लाइव टीवी

Ranchi Drugs News: रांची की ये हसीनाएं बनी ड्रग्स की सौदागर, जानिए किन शहरों से है इनके खतरनाक कनेक्शन

Updated Jul 27, 2022 | 15:33 IST

Ranchi Drugs News: राजधानी में ड्रग्स का धंधा तेजी से फैल रहा है। नशे के इस कारोबार में युवतियां अहम भूमिका अदा कर रहीं हैं। युवतियां ही ग्राहक तक नशे के सामान की डिलीवरी कर रहीं हैं। इसमें पुलिस को एक सफलता हाथ लगी है। पुलिस ने नशे का सौदा करने वाली दो युवतियां को पकड़ा है।

Loading ...
तस्वीर साभार:&nbspRepresentative Image
रांची में इन जगहों पर हो रही ड्रग्स की बिक्री
मुख्य बातें
  • वाराणसी, सासाराम और ओडिशा से ड्रग्स लाकर शहर में हो रही सप्लाई
  • गिरफ्तार युवतियों ने कहा, उनके पास सासाराम से आता था ड्रग्स
  • ड्रग्स का कोड वर्ड पाउडर है, कोई भी पहले दुकानदार को पाउडर बोलता है, उसके बाद दुकानदार उसे ड्रग्स देता है

Ranchi Drugs News: रांची पुलिस के लिए नई चुनौती शहर में ड्रग़्स के धंधे के जड़ को खत्म करने की है। हाल के वर्षों में शहर में ड्रग्स का धंधा तेजी से पैर पसार रहा है। यहां वाराणसी, बिहार के सासाराम और ओडिशा से ड्रग्स आ रही है। यह जानकारी रांची में ड्रग्स बेचने वाली दो युवतियों ने दी है। पुलिस ने युवतियों को ड्रग्स बेचते हुए दोनों को गिरफ्तार किया है। इनसे पूछताछ की गई तो युवतियों ने बताया कि इनके पास सासाराम से ड्रग्स आता था। 

बताया कि ड्रग्स का कोड वर्ड पाउडर है। कोई भी ड्रग्स लेने जाता है तो दुकानदार को पहले पाउडर कहता है। इसके बाद दुकानदार उसे ड्रग्स देता है। फिलहाल दोनों से पुलिस सख्ती से पूछताछ कर रही है। इन दोनों ने कई अहम जानकारियां पुलिस को दी है। 

ओडिशा से आने वाला ड्रग्स महंगा

गिरफ्तार युवतियों के मुताबिक सासाराम और वाराणसी से आने वाला ड्रग्स 300 रुपए प्रति ग्राम मिलता है। वहीं, ओडिशा से आने वाले ड्रग्स की कीमत प्रति ग्राम 500 रुपए है। पुलिस ने बताया कि गिफ्तार युवतियों का नाम शिवानी और प्रिया है। इन्होंने बताया है कि यह दोनों मॉल और कॉलेज के पास जाकर युवक-युवतियों को अपना टारगेट बनाती थीं। अधिकतर हॉस्टल में रहने वाली लड़कियों को यह लोग फंसाते थे। यह लड़कियों को चार-पांच पुड़िया देती थी। 

तस्करी की बात छिपाने के लिए चार-पांच पुड़िया ही देती थी

गिरफ्तार प्रिया ने पुलिस को बताया कि हॉस्टल की लड़कियों को चार से पांच पुड़िया ही ड्रग्स इसलिए दिया जाता था कि पकड़े जाने पर वह यह कह सकें कि इस्तेमाल के लिए खरीदी थी। ऐसे में ड्रग्स की तस्करी की बात छिप जाएगी। वैसे लड़कों की जानकारी लेती थी, जिनके पास ज्यादा पैसे रहते हों। उन्हें चिह्नित कर दो से तीन पुड़िया दी जाती थी। 

यह है तस्करी का तरीका

पुलिस ने बताया कि ड्रग्स की तस्करी बस, ट्रेन और निजी वाहनों का सहारा लिया जाता था। बस स्टैंड के आसपास के छोटे दुकानदारों को ड्रग्स सप्लाई की जाती हैं। यह दुकानदार उसे बेचने के बाद पैसे देते हैं। बता दें पुलिस ने कई बार निजी वाहनों से ड्रग्स लिए युवकों को पकड़ा है। इसके अतिरिक्त शहर के अलग-अलग बार में भी ड्रग्स तस्कर मौजूद रहते हैं। वहां उन युवक-युवतियों का चयन करते हैं, जिन्हें नशे की जरूरत ज्यादा होती है।