लाइव टीवी

पिता गोपीचंद की राह पर बेटी गायत्री,  त्रीसा जॉली के साथ मिलकर जीता महिला युगल का कांस्य पदक

Updated Aug 08, 2022 | 05:30 IST

पुलेला गोपीचंद की बेटी गायत्री गोपीचंद ने पहली बार राष्ट्रमंडल खेलों में हिस्सा लेते हुए अपनी जोड़ी दार त्रिसा जॉली के साथ कांस्य पदक जीत लिया है। 

Loading ...
तस्वीर साभार:&nbspAP
त्रिसा
मुख्य बातें
  • पुलेला गोपीचंद की बेटी गायत्री ने त्रिसा जॉली के साथ मिलकर बर्मिंघम में जीता महिला युगल का कांस्य
  • कांस्य पदक के मुकाबले में ऑस्ट्रेलियाई जोड़ी को दी सीधे सेटों में मात
  • 19 वर्षीय गायत्री ने पिता की तरह बढ़ाए सफलता की ओर कदम

बर्मिंघम: भारत के पूर्व बैडमिंटन स्टार और जाने माने कोच पुलेला गोपीचंद की बेटी गायत्री अपनी जोड़ीदार त्रिशा जॉली के साथ बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों में महिला युगल का कांस्य पदक जीतने में सफल हुई हैं। 19 वर्षीय गायत्री और त्रिशा ने कांस्य पदक के मुकाबले में विंडी हुआन और यू चेन की ऑस्ट्रेलियाई जोड़ी को सीधे सेटों में 21-15, 21-18 से मात दी। 

सीधे सेटों में दी ऑस्ट्रेलियाई जोड़ी को मात
दोनों ने इस मुकाबले में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया और ऑस्ट्रेलियाई जोड़ी को कोई मौका नहीं दिया। पहला सेट उन्होंने 21-15 से अपने नाम कर लिया। दूसरे सेट में भी दोनों ने शुरुआती बढ़त हासिल कर ली थी लेकिन अंतिम दौर में ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों ने वापसी की पुरजोर कोशिश की और अंतर को कम कर लिया लेकिन गायत्री और त्रिशा ने धैर्य नहीं खोया और दूसरे सेट को 21-18 के अंतर से अपने नाम करके कांस्य पदक पर कब्जा कर लिया। यह भारत का 22वें राष्ट्रमंडल खेलों में 22वां कांस्य पदक रहा। 

पुलेला गोपीचंद ने साल 1998 में जकार्ता में आयोजित राष्ट्रमंडल खेलों में दो पदक अपने नाम किए थे। उन्होंने पुरुषों की टीम स्पर्धा में रजत और पुरुषों की एकल स्पर्धा में कांस्य पदक अपने नाम किया था। 

किंदाबी ने जीता कांस्य, तीन खिलाड़ी फाइनल में पहुंचे
भारत के लिए बैडमिंटन में रविवार को दिन बेहद शानदार रहा। पीवी सिंधू और लक्ष्य सेन ने जहां महिला और पुरुष एकल के फाइनल में प्रवेश किया। वहीं पुरुष युगल में सात्विकसाईराज और चिराग शेट्टी की जोड़ी ने भी फाइनल में प्रवेश किया। एकल स्पर्धा के सेमीफाइनल में हार का सामना करने वाले किदांबी श्रीकांत ने सिंगापुर के जिया हेंग तेह को 21-15, 21-18 के अंतर से मात देकर कांस्य पदक जीता।