- बिहार में 28 अक्टूबर, 3 नवंबर और 7 नवंबर को तीन चरणों में होंगे चुनाव
- 10 नवंबर को सभी 243 सीटों के आएंगे नतीजे
- पहले चरण के लिए अधिसूचना जारी, एनडीए और महागठबंधन दोनों में सीटों को लेकर सस्पेंस
पटना। बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण के लिए अधिसूचना जारी हो चुकी है। लेकिन एनडीए में सीट शेयरिंग को लेकर पेंच फंसा हुआ है। अगर बात महागठबंधन की करें तो बताया जा रहा है कि कमोबेश सीट को लेकर संशय खत्म हो चुका है और जल्द ही सीटों के बारे में पुख्ता जानकारी सार्वजनिक की जाएगी। आरजेडी जहां 140 से 150 सीटों पर चुनाव में किस्मत आजमाएगी तो कांग्रेस के खाते में 60 से 70 सीटें जा सकती हैं। लेकिन एनडीए में बड़ा पेंच एलजेपी को मिलने वाली सीटों पर हैं।
जेडीयू और बीजेपी में सीट संख्या पर विवाद नहीं
जेडीयू और बीजेपी में 122 और 121 सीटों पर चुनावी रण में उतरने पर समझौता हुआ है, जेडीयू जहां अपने कोटे से जीतनराम मांझी को सीट देगी वहीं बीजेपी को अपने कोटे से एलजेपी को सीट देना है। इस संबंध में चिराग पासवान ने बीजेपी अध्यक्ष जे पी नड्डा से मुलाकात की थी। हालांकि नीतीश कुमार के मुद्दे पर एलजेपी हमलावर है। एलजेपी के एक प्रवक्ता ने नीतीश कुमार के सात निश्चय को भ्रष्टाचार की संज्ञा दी। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार ने जो भी कहा वो आज तक कहां पूरा हुआ।
एलजेपी सीटों को लेकर सहज नहीं
अब सवाल यह है कि अगर एलजेपी की तरफ से इस तरह के बयान आएंगे तो जेडीयू कितने दिन तक इस तरह के आरोपों का सामना करेगी। सवाल यह है कि क्या एनडीए अपने वर्तमान रूप में रहेगा या चिराग पासवान खुद के लिए अलग रास्ता तलाशेंगे। दरअसल चिराग पासवान की चाह थी कि इस चुनाव में सीटों के तौर पर उनकी दावेदारी में इजाफा हो। लेकिन जब जीतन राम मांझी ने पाला बदला तो तस्वीर करीब करीब साफ हो गई कि एलजेपी के खाते में शायद ही उतनी सीट मिले। अगर चिराग पासवान के बयानों को देखें तो वो करीब एक साल पहले से नीतीश कुमार पर निशाना साधते रहे हैं क्योंकि उन्हें भनक लग गई थी कि मांझी अब नीतीश कुमार का दामन थाम सकते हैं और यदि ऐसा होता है उन्हें खामियाजा उठाना पडे़गा।
क्या चिराग मान जाएंगे या बनेंगे विलेन
अगर मोटे तौर पर बीजेपी और जेडीयू के बीच सीट बंटवारे पर नजर डालें तो एक बात साफ है कि जेडीयू ने 122 सीटों के साथ यह दावा कर दिया कि बिहार में गठबंधन का चेहरा नीतीश कुमार हैं इससे निश्चित तौर पर चिराग पासवान को खुद के लिए गढ़ी उम्मीदों पर पानी फिरता नजर आया। चिराग स्वयं को नीतीश कुमार का विकल्प मानते थे। लेकिन बिहार में नीतीश कुमार को बीजेपी ने अपना नेता मान लिया है ऐसे में चिराग पासवान के पास दो ही रास्ते बचते हैं कि या तो वो एनडीए का हिस्सा बने रहें या अलग रास्ता चुनें।