- डिएगो माराडोना और उनके विवाद
- करिश्माई फुटबॉल करियर और विवादों भी रहे भरपूर
- 60 की आयु में माराडोना का निधन, 'हैंड ऑफ गॉड' कभी नहीं भूल पाएंगे फैंस
नई दिल्लीः फुटबॉल जगत में कई खिलाड़ी हुए, कुछ आए और चले गए...कुछ आए और जाकर भी सदा के लिए रह गए। ऐसे ही एक खिलाड़ी थे 'गोल्डन बॉय' के नाम से मशहूर अर्जेंटीना के डिएगो माराडोना। फुटबॉल जगत के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों में शुमार माराडोना का बुधवार को 60 की उम्र में निधन हो गया। कुछ दिन पहले ब्रेन सर्जरी करवाकर घर तो लौट आए थे लेकिन धड़कनों ने उसके बाद ज्यादा दिन साथ नहीं दिया। उनके निधन से पूरा खेल जगत शोक में डूब गया है। माराडोना एक दिलचस्प व्यक्तित्व वाले खिलाड़ी थे। उन्होंने जितना नाम अपने करिश्माई खेल से कमाया, उतना ही वो अपने विवादों को लेकर चर्चा में रहे। लेकिन फैंस का प्यार उनको अंत तक मिला।
'भगवान का हाथ'..एक गोल जिसे कोई नहीं भूल पाया
विश्व कप 1986 में इंग्लैंड के खिलाफ क्वार्टर फाइनल में ‘भगवान का हाथ’ वाले गोल के कारण फुटबॉल की किवदंतियों में अपना नाम शुमार कराने वाले माराडोना दो दशक से लंबे अपने करियर में फुटबॉल प्रेमियों की आंखों के तारे रहे । माराडोना ने बरसों बाद स्वीकार किया था कि उन्होंने जान बूझकर गेंद को हाथ लगाया था। उसी मैच में चार मिनट बाद हालांकि उन्होंने ऐसा शानदार गोल दागा था जिसे फीफा ने विश्व कप के इतिहास का महानतम गोल करार दिया।
अर्जेंटीना ने उस जीत को 1982 के युद्ध में ब्रिटेन के हाथों मिली हार का बदला करार दिया था। माराडोना ने 2000 में आई अपनी आत्मकथा ‘आई एम डिएगो’ में लिखा था, ‘वह मैच जीतने की कोशिश से बढ़कर कुछ था । हमने कहा था कि इस मैच का जंग से कोई सरोकार नहीं है लेकिन हमें पता था कि वहां अर्जेंटीनाइयों ने अपनी जानें गंवाई थी। ये हमारा बदला था । हम अपने देश के लिये खेल रहे थे और यह हमसे बड़ा कुछ था।’
ड्रग्स के साथ लंबा नाता
डिएगो माराडोना जितना अपने खेल को लेकर प्रसिद्ध हुए, उतना ही वो अपने विवादों के लिए भी, ऐसा ही एक विवाद था जो हमेशा उनके साथ जुड़ा रहा- ड्रग्स। वो कोकीन के आदी हो गए थे। बताया जाता है कि जब वो 1983 में बार्सिलोना की टीम के साथ थे, तभी से उन्होंने इसका सेवन शुरू कर दिया था। जब वो नापोली टीम में पहुंचे तब तक वो ड्रग्स के दलदल में धंस चुके थे और इसका प्रभाव उनके खेल पर भी दिखने लगा था।
शराब की लत
ड्रग्स छोड़ी तो फिर शराब की लत में डूब गए। शराब के दलदल में भी वो उसी तरह धंसे जैसे ड्रग्स के दलदल में। फिर 2007 में अस्पताल के चक्कर काटना शुरू हुआ और फिर 2020 तक ये सिलसिला थमा नहीं। कभी कोई समस्या तो कभी कुछ। पेट में अंदरूनी घाव से लेकर ना जाने कितनी दिक्कतें होती रहीं, मोटापा बढ़ा तो एक समय वजन 130 किलोग्राम तक जा पहुंचा और अंत में ब्रेन सर्जरी कराई लेकिन उसके सफल होने के बाद भी धड़कनों ने साथ छोड़ दिया।
USA से नफरत और विवादित बयान
साल 2005 तक माराडोना राजनीति में भी अपने बयानों के जरिए सक्रिय हो गए थे। अर्जेंटीना में एक आयोजन में उन्होंने खुलकर अमरीकी राष्ट्रपति जॉर्ड डब्ल्यू बुश का विरोध किया था। जबकि एक राष्ट्रीय कार्यक्रम में खुले तौर पर ये तक कह दिया कि अमेरिका से आने वाली हर चीज से वो नफरत करते हैं। उन्होंने ईरान को भी कई मौकों पर अपना समर्थन दिया।
कंगाली और कर्ज
एक खिलाड़ी जिसने फुटबॉल जैसे खेल में खूब शोहरत कमाई, काफी पैसा भी कमाया लेकिन अपनी आदतों के कारण सब उड़ा दिया। मार्च 2009 में इटली के अधिकारियों ने ऐलान किया कि माराडोना पर इटली की सरकार का 37 मिलियन यूरो का कर्ज बकाया है (टैक्स)। बताया जाता है कि वो सिर्फ 42000 यूरो, दो महंगी घड़ियां और एक जोड़ी इयर रिंग ही दे पाए थे।
विवाद रहे लेकिन...
नशे की लत और राष्ट्रीय टीम के साथ नाकामी ने बाद में माराडोना की साख को ठेस पहुंचाई लेकिन फुटबॉल के दीवानों के लिये वह ‘गोल्डन ब्वाय ’ बने रहे। साहसी, तेज तर्रार और हमेशा अनुमान से परे कुछ करने वाले माराडोना के पैरों का जादू पूरी दुनिया ने फुटबॉल के मैदान पर देखा। विरोधी डिफेंस में सेंध लगाकर बायें पैर से गोल करना उनकी खासियत थी। उनके साथ इतालवी क्लब नपोली के लिये खेल चुके सल्वाटोर बागनी ने कहा, ‘वह सब कुछ दिमाग में सोच लेते थे और अपने पैरों से उसे मैदान पर सच कर दिखाते थे।’