- भारत के अंतरराष्ट्रीय खिताब जीतने वाला कैरम चैंपियन हुआ बेहाल
- पहले ऑटो चलाने पर हुआ मजबूर, अब लॉकडाउन में स्थिति और बिगड़ी
- नागपुर का रहने वाला है कैरम चैंपियन
नई दिल्ली: ऑटो चलाकर गुजारा करने वाले कैरम चैम्पियन इरशाद अहमद को कोरोना वायरस के चलते देशव्यापी लॉकडाउन के कारण अपने परिवार का भरण पोषण करने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है चूंकि मार्च के बाद से उनकी कमाई का कोई जरिया नहीं रहा। इरशाद ने पुणे में 2019 दिसंबर में आयोजित अंतरराष्ट्रीय कैरम फेडरेशन कप का खिताब अपने नाम किया था जिसमें 16 देशों के खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया था। इसे कैरम का छोटा विश्व कप भी माना जाता है, जिसमें उन्होंने दो बार के विश्व चैम्पियन मुंबई के प्रशांत मोरे को हराया था।
पहले ऑटो चलाता थाः उनके परिवार में माता पिता, चार भाई, पत्नी और तीन बच्चे हैं। वह और उनका भाई मिलकर ऑटो चलाते थे लेकिन लॉकडाउन के कारण वे घर से बाहर नहीं निकल पा रहे। नागपुर के इस खिलाड़ी ने ‘भाषा’ से फोन पर कहा, ‘‘दिसंबर में यह अंतरराष्ट्रीय फेडरेशन कप हुआ था, तब मेरी नौकरी के बारे में महासंघ के सरंक्षक (गिरीश व्यास) से बात हुई थी जो नागपुर के ही हैं। छह महीने हो चुके हैं, अभी तक कुछ नहीं हुआ। विदर्भ कैरम संघ के महासचिव से भी बात की थी। लेकिन लॉकडाउन के कारण बहुत परेशानी हो रही है इसलिये मैं फिर अपील करना चाहता हूं।’’
दोस्तों की मदद से गुजाराः उन्होंने कहा, ‘‘जमापूंजी लॉकडाउन में खत्म हो गयी। कैरम में मेरे दोस्त विश्व चैम्पियन प्रशांत मोरे, विदेशी खिलाड़ी मोहम्मद आलम और मोहम्मद अली ने कुछ राशि मेरे खाते में डाली जिस पर गुजारा हो रहा है।’'
भारतीय कैरम महासंघ ने क्या कहाः अखिल भारतीय कैरम महासंघ की महासचिव भारती नारायण ने भाषा से कहा, ‘‘विदर्भ कैरम संघ ने हमें उसके बारे में बताया कि वह सरकारी नौकरी चाहता है। दिक्कत यह है कि वह 37 साल का है और वह शिक्षित भी नहीं है। लेकिन हम फिर भी प्रयास कर रहे हैं। हमारे कई चैम्पियनों को नौकरी मिली है, बस दिक्कत यही है कि वह पढ़ा लिखा नहीं है और उसकी उम्र भी ज्यादा है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘महासंघ ने वैसे उनकी मदद करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। वह हाल में अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में चैम्पियन बना था। हम उसके लिये पूरे प्रयास कर रहे हैं।’’ इरशाद ने कहा, ‘‘शिक्षा की बात है तो सरकारी नौकरी में ऐसा तो नहीं है कि यह संभव नहीं है। मैं दसवीं फेल हूं, लेकिन नौकरी में एक साल बिना वेतन के काम कर लूंगा और इसी साल दसवीं पास कर लूंगा। शिक्षा नहीं है, उम्र हो चुकी है, यह कहकर किसी खिलाड़ी को छोड़ नहीं सकते ना। अगर ऐसा ही हाल है तो मुझे कैरम छोड़ने पर मजबूर होना पड़ेगा।’’
नागपुर से पहले भी आ चुका है मामलाः कुछ ही समय पहले नागपुर से ही ऐसा एक और मामला आ चुका है। भारत का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिनिधित्व कर चुकी एथलीट प्राजक्ता गोडबोले गरीबी की जिंदगी जीने पर मजबूर है। लॉकडाउन में हाल ऐसा हो गया कि पड़ोस के लोगों की मदद पर निर्भर है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने खबर आने के बाद उसकी मदद की।