- नीतीश के बयान पर भाजपा नेता सुशील मोदी ने लगाई मुहर
- चुनाव नतीजे आने के बाद सीएम नहीं बनना चाहते थे नीतीश
- अरुणाचल प्रदेश में जद-यू के 6 विधायक भाजपा में हुए हैं शामिल
पटना : अरुणाचल प्रदेश में जनता दल यूनाइटेड के छह विधायकों के भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल होने के बाद भाजपा और जद-यू के रिश्ते में कड़वाहट आने लगी है। इस घटना पर जद-यू ने नाराजगी जाहिर की है और बिहार में जद-यू की कमान आरपी सिंह को सौंपे जाने के बाद नए सियासी समीकरण की अटकलें भी लग रही हैं। इस बीच, भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं राज्य के पूर्व डिप्टी सीएम सुशील मोदी ने सोमवार को कहा कि नीतीश कुमार मुख्यमंत्री नहीं बनना चाहते थे लेकिन जद-यू, भाजपा और वीआईपी नेताओं के अनुरोध को स्वीकार करते हुए वह इस पद के लिए राजी हुए।
'चुनाव नतीजे आने के बाद सीएम नहीं बनना चाहते थे नीतीश'
पत्रकारों से बातचीत करते हुए सुशील मोदी ने कहा, 'गत 10 नवंबर को चुनाव नतीजे आने के बाद नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बनने के लिए तैयार नहीं थे। भाजपा और जद-यू के नेताओं ने उनसे कहा कि चुनाव उनके नाम और विजन पर लड़ा गया है और लोगों ने उन्हें चुना है। अंत में नीतीश ने जद-यू, भाजपा और वीआईपी नेताओं के अनुरोध को स्वीकार कर लिया।' भाजपा नेता के मुताबिक जद-यू के नेताओं का कहना है कि अरुणचाल प्रदेश में जो कुछ हुआ है उसका असर राज्य में भाजपा और जद-यू गठबंधन सरकार पर नहीं पड़ेगा। बिहार में नीतीश सरकार पांच साल चलेगी।
नीतीश ने रविवार को दिया बयान
नीतीश कुमार ने रविवार को कहा कि चुनाव नतीजे आने के बाद वह मुख्यमंत्री बनने के लिए तैयार नहीं थे और उन्होंने भाजपा से कहा था कि वह अपना मुख्यमंत्री बना सकती है। नीतीश के इस बयान के एक दिन बाद सुशील मोदी ने यह टिप्पणी की है। रविवार को पटना में आयोजित जेडीयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के दौरान नीतीश ने कहा कि उन्हें मुख्यमंत्री बनने की कोई लालसा नहीं थी। एनडीए गठबंधन जिसे चाहे मुख्यमंत्री बना ले मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है और ना ही मुझे किसी पद का मोह है।
आरपी सिंह को बनाया पार्टी का प्रमुख
इस बैठक में नीतीश कुमार ने एक और बड़ा फैसला किया। नीतीश कुमार जद-यू का अध्यक्ष पद पार्टी नेता रामचंद्र प्रसाद सिंह को सौंप दिया। आरपी सिंह नीतीश के भरोसेमंद एवं करीबी सहयोगी हैं। नवंबर में आए विधानसभा चुनाव के नतीजों में भाजपा-जदयू-वीआईपी-हम गठबंधन को बहुमत मिला। गठबंधन में शामिल भाजपा को सबसे ज्यादा 74 सीटें मिलीं जबकि जद-यू तीसरे स्थान पर खिसक गई। चुनाव में सबसे ज्यादा 75 सीटें राजद को मिलीं।