- बिहार में 28 अक्टूबर, 3 नवंबर और 7 नवंबर को तीन चरणों में होंगे चुनाव
- मतदान से पहले बिहार में चुनावी माहौल में गरमी
- राजनीतिक दल एक दूसरे पर साध रहे हैं निशाना
पटना। बिहार विधानसभा के पहले चरण के चुनाव में अब महज चार दिन बचे हैं और मतदाताओं तो लुभाने के लिए अलग अलग अंदाज में राजनीतिक दल कवायद कर रहे हैं। कहीं भोजपूरी तो कहीं मगही तो कहीं अंगिका के जरिए दिलों में उतरने की कोशिश की जा रही है। लेकिन इसके साथ बयानों के जरिए यह बताने की कोशिश की जा रही है कि बिहार के लिए किसने क्या किया और राज्य की बेहतरी के लिए कौन बेहतर है।
स्मृति ईरानी ने कसा तंज
केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी कहती हैं, "बिहार के स्वाभिमानी लोग चारा घोटाले में पैसा पाने के लिए ईश्वर से प्रार्थना नहीं करते हैं। देवी लक्ष्मी की प्रार्थना करते हुए, वे पाते हैं कि वह न तो कांग्रेस की 'शपथ' ले कर आती हैं और न ही 'लालटेन' लेकर आती हैं। उन्होंने कहा कि बिहार के विकास के बारे में वो लोग बात कर रहे हैं जिनके ऊपर अनगनित आरोप लगे। जब उनके पास मौका था तो क्या किया बिहार की जनता समझती है।
बिहार में विकास दिखता है
स्मृति ईरानी ने कहा कि अगर नीतीश कुमार के शासन की बात करें तो एक बात साफ है कि राज्य में पिछले 15 वर्षों में जितना विकास हुआ है उसका मुकाबला नहीं किया जा सकता है। यही नहीं अगर पिछले तीन या चार साल की बात करें तो एक बात साफ है कि केंद्र और बिहार में एक समान विचार वाले दलों का राज है और उसका फायदा साफ तौर पर भी देखा जा सकता है। स्मृति ईरानी ने कहा कि अगर तेजस्वी यादव के वादों पर भरोसा किया जाए तो उन्हें बताना चाहिए कि आखिर उतनी रकम का इंतजाम वो कहां से करेंगे। जिस तरह से लालू प्रसाद जी ने अपने राज्य में लोगों को ठगने का काम किया, कुछ वैसे ही तेजस्वी भी कर रहे हैं।