विकास के साथ सामाजिक न्याय को नीतियों में किया शामिल
- समाज के समग्र एवं चौमुखी विकास के लिए कई कल्याणकारी योजनाओं की हुई शुरुआत
पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार तरक्की की राह पर अग्रसर हुआ है। देश के पिछड़े राज्यों में शुमार बिहार में विगत वर्षों में सामाजिक, आर्थिक विकास सहित सभी मोर्चों पर सकारात्मक बदलाव देखा गया है। राज्य की नीतीश सरकार ने शिक्षा, स्वास्थ्य में सुधार के लिए कई कल्याणकारी योजनाओं की शुरुआत की है और रोजगार के नए अवसर जुटाए हैं। इन योजनाओं एवं कार्यक्रमों का असर एवं लाभ समाज के निचले तबके से लेकर समाज के सभी वर्गों तक पहुंचा है। मुख्यमंत्री नीतीश की नीति विकास के साथ-साथ सामाजिक न्याय देने की रही है। वह अपने उद्देश्यों में सफल भी होते दिखे हैं। पिछले 15 वर्षों से राज्य को विकास के पथ पर आगे बढ़ते हुए नीतीश ने अपने विकास के रोडमैप को और विस्तार दिया है। उनकी नीति एवं नीयत बिहार को देश के अग्रणी राज्यों में शुमार करने की है। साल 2005 में राज्य की कमान अपने हाथों में लेने वाले मुख्यमंत्री नीतीश ने अपने तीन बार के कार्यकाल में प्रदेश को एक नई ऊंचाई और उसे एक अलग पहचान दी है। आइए जानते हैं विकास के पथ प्रदेश को आगे बढ़ाने वाले मुख्य योजनाओं एवं कार्यक्रमों के बारे में-
नीतीश सरकार का मानना है कि राज्य में विकास न्याय के साथ होना चाहिए। राज्य सरकार की प्रमुखता में प्रदेश का चौमुखी विकास है। किसी तरह के भेदभाव के बिना राज्य में कानून का शासन स्थापित हुआ है। पिछले 15 साल के शासन में नीतीश कुमार ने सामाजिक एवं साम्प्रदायिक सौहार्द को बनाए रखने में विशेष सफलता पाई है। अपराध, भ्रष्टाचार एवं सांप्रदायिक वैमनस्यता पर रोक लगी है। बिहार सरकार भ्रष्टाचार पर अपने जीरो टॉलरेंस की नीति पर आगे बढ़ी है। विगत वर्षों में भ्रष्टाचार करने वालों के साथ कड़ाई के साथ निपटा गया है। भ्रष्ट सरकारी अधिकारियों, रिश्वतखोर अफसरों एवं पद का दुरुपयोग करने वाले अधिकारियों पर सख्ती के साथ कार्रवाई हुई है।
'सात निश्चयों' से बदल रहा प्रदेश
मुख्यमंत्री नीतीश ने राज्य में विकास की अपनी रफ्तार बढ़ाने के लिए 'सात निश्चय' किए हैं। इन सात निश्चयों को बिना किसी भेदभाव के पूरे राज्य में लागू किया जा रहा है। इन योजनाओं से समाज के सभी वर्ग लाभान्वित हो रहे हैं। 'आरक्षित रोजगार महिलाओं का अधिकार' के तहत सभी सरकारी नौकरियों में 35 प्रतिशत आरक्षण महिलाओं के लिए लागू किया गया है। 'हर घर बिजली निश्चय' योजना के तहत 2018 तक हर घर को बिजली देना सुनिश्चित किया गया। सरकार अपने इस लक्ष्य को दो महीने पहले ही प्राप्त कर लिया। यही नहीं बिजली के पुराने फीडर की जगह नए फीडर स्थापित हुए हैं। 'आर्थिक हल युवाओं का बल' योजना से राज्य के युवा लाभान्वित हो रहे हैं। इस योजना में युवाओं को उच्च शिक्षा के लिए सुविधाएं मिल रही हैं। युवाओं को स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड, सेल्फ हेल्प अलाउंस, कौशल युवा प्रोग्राम से जोड़ा गया है। 319 सरकारी विश्वविद्यालयों एवं कॉलेजों में मुफ्त इंटरनेट सुविधा पहुंचाई गई है। राज्य में युवा उद्यम को बढ़ावा देने के लिए 500 करोड़ रुपए की फंड की व्यवस्था की गई है।
'हर घर नल का जल निश्चय'
'हर घर नल का जल निश्चय' इस योजना के तहत नीतीश सरकार ने राज्य के सभी गांवों एवं शहरों में सप्लाई का पानी पहुंचाने का लक्ष्य रखा है। 'घर तक पक्की गली-नालियां निश्चय' के तहत हर घर को पक्की गलियों एवं नालियों से जोड़ा जा रहा है। 'ग्रामीण टोला संपर्क निश्चय योजना' के तहत राज्य सरकार सभी टोलों को सड़कों से जोड़ रही है। इसके अलावा केंद्र सरकार की योजना स्वच्छ भारत मिशन के जरिए 'शौचालय निर्माण, घर का सम्मान' कार्यक्रम को लागू किया जा रहा है। इस योजना के तहत राज्य को पूरी तरह से खुले में शौच से मुक्त करना है।
शराबबंदी से आई खुशहाली
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का मानना है कि शराब की बिक्री पर रोक लगाकर राज्य में सामाजिक परिवर्तन की नीव रखी गई है। शराबबंदी की वजह से राज्य में खुशहाली आई है। शराब पर प्रतिबंध लागू होने के बाद से समाज पहले से ज्यादा स्वस्थ, मजबूत और खुशहाल हुआ है। शराब की बिक्री पर रोक के बाद से राज्य तरक्की की राह पर तेजी से आगे बढ़ा है। साल 2018 में डब्ल्यूएचओ ने शराब के दुष्प्रभाव पर जारी अपनी एक रिपोर्ट में कहा कि हर साल होने वाली 30 लाख मौतों में से 5.3 फीसदी मौतें शराब के सेवन की वजह से होती हैं और इनमें से 13.5 प्रतिशत लोगों की उम्र 20 से 39 साल के बीच होती है। बताया जाता है कि शराब के सेवन के चलते करीब 200 रोगों के चपेट में आने का खतरा बना रहता है।
वंचितों एवं हाशिए के लोगों का सशक्तिकरण
मुख्यमंत्री की रणनीति एवं सोच बिहार के सभी वर्गों के विकास की रही है। फिर भी वंचितों, गरीबों एवं हाशिये के लोगों के उत्थान के लिए अलग से योजनाएं एवं कार्यक्रम चलाए गए हैं।अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़ी जाति एवं अत्यंत पिछड़ी जाति के लोगों को विकास की मुख्यधारा से जोड़ा गया है। सरकार ने छात्रावास में रहने वाले प्रत्येक छात्र के लिए 1000 रुपए एवं प्रत्येक महीने 15 किलोग्राम मुफ्त राशन देने की योजना शुरू की। सिविल सेवा प्रोत्साहन योजना के तहत सरकार ने बिहार लोक सेवा आयोग की प्रारंभिक परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले अनुसूचित जाति एवं जनजाति के अभ्यर्थियों को 50 हजार रुपए की सहायता एवं संघ लोक सेवा आयोग की प्रारंभिक परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले अभ्यर्थियों को एक लाख रुपए की सहायता राशि देने की पहल शुरू की है।
अल्पसंख्यक समुदायों के लिए कल्याणकारी योजनाएं
राज्य के अल्पसंख्यक वर्गों के लिए नीतीश सरकार की ओर से कल्याणकारी योजनाएं शुरू की गई हैं। राज्य सरकार ने अल्पसंख्यक समाज के उत्थान के लिए स्कॉलरशिप, शिक्षा ऋण, कौशल विकास, कोचिंग आदि विभिन्न योजनाओं की शुरुआत की है। मुख्यमंत्री विद्यार्थी प्रोत्साहन योजना के तहत सरकार मदरसा बोर्ड से प्रथम श्रेणी में पास होने वाले छात्रों को 10 हजार रुपए की राशि प्रदान करती है। मौलवी की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण करने पर प्रोत्साहन राशि 15 हजार रुपए है। इसके अलावा मुस्लिम महिला परित्यक्ता सहायता योजना के तहत मिलने वाली राशि को 10 हजार से बढ़ाकर 25 हजार रुपए कर दिया गया है। राज्य के मदरसा बोर्डों में बुनियादी एवं आधुनिक सुविधाओं को बढ़ाया गया है। जिला स्तर पर वक्फ बोर्ड की जमीन पर बहुद्देश्यीय भवनों का निर्माण किया जा रहा है।
जल जीवन हरियाली अभियान
नीतीश सरकार ने पर्यावरण के प्रति जागरूकता पैदा करने एवं जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों एवं खतरों से निपटने के लिए जल जीवन हरियाली अभियान को मिशन मोड में शुरू किया है। इस योजना के तहत राज्य सरकार करोड़ों की संख्या में पौधारोपण कर चुकी है। राज्य सरकार 19 करोड़ से ज्यादा पौधारोपण कर प्रदेश में ग्रीन कवर एरिया को बढ़ाकर करीब 15 प्रतिशत कर दिया है। मुख्यमंत्री नीतीश कहना है कि पृथ्वी पर जल और हरियाली के रहने पर ही जीवन सुरक्षित रहेगा। गत 19 जनवरी को पांच करोड़ 16 लाख से ज्यादा लोगों ने 18000 किलोमीटर से अधिक मानव श्रृंखला बनाकर रिकॉर्ड कायम किया।
महिला सशक्तिकरण
राज्य में महिलाओं को सामाजिक एवं आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए नीतीश सरकार कई कार्यक्रम चला रही है। राज्य में महिलाओं को इन योजनाओं का लाभ मिला है। 'मुख्यमंत्री कन्या उत्थान' योजना के तहत लड़की के जन्म होने पर 2000 रुपए की सहायता राशि दी जाती है। इसके अलाव लड़की के एक साल पूरे होने पर 1000 रुपए और उसका टीकाकरण पूरा होने पर 2000 रुपए की राशि दी जाती है। लड़कियों के लिए स्कूल यूनिफॉर्म, सैनिटरी नैपकिन एवं साइकिल के लिए राशि बढ़ा दी गई है। 12वीं कक्षा उत्तीर्ण करने वाली अविवाहित लड़कियों को 10 हजार रुपए और स्नातक करने वाली सभी लड़कियों को 25 हजार रुपए की आर्थिक सहायता नीतीश सरकार दे रही है। सभी सरकारी नौकरियों में महिलाओं के लिए 35 प्रतिशत आरक्षण दिया जा रहा है। जीविका के जरिए 8.50 लाख स्वयं स्वायता समहूों का गठन हुआ है जिसका लाभ एक करोड़ से ज्यादा परिवारों को मिला है। यही नहीं, बाल विवाह एवं देहज प्रथा के खिलाफ एक राज्य व्यापी अभियान शुरू किया गया है। इस अभियान को लोगों का व्यापक समर्थन मिला है।
बुनियादी ढांचे का विकास
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य में विकास की गति तीव्र करने के लिए प्रदेश की बुनियादी संरचनाओं को मजबूत बनाने एवं राज्य में हर तरफ उसका जाल बिछाने के लिए कई काम किए हैं। राज्य में सड़क निर्माण के साथ-साथ जगह-जगह पर पुल निर्माण का कार्य हुआ है। सरकार की कोशिश है कि प्रदेश के हर कोने से व्यक्ति सड़क मार्ग से पांच घंटे में राजधानी पटना पहुंच जाए। इसे ध्यान में रखते हुए ग्रामीण एवं दुर्गम इलाकों में सड़कें बनाई गई हैं। प्रमुख शहरों को जोड़ते हुए राजमार्गों का निर्माण हुआ है। सरकार सड़क, पुल, इमारतें बनाने के साथ-साथ उनके रखरखाव पर भी ध्यान दे रही है।
गुणवत्तापरक शिक्षा की ओर कदम
मानव संसाधन के पूर्ण विकास को ध्यान में रखते हुए नीतीश सरकार ने शिक्षा पर विशेष जोर दिया है। राज्य सरकार का मानना है कि बच्चों को गुणवत्ता परक शिक्षा उपलब्ध कराने से उनकी प्रतिभा में निखार आएगा और इसका लाभ आगे चलकर राज्य एवं देश दोनों को मिलगा। इसे ध्यान में रखते हुए राज्य के सभी पंचायतों में अप्रैल 2020 से एक उच्च सेकेंडरी स्कूल खोलने का लक्ष्य रखा गया। सभी पंचायतों में कक्षा 9 नौ से पढ़ाई शुरू हो गई है। राज्य में इंजीनियरिंग के सात कॉलेज, महिला आईटीआई, पॉलिटेक्निक कॉलेज, जीएनएम इंस्टीट्यूट खोले जा रहे हैं। सब-डिविजन में आईटीआई और एएनएम इंस्टीट्यूट स्थापित हो रहे हैं। इनके अलावा राज्य के सभी मेडिकल कॉलेज में बीएससी नर्सिंग कॉलेज बनाए जा रहे हैं। 5400 बेड्स की क्षमता वाले एक विश्वस्तरीय पीएमसीएच का निर्माण हो रहा है। एनएमसीएच (पटना) में 2500 बेड्स जोड़े जा रहे हैं जबकि एसकेएमसीएच (मुजफ्फरपुर) में बेड्स की क्षमता बढ़ाकर 2500 की जा रही है। अनुराग नारायण मेडिकल कॉलेज अस्पताल की क्षमता बढ़ाकर 1500 बेड्स की हो रही है। सरकार उच्च शिक्षा को गुणवत्ता परक बनाने के लिए कई कदम उठा रही है।
आगे होने हैं ये काम
मुख्यमंत्री नीतीश ने कहा है कि आने वाले दिनों में उनकी सरकार शिक्षा एवं स्वास्थ्य के क्षेत्र में कई अहम कदम उठाने जा रही है। गत 15 अगस्त को उन्होंने गांधी मैदान में कहा कि पंचायत राज संस्थाओं एवं नगर निकाय से जुड़े स्कूलों में नियोजित शिक्षकों के लिए नई सेवा शर्त नियमावली बनाई जा रही है। इन शिक्षकों को अब कर्मचारी भविष्य निधि का लाभ भी दिया जाएगा। साथ ही सबको शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए 33 हजार 916 शिक्षकों का पद सृजित कर दिया गया है जिस पर नियुक्ति की प्रक्रिया शीघ्र शुरू कर दी जाएगी। कृषि संबंधित उद्योगों को मदद देने के लिए अलग से योजना लाई जाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी निबंधित निर्माण कर्मियों को विशेष अनुदान के रूप में दो हजार रुपए दिए जाएंगे। कृषि से संबंधित एवं खाद्य उद्योगों को औद्योगिक प्रोत्साहन नीति के तहत डेढ़ लाख से अतिरिक्त अनुदान देने के लिए अलग से योजना लाई जाएगी। राज्य के उत्कृष्ट खिलाड़ियों को सरकारी नौकरी देने के लिए राष्ट्रीय खेल दिवस के मौके पर 19 अगस्त को 250 से अधिक पदों के लिए विज्ञापन निकाले जाएंगे।
नर्सों एवं चिकित्सकों की होगी नियुक्ति
सीएम नीतीश ने कहा कि विशेष अभियान चलाकर स्वास्थ्य विभाग में अगस्त माह में 5000 नर्सों एवं 4000 से अधिक चिकित्सकों की नियुक्ति की जाएगी। सितंबर माह में 1750 से अधिक लैब तकनीशियन, फार्मासिस्ट, सैनिट्री इंस्पेक्टरों की नियुक्तियां पूर्ण की जाएंगी। विगत कुछ वर्षों में 3350 सहायक प्राध्यापक पदों के विरूद्ध 2775 पदों पर नियुक्ति कर दी गई है, शेष पदों पर नियुक्ति शीघ्र होगी। मुख्यमंत्री ने बताया कि 4000 पदों पर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की तरफ से एक माह के भीतर अधियाचना भेजी जाएगी। सहायक प्राध्यापकों की बहाली के लिए नियमों में आवश्यक परिवतर्न किया जाएगा। कोविड-19 से जो लोग मुक्त हो गए हैं, उनके द्वारा ब्लड प्लाज्मा दान करने पर उन्हें 5000 रुपए का पुरस्कार दिया जाएगा।