- चंद्रयान-2 मिशन की असफलता पर बनी समिति ने अंतरिक्ष आयोग को सौंपी रिपोर्ट
- विक्रम लैंडर के चांद पर उतरने के दौरान दुर्घटनाग्रस्त होने की प्रमुख वजहों का खुलासा
- चंद्रमा पर उतरते हुए चक्कर खाते हुए सतह से टकराकर क्रैश हुआ था विक्रम
नई दिल्ली: साल 2019 में इसरो का उम्मीदों के साथ चंद्रमा की ओर भेजा गया चंद्रयान 2 मिशन पूरी तरह सफल नहीं हो पाया था। मिशन में ऑर्बिटर ही अपने उद्देश्य तक सफलतापूर्वक पहुंचने में कामयाब रहा था जबकि लैंडर और रोवर की चांद की सतह पर क्रैश लैडिंग हो गई थी। अब इस मिशन के पूरी तरह सफल नहीं होने के पीछे की वजहें सामने आई हैं। इसरो के चंद्रयान 2 मिशन के सफल नहीं होने की वजहों को जानने के लिए बनी विशेषज्ञ समिति ने अंतरिक्ष आयोग को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। एक हिंदी दैनिक की खबर में यह बातें सामने आई हैं।
अंतरिक्ष आयोग को सौंपी गई रिपोर्ट के अनुसार विक्रम लैंडर की क्रैश लैडिंग के पीछे समय पर इसकी गति को नियंत्रित नहीं कर पाना प्रमुख वजह रही। इसी तेज गति की वजह से जब विक्रम को लैडिंग के लिए 50 डिग्री घुमाने की कोशिश की जा रही थी तो यह 410 डिग्री तक घूम गया। 410 डिग्री मतलब लैंडर पूरा एक चक्कर (360 डिग्री) लगाने से भी ज्यादा घूम गया और अनियंत्रित होकर चांद की सतह पर जा गिरा। गति को समय पर ठीक से नियंत्रित नहीं कर पाने की वजह से ऐसा हुआ।
7 सितंबर 2019 को तड़के चांद की कक्षा में रोवर को अपने अंदर लिए आर्बिटर के साथ घूम रहे विक्रम लैंडर को चांद पर उतारने की कोशिश की गई थी। इस दौरान विक्रम लैंडर को चंद्रमा पर उतारने के लिए सतह की ओर आगे बढ़ाया गया। 30 किलोमीटर की ऊंचाई पर जब विक्रम लैंडर ऑर्बिटर से अलग हुआ तो इसकी गति 1680 मीटर प्रति सेंकेंड थी इसके बाद जब तक यह एक किलोमीटर की ऊंचाई तक आया तो इसकी गति 146 मीटर प्रति सेंकेड तक आ गई। लेकिन यह लैडिंग के लिए बहुत ज्यादा थी।
इसी गति पर लैडिंग के लिए विक्रम लैंडर को 50 डिग्री तक घुमाने की जरूरत थी लेकिन जब ऐसा करने की कोशिश की गई तो गति ज्यादा होने की वजह से यह 410 डिग्री घूमकर अनियंत्रित हो गया और सतह से जा टकराया।