- डेढ़ दर्जन बुल्डोजरों ने तोड़े अवैध निर्माण
- 20 एकड़ में 70 घर आए कार्रवाई की जद में
- 2 हजार सुरक्षाकर्मी व अधिकारी रहे तैनात
Patna : राजधानी में रविवार को सरकारी जमीनों पर बने अवैध मकानों पर सरकारी पीला पंजा गरजा तो कई बिल्डिग जमीदोंज हो गई। इसे लेकर अतिक्रमणकारियों व प्रशासन के बीच लाठी की जंग भी हुई। जिसमें कई लोग व पुलिस अधिकारी व जवान घायल हो गए। भीड़ का विरोध बढ़ा तो पुलिस ने आंसू गैस के गोले भी दागे। वहीं प्रशासन की तोड़ फोड़ की कार्रवाई के चलते गुस्साई भीड़ ने घरेलु गैस सिलेंडरों में आग लगा धमाकों के जरिए प्रशासन को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया।
दरअसल, पूरा घटनाक्रम रविवार को प्रात: 10 बजे पटना के राजीव नगर व नेपाली नगर सहित दीघा इलाके में राज्य आवास बोर्ड की जमीनों में 20 एकड़ में अवैध तौर पर बने करीब 70 घरों को तोड़ने को लेकर हुआ। इससे पहले रविवार को प्रात: करीब 10 बजे प्रशासनिक अमला करीब 15 जेसीबी मशीनों के साथ मौके पर पहुंचा। जिला प्रशासन की ओर से सुरक्षा को लेकर करीब दो हजार पुलिसकर्मी तैनात किए गए। आपका बता दें कि, जैसे ही भीड़ ने कई स्थानों पर आगजनी की। इस दौरान प्रशासन पूरी तरह मुस्तैद रहा मगर कार्रवाई को रोक कर जेसीबी मशाीनों को पीछे हटाना पड़ा। मामला बढ़ता देख कलेक्टर व एसएसपी मौके पर पहुंचे। कई लोगों को गिरफ्तार किया गया। इसके बाद कार्रवाई दोबारा शुरू की गई।
सिटी एसपी हुए घायल
कथित तौर पर बताया जा रहा है कि, सरकारी जमीनों पर अवैध अतिक्रमण कर बिल्डिग खड़ी करने वालों अतिक्रमणकारियों के खिलाफ राजधानी में सरकार की यह अब तक की सबसे बड़ी कार्यवाही है। प्रशासन के मुताबिक, अवैध भवनों को तोड़ने की कार्रवाई के दौरान भीड़ की ओर से की गई पत्थरबाजी में सिटी एसपी राहुल व कांस्टेबल प्रिया कुमारी सहित कई अधिकारी व जवान घायल हो गए। वहीं पुलिस की ओर से भांजी गई लाठियों से कई आम नागरिक भी घायल हुए हैं। भीड़ को भगाने को लेकर पुलिस ने कई राउंड हवाई फायर भी किए।
प्रशासन का दावा कार्यवाही से पूर्व दिए थे नोटिस
सूचना के बाद कलेक्टर डा. सीएस सिंह व एसएसपी एमजीसिंह ढिल्लो मौके पर पहुंचे। प्रशासन की ओर से राजीव नगर थाने की सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध किए गए। इसके बाद पीले पंजों ने मकानों को दोबारा ढहाना शुरू किया। इधर, जिला प्रशासन ने बताया कि, अतिक्रमणकारियों को एक माह पूर्व नोटिस देकर आगाह किया गया था। वहीं लोगों ने प्रशासन की कार्रवाई पर सवाल खड़े किए हैं। लोगों का कहना है कि, अगर निर्माण अवैध है तो नगर निगम गृह कर क्यों वसूल रहा है ?, बिजली - पानी के कनेक्शन कैसे हो गए ?