- भारत की अंतरिक्ष यात्रा में अब निजी क्षेत्र बनेगा सहयात्री
- भारत में अब निजी कंपनियां भी कर सकेंगी रॉकेट का निर्माण और प्रक्षेपण
- केंद्रीय कैबिनेट ने ग्रहों पर अन्वेषण के मिशन समेत अंतरिक्ष गतिविधियों में निजी क्षेत्र की भागीदारी की अनुमति दे दी है
नई दिल्ली: इसरो प्रमुख के सिवन ने बृहस्पतिवार को कहा कि निजी क्षेत्र को अब रॉकेट एवं उपग्रह बनाने और प्रक्षेपण सेवाएं मुहैया कराने जैसी अंतरिक्ष गतिविधियों की अनुमति दी जाएगी। उन्होंने कहा कि निजी क्षेत्र भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अंतरग्रहीय मिशन का भी हिस्सा बन सकता है।
केंद्रीय कैबिनेट ने ग्रहों पर अन्वेषण के मिशन समेत अंतरिक्ष गतिविधियों में निजी क्षेत्र की भागीदारी को बुधवार को अनुमति दी। हालांकि सिवन ने कहा कि इसरो की गतिविधियां कम नहीं होंगी और वह उन्नत शोध एवं विकास, अंतरग्रहीय और मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशनों समेत अंतरिक्ष आधारित गतिविधियां जारी रखेगा।
अमेरिका की राह पर भारत
निजी क्षेत्र के लिए अंतरिक्ष का रास्ता खोलकर भारत सरकार ने अमेरिका की राह पर चलने की कोशिश की है। जहां हाल ही में स्पेस एक्स कंपनी स्पेश मिशन पर काम कर रही है। नासा के साथ उसने कई प्रोजेक्ट पर काम किया है। हाल ही में स्पेस एक्स द्वारा बनाए गए क्रू ड्रैगन कैप्सूल के जरिए पहली बार किसी इंसान को अंतरिक्ष में अंतरराष्ट्रीय स्पेश स्टेशन तक पहुंचाया गया है। स्पेश एक्स के अलावा भी नासा स्पेस रिसर्च के क्षेत्र में कई निजी कंपनियों के साथ काम कर रहा है। ऐसे में भारत सरकार ने भी निजी क्षेत्र के लिए स्पेस में जाने का रास्ता खोल दिया है।
9 जून को परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष विभाग के केंद्रीय राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा था कि इसरो की क्षमता में इजाफा और सुधार करने के लिए इसरो फैसिलिटीज और अन्य संसाधनों के उपयोग की निजी क्षेत्र को अनुमति दी जाएगी। उन्होंने ये भी कहा था कि भारत की अंतरिक्ष यात्रा में निजी क्षेत्र भी सहयात्री बनेगा। उन्होंने यह कहा था कि भविष्य में होने वाले इसरो के अंतरग्रहीय मिशन के साथ निजी क्षेत्र को भी जोड़ा जाएगा।
(एजेंसी इनपुट के साथ)