- सुशांत सिंह राजपूत भले ही इंजीनियरिंग की पढ़ाई अधूरी छोड़कर अभिनय की दुनिया में आ गए लेकिन विज्ञान से उनका नाता नहीं टूटा
- उनकी ब्रह्मांड के अनसुलझे रहस्यों में बेहद रुचि थी और वो उन्हें समझना चाहते थे
- सितारों का दीदार करने के लिए उन्होंने LX-600 नाम का एडवांस टेलीस्कोप खरीदा था
नई दिल्ली: सुशांत सिंह राजपूत भले ही इंजीनियरिंग छोड़कर अभिनय करने मुंबई चले आए थ लेकिन विज्ञान से उनका लगाव इस वजह से बिलकुल भी कम नहीं हुआ था। उनके अंदर का इंजीनियर उनके अंदर हमेशा जिंदा रहा। लोग भले ही उन्हें देहात के बाद अकेलेपन का शिकार बता रहे हों लेकिन उन्होंने धरती के सितारों के बीच रहते हुए आसमानी सितारों से दोस्ती कर ली थी।
दिल्ली टेक्निकल यूनिवर्सिटी में उन्होंने मेकेनिकल इंजीनियरिंग में दाखिला लिया था। इंजीनियरिंग की पढ़ाई थर्ड ईयर तक करने के बाद वो अपने एक्टिंग के सपने को पूरा करने मुंबई चले आए। उन्हें एस्ट्रो फिजिक्स से बेहद लगाव था। स्कूली दिनों में उन्होंने फिजिक्स ओलंपियार्ड में गोल्ड मेडल जीता था। भले ही बतौर एक्टर उनके कद में इजाफा हुआ लेकिन वो विज्ञान से उनका लगाव कम नहीं हुआ। उन्होंने एस्ट्रोफिजिक्स की विश्व की सर्वोच्च संस्था की सदस्यता भी एक्टिंग से इतर अपने सपनों को पूरा करने के लिए ली थी। इस संस्था का सदस्य बनना बेहद महंगा है।
सुलझाना चाहते थे ब्रह्मांड के रहस्य
उनकी एस्ट्रोफिजिक्स में बेहद रुचि थी। वो ब्रह्मांड के अनसुलझे रहस्यों को समझना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने सबसे एडवांस टेलीस्कोप भी खरीदा था। अपनी बालकनी में लगे टेलीस्कोप से घंटों चांद सितारों को निहारते रहते थे। वो अक्सर सोशल मीडिया पर विज्ञान से जुड़ी पोस्ट साझा करते थे। उन्होंने इन्सटाग्राम पर अपना बायोडेटा भी साइंटिफिक शब्दावली वाला 'फोटॉन इन डबल स्लिट' रखा था। जो कि कई लोगों की समझ से परे था।
खरीदा था एडवांस टेलीस्कोप
सुशांत ने LX-600 नाम का टेलीस्कोप खरीदा था। इसे दुनिया के सबसे एडवांस टेलीस्कोप में से एक माना जाता है। भारत में इसकी कीमत तकरीबन 10 लाख रुपये बताई जाती है। इस टेलीस्कोप की मदद से वो शनि ग्रह के छल्ले तक देख सकते थे। सुशांत के पास थियोरेटिकल फिजिक्स की तकरीबन 125 किताबों का कलेक्शन था। वो ब्लैक होल और वॉर्म होल से जुड़ी थ्योरीज को लेकर काफी पैशनेट रहे थे।
जानना चाहते थे अंतरिक्ष की दुनिया के बारे में
फिल्म चंदा मामा दूर के में एस्ट्रोनॉट की भूमिका अदा करने के लिए वो नासा गए थे। एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि बचपन से उन्हें तारों में और उसके पार की दुनिया में बेहद रुचि है। मैं हमेशा से ये जानना चाहता हूं कि अंतरिक्ष में दुनिया कैसी होगी।'
100 बच्चों को भेजना चाहते थे वर्कशॉप के लिए नासा
सुशांत ने अपने जीवन में जिन 50 इच्छाओं को पूरा करना चाहते थे उसमें कई तो अंतरिक्ष से ही जुड़ी थीं। वो अपने जीवन में बच्चों को अंतरिक्ष के रहस्यों के बारे में सिखाना चाहते थे। सुशांत चाहते थे कि 100 बच्चों को नासा या इसरो में वर्कशॉप अटेंड करने में मदद कर सकें। इसके अलावा वो एक बार फिर नासा की वर्कशॉप अटेंड करना चाहते थे।
देवयानी आकाशगंगा का करना चाहते थे दीदार
जो टेलीस्कोप सुशांत ने अपने लिए खरीदा था उसकी मदद से वो चंद्रमा(मून), मंगल(मार्स), बृहस्पति(ज्यूपिटर) और शनि( सैटर्न) की कक्षा की चार्टिंग एक सप्ताह तक करना चाहते थे। सुशांत एंड्रोमेडा आकाशगंगा या देवयानी आकाशगंगा का ज्यादा पॉवरफुल टेलीस्कोप से दीदार करना चाहते थे। उनका सपना अमेरिका की लीगो ऑब्जरवेटरी जाने का था लेकिन वो जीते जी ऐसा नहीं कर सके।
सुशांत की उनकी चाहत अपने जीवन में डबल स्लिट एक्सपेरीमेंट करने की थी जिसे शायद वो पूरा कर पाए हों। वो मैजिक पार्टिकल की खोज करने वाले शोध केंद्र CERN विजिट करना चाहते थे और उनका ये सपना पूरा हो गया था।