- कोरोना वायरस के कहर को वैज्ञानिक ने सूर्य ग्रहण से जोड़कर देखा
- वैज्ञानिक के अनुसारआगामी सूर्य ग्रहण कोरोना के लिए हो सकता है महत्वपूर्ण साबित
- दुनियाभार में कोरोना वायरस की वजह से अभी तक हो चुकी हैं चार लाख से अधिक मौतें
नई दिल्ली: पूरी दुनिया कोरोना संकट से जूझ रही है और हर कोई ये कामना कर रहा है कि यह वायरस किसी तरह खत्म हो और दुनिया फिर एक बार पहले जैसी हो जाए। लेकिन जिस रफ्तार से मामले बढ़ रहे हैं उससे तो यही लगता है कि अभी कोरोना के मामले थमने वाले नहीं है, खासकर कि भारत में। अभी तक दुनियाभर में करीब 4 लाख लोगों की जान ले चुके इस वायरस से 75 लाख से अधिक लोग संक्रमित हैं। बढ़ते मामलों के बीच चेन्नई के एक वैज्ञानिक ने बड़ा दावा करते हुए कोरोना का कनेक्शन सूर्य गह्रण के साथ बताया है।
साइंटिस्ट ने किया ये दावा
चेन्नई के न्यूक्लियर एंड अर्थ साइंटिस्ट डॉ. केएल सुंदर कृष्णा ने बीते साल 26 दिसंबर को लगे सूर्य ग्रहण को लेकर यह दावा किया है। उनका कहना है कि सूर्यग्रहण के बाद उत्सर्जित विखंडन ऊर्जा की वजह से पहले न्यूट्रॉन के कण के संपर्क के बाद कोरोनो वायरस का कहर बरपा है।
कब खत्म होगा कोरोना?
उन्होंने कहा कि दिसंबर 2019 से कोरोनो वायरस हमारे जीवन को नष्ट करने के लिए आया है। मेरी समझ के अनुसार, 26 दिसंबर के आखिरी सूर्य ग्रहण होने के बाद सौर मंडल में ग्रहों की स्थिति में बदलाव हुआ है, यह उसी की नतीजा है। डॉ. कृष्णा ने कहा कि 21 जून को लगने वाला सूर्य ग्रहण कोरोना के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है जो कोरोना को निष्क्रिय यानि खत्म कर सकता है।
प्राकृतिक उपचार
उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा कि इससे वायरस से घबराने की जरूरत नहीं है। सूर्य की रोशनी और सूर्य ग्रहण इस जानलेवा वायरस के लिए प्राकृतिक उपचार साबित होंगे। डॉ. कृष्णा ने आशंका जताई है कि म्युटेशन प्रोसेस सबसे पहले चीन में शुरू हुई हो, इसलिए यह वायरस सबसे पहले वहां नजर आया है। हालांकि इसके कोई सबूत नहीं है। आपको बता दें कि भारत में कोरोना के मामले लगातार बढ़ रहे हैं और यह 3 लाख 30 हजार के पार पहुंच गए हैं।