- विश्व महिला कुश्ती चैंपियनशिप - ओस्लो (नॉर्वे)
- भारत की अंशु मलिक गोल्ड जीतने से चूकीं, लेकिन सिल्वर मेडल जीतकर जीते करोड़ों दिल
- सरिता मोर ने भी किया कमाल, जीता कांस्य पदक
भारत को कुश्ती में अपनी पहली महिला विश्व चैंपियन के लिए इंतजार करना पड़ेगा क्योंकि गुरुवार को युवा अंशु मलिक को 57 किग्रा विश्व कुश्ती चैंपियनशिप फाइनल में 2016 की ओलंपिक चैंपियन हेलेन लूसी मारोलिस के खिलाफ शिकस्त के साथ रजत पदक से संतोष करना पड़ा जबकि सरिता मोर 59 किग्रा में कांस्य पदक जीतने में सफल रही। सुशील कुमार (2010) भारत के एकमात्र विश्व चैंपियन हैं।
विश्व चैंपियनशिप के फाइनल में जगह बनाने वाली भारत की पहली महिला पहलवान बनी 19 साल की अंशु ने आक्रामक और सकारात्मक शुरुआत की लेकिन अंतत: विरोधी पहलवा ने उन्हें चित्त कर दिया। अंशु पहले पीरियड के बाद 1-0 से आगे थी लेकिन दूसरे पीरियड में हेलेन पूरी तरह हावी रही। हेलेन ने अंशु का हाथ पकड़ा और फिर टेकडाउन मूव के साथ 2-1 की बढ़त बनाई। उन्होंने अंशु के दायें हाथ को नहीं छोड़ा और दो और अंक के साथ 4-1 से आगे हो गई।
गत एशियाई चैंपियन अंशु काफी दर्द में दिख रही थी लेकिन अमेरिकी पहलवान ने अपनी पकड़ कमजोर नहीं होने दी और भारतीय पहलवान को चित्त करके जीत दर्ज की। अंशु को मुकाबले के तुरंत बाद चिकित्सा सहायता लेनी पड़ी और उनकी आंखों में आंसू नजर आ रहे थे। अंशु हालांकि विश्व चैंपियनशिप में रजत पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बन गई हैं।
इससे पहले अलका तोमर (2006), गीता फोगाट (2012), बबिता फोगाट (2012), पूजा ढांडा (2018) और विनेश फोगाट (2019) विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीत चुके हैं। सरिता ने कांस्य पदक के प्ले आफ में स्वीडन की सारा योहाना लिंडबर्ग को 8-2 से हराकर विश्व चैंपियनशिप में पदक के सूखे को खत्म किया।
भारतीय महिला टीम का विश्व चैंपियनशिप में यह सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। भारत के लिए 2012 में फोगाट बहनों ने विश्व चैंपियनशिप में दो कांस्य पदक जीते थे।
सरिता ने स्वीडन की खिलाड़ी के खिलाफ अच्छी शुरुआत करते हुए चार अंक जुटाए और फिर टेकडाउन के साथ दो और अंक हासिल किए। गत एशियाई चैंपियन सरिता पहले पीरियड के बाद 6-0 से आगे थी। उन्होंने दूसरे पीरियड की शुरुआत में बढ़त 8-0 की। अंतिम लम्हों में सरिता ने टेकडाउन से अंक गंवाए लेकिन पर्याप्त बढ़त के कारण आसान जीत दर्ज करने में सफल रही। सरिता का विश्व चैंपियनशिप में यह छठे प्रयास में पहला पदक है।
इससे पहले वह एक बार अंडर 23 विश्व चैंपियनशिप और चार बार सीनियर विश्व चैंपियनशिप में पदक जीतने में नाकाम रही हैं। दिव्या काकरान (72 किग्रा) को सुबह के सत्र में अपने रेपेचेज मुकाबले में शिकस्त झेलनी पड़ी। उन्हें मंगोलिया की दवानासन एंख अमर ने हराया। ग्रीको रोमन पहलवानों ने एक बार फिर निराशाजनक प्रदर्शन किया जो हैरानी भरा नहीं है।
संदीप (55 किग्रा), विकास (72 किग्रा), साजन (77 किग्रा) और हरप्रीत सिंह (82 किग्रा) प्रतियोगिता से बाहर हो गए। सिर्फ साजन एक मुकाबला जीतने में सफल रहे जबकि अन्य तीन पहलवान अपना पहला मुकाबला ही हार गए।