- एमसी मैरीकॉम ने 2021 एशियाई चैंपियनशिप में रविवार को सिल्वर मेडल जीता
- छह बार की विश्व चैंपियन को 51 किग्रा वर्ग में नाजि़म काजैबे ने मात दी
- 38 साल की मैरीकॉम ने एशियाई चैंपियनशिप्स में सातवां मेडल जीता
नई दिल्ली: गत चैम्पियन पूजा रानी (75 किग्रा) ने शानदार जीत से लगातार दूसरा स्वर्ण पदक हासिल किया जबकि छह बार की विश्व चैम्पियन एमसी मैरीकॉम (51 किग्रा) और टूर्नामेंट में पदार्पण कर रही लालबुतसाही (64 किग्रा) को रविवार को यहां एशियाई मुक्केबाजी चैम्पियनशिप के फाइनल में हारने के बाद में रजत पदक से संतोष करना पड़ा।
ओलंपिक के लिये क्वालीफाई कर चुकी पूजा बाई और वॉकओवर मिलने के बाद टूर्नामेंट का पहला मुकाबला खेल रही थीं और उन्होंने अपने शानदार प्रदर्शन के बूते उज्बेकिस्तान की मावुलडा मोवलोनोवा को पराजित किया। एक मुकाबले में स्वर्ण पदक जीतने से उन्हें 10,000 डॉलर की इनामी राशि मिली। उनकी प्रतिद्वंद्वी के बाद उनके तेजी का कोई जवाब नहीं था।
इससे पहले मैरीकॉम महिला 51 किग्रा फाइनल में कजाखस्तान की नाजिम किजाइबे से 2-3 के खंडित फैसले से पराजित हो गयीं। उन्होंने हालांकि टूर्नामेंट का अपना सातवां पदक हासिल किया। इस दिग्गज मुक्केबाज ने एशियाई चैम्पियनशिप में अपना पहला पदक 2003 में जीता था और इस तरह उन्होंने पांच स्वर्ण और दो रजत पदक जीत लिये हैं।
लालबुतसाही को भी कजाखस्तान की प्रतिद्वंद्वी मिलाना साफरोनोवा से यादगार भिड़ंत में 2-3 के विभाजित फैसले में हार झेलनी पड़ी। दोनों मुक्केबाजों को पुरस्कार राशि के तौर पर 5000 डॉलर (लगभग 3.6 लाख रुपये) मिले।
लालबुतसाही को भारतीय टीम में अंत में अनुभवी प्विलाओ बासुमातारी की जगह शामिल किया गया था जिनके पासपोर्ट की समयसीमा समाप्त हो गयी थी। मिजोरम की इस मुक्केबाज ने अपनी प्रतिद्वंद्वी को जवाबी हमलों से थका दिया लेकिन अंतिम दौर में लय गंवा बैठी और उन्हें दूसरे स्थान से संतोष करना पड़ा।
इससे पहले मैरीकॉम ने अपने से 11 साल कम उम्र की मुक्केबाज के खिलाफ ने शानदार शुरूआत करते हुए पहले दौर में तेज तर्रार जवाबी हमलों से अच्छी शुरूआत की। कजाखस्तान की मुक्केबाज ने हालांकि दूसरे दौर में दमदार खेल दिखाया और 38 वर्षीय भारतीय के जबड़े पर सटीक मुक्का लगाने में सफल रही। आखिरी तीन मिनट में मैरीकॉम ने वापसी की लेकिन वह जजों को प्रभावित नहीं कर सकी।
सोमवार को गत चैम्पियन अमित पंघल (52 किग्रा), शिव थापा (64 किग्रा) और संजीत (91 किग्रा) पुरूषों के स्वर्ण पदक मुकाबले खेलेंगे। पंघल फाइनल में रियो ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता और मौजूदा विश्व चैंपियन उज्बेकिस्तान के मुक्केबाज जोइरोव शाखोबिदीन के खिलाफ जबकि असम के मुक्केबाज थापा को एशियाई खेलों के रजत पदक विजेता मंगोलिया के बातरसुख चिनजोरिग से चुनौती मिलेगी।
दूसरे वरीय संजीत का सामना रियो ओलंपिक के रजत पदक विजेता वासिली लेविट से होगा, जो एशियाई चैंपियनशिप के अपने चौथे स्वर्ण पदक का लक्ष्य लेकर रिंग में उतरेंगे।
आठ भारतीय मुक्केबाज सिमरनजीत कौर (60 किग्रा), विकास कृष्ण (69 किग्रा), लवलीना बोरगोहेन (69 किग्रा), जैस्मीन (57 किग्रा), साक्षी चौधरी (64 किग्रा), मोनिका (48 किग्रा), स्वीटी (81 किग्रा) और वरिंदर सिंह (60 किग्रा) को सेमीफाइनल में हार का सामना करना पड़ा था। इन सबने देश के लिए कांस्य पदक के साथ पुरस्कार के तौर पर 2,500 डॉलर हासिल किये है।