- पंजाब में अग्निपथ रिक्रूटमेंट रैली पर संकट, सेना के अफसर का पंजाब सरकार को पत्र।
- सेना के पत्र में पंजाब प्रशासन की तरफ से असहयोग के चलते मुश्किल है अग्निपथ रैली।
- सहयोग ना मिलने पर पंजाब से बाहर करानी पड़ सकती हैं अग्निपथ रैलियां।
पंजाब में अग्निपथ रिक्रूटमेंट रैली सरकार के असहयोग से संकट में पड़ती दिखाई दे रही है। सेना ने आम आदमी पार्टी की पंजाब सरकार पर अग्निपथ रैली के आयोजन में सहयोग न करने का आरोप लगाते हुए प्रदेश के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर इसकी शिकायत की है। सेना के जोनल रिक्रूटमेंट ऑफिसर (जालंधर) मेजर जनरल एस बिक्रम सिंह ने इस बाबत पंजाब के मुख्य सचिव वीके जंजुआ और रोजगार मामलों के प्रमुख सचिव कुमार राहुल को चिट्ठी लिखी है।
मेजर जनरल शरद बिक्रम सिंह ने पंजाब सरकार को बताया कि जालंधर का स्थानीय प्रशासन भर्ती प्रक्रिया को लेकर सहयोग नहीं कर रहा है, वे राज्य सरकार की तरफ से इस बाबत स्पष्ट निर्देश न होने और फंड की कमी की बात कह रहे हैं।
दरअसल जालंधर के जोनल रिक्रूटमेंट ऑफिस में आने वाले दिनों में अग्निपथ रिक्रूटमेंट रैली आयोजित करने की योजना बनाई है लेकिन उन्हें हजारों अभ्यर्थियों को संभालने के लिए प्रशासन से कोई सहयोग नहीं मिल पा रहा है, इसके लिए सेना ने कई बार पंजाब प्रशासन से मदद मांगी लेकिन स्थानीय प्रशासन ने यह कह कर टाल दिया गया कि सरकार के आला अधिकारियों की तरफ से इस योजना के सफल आयोजन के लिए के लिए उनके पास रिसोर्सेज की कमी है।
ऐसे में जोनल रिक्रूटमेंट ऑफिसर मेजर जनरल बिक्रम सिंह ने चिट्ठी लिखकर पंजाब सरकार को बताया है कि अगर उन्हें प्रशासन से जरूरी सहयोग नहीं मिलता तो पंजाब में अग्निपथ रिक्रूटमेंट की रैलियां स्थगित करनी पड़ेंगी या फिर इन रैलियों को पंजाब से बाहर आयोजित कराना पड़ेगा।
इस पत्र में यह भी लिखा है कि कई बार प्रशासन से अग्निपथ रैली के लिए जरूरी सहयोग की मांग की गई लेकिन बार-बार इसकी अनदेखी के चलते अग्निपथ रैली कराने में अड़चन आ रही है।
पंजाब सरकार की तरफ से अब तक इस चिट्ठी के को लेकर कोई जवाब या प्रतिक्रिया नहीं मिल सकी है, लेकिन सेना ने अपने हेड क्वार्टर में इस बात की जानकारी देते हुए आपत्ति दर्ज करा दी है। दरअसल अग्निपथ रिक्रूटमेंट स्कीम को लेकर देश के अलग-अलग राज्यों में भर्ती रैलियां शुरू हो चुकी हैं, जिनमें युवाओं का उत्साह देखते ही बन रहा है।
रिकॉर्ड संख्या में युवक और युवतियां अग्निवीर बनने के लिए इन रैलियों में शामिल हो रहे हैं, लेकिन पंजाब में रैलियों को आयोजित कराने में प्रशासन के असहयोग की वजह से मुश्किल पैदा हो गई है। ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि क्या केंद्र सरकार की इस योजना को जानबूझकर पंजाब में सहयोग नहीं दिया जा रहा है।