- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'मन की बात' में खेलों को लेकर सलाह दी
- ऑनलाइन गेम्स को छोड़कर पारंपरिक खेलों को अपनाने की अपील
- प्रधानमंत्री ने कई खेलों का नाम लेकर उनके बारे में बताया
नई दिल्ली: इन दिनों युवा वर्ग तेजी से ऑनलाइन गेमिंग का शौक पालते जा रहे हैं। घर हो या बाहर, ऑनलाइन गेमिंग की दीवानगी हर जगह देखने को मिल रही है। रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद मोदी जब 'मन की बात' रेडियो कार्यक्रम के जरिए देश को संबोधित करने आए तो उन्होंने भी इस मुद्दे को गंभीरता से उठाया। पीएम मोदी ने ना सिर्फ इस पर प्रकाश डाला बल्कि विकल्प भी बताए। पीएम मोदी ने स्थानीय चीजों को बढ़ावा देने की मुहिम के अंतर्गत रविवार को देशवासियों से ऑनलाइन खेल छोड़कर पारम्परिक घरेलू खेलों को अपनाने की अपील की।
मोदी ने देश के पारम्परिक खेलों की विरासत का जिक्र करते हुए युवाओं को इसे अपनाने और इससे जुड़े स्टार्ट-अप शुरू करने का सुझाव दिया। प्रधानमंत्री ने घर के बुजुर्गों से युवा पीढ़ी को इन खेलों की विरासत को साझा करने का आग्रह किया जिससे वे ऑनलाइन खेलों से मुक्ति पा सके।
ऑनलाइन खेलों से मुक्ति पाने का तरीका
मोदी ने कहा, ‘जब ऑनलाइन पढ़ाई की बात आ रही है, तो सामंजस्य बनाने के लिए, ऑनलाइन खेल से मुक्ति पाने के लिए भी, हमें ऐसा करना ही होगा।’ प्रधानमंत्री ने कहा कि ये युवा पीढ़ी के लिए स्टार्ट अप का अवसर भी प्रदान करेगा जो खेलों को नये और आकर्षक तरीके से पेश कर सकेंगे। इससे ‘वोकल फोर लोकल (स्थानीय चीजों को बढ़ावा देना)’ को बढ़ावा भी मिलेगा।
युवा पीढ़ी के लिए नया अवसर
उन्होंने कहा, ‘‘हमारी युवा पीढ़ी के लिए भी स्टार्ट-अप के लिए यह एक नया अवसर है। हम भारत के पारम्परिक इंडोर खेलों को को नये और आकर्षक रूप में प्रस्तुत करें। उनसे जुड़ी चीजों को जुटाने वाले, आपूर्ति करने वाले, स्टार्ट-अप काफी लोकप्रिय हो जाएँगे। मोदी ने कहा, ‘‘हमें ये भी याद रखना है, हमारे भारतीय खेल भी तो स्थानीय हैं, और हम ‘लोकल’ के लिए ‘वोकल’ होने का प्रण पहले ही ले चुके हैं।’’
इन खेलों को फिर से संवारें
प्रधानमंत्री ने इस संबंध में कुछ स्थानीय खेलों का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा, ‘हमारे देश में पारम्परिक खेलों की बहुत समृद्ध विरासत रही है। जैसे, आपने एक खेल का नाम सुना होगा – पचीसी। यह खेल तमिलनाडु में “पल्लान्गुली”, कर्नाटक में ‘अलि गुलि मणे’ और आन्ध्र प्रदेश में “वामन गुंटलू” के नाम से खेला जाता है। ये एक प्रकार का रणनीतिक खेल है, जिसमें, एक बोर्ड का उपयोग किया जाता है।’
पारंपरिक खेलों में साधनों की जरूरत कम
मोदी ने कहा कि भारत के घरेलू खेलों की यह विशेषता है है कि इसमें बड़े साधनों की जरूरत नहीं होती। उन्होंने लोकप्रिय इंडोर खेल सांप-सीढ़ी का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘आज हर बच्चा सांप-सीढ़ी के खेल के बारे में जानता है। लेकिन, क्या आपको पता है कि यह भी एक भारतीय पारम्परिक खेल का ही रूप है, जिसे मोक्ष पाटम या परमपदम कहा जाता है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ हमारे यहाँ का एक और पारम्परिक गेम रहा है – गुट्टा। बड़े भी गुट्टे खेलते हैं और बच्चे भी - बस, एक ही आकार के पांच छोटे पत्थर उठाए और आप गुट्टे खेलने के लिए तैयार। एक पत्थर हवा में उछालिए और जब तक वो पत्थर हवा में हो आपको जमीन में रखे बाकी पत्थर उठाने होते हैं।’’
मोदी ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान इन खेलों को लोगों को मानसिक परेशानी से उबरने में मदद की। उन्होंने कहा, ‘‘लॉकडाउन के दौरान कई लोगों ने, मुझे, पारम्परिक इंडोर खेल खेलने और पूरे परिवार के साथ उसका आनंद लेने के अनुभव भेजे हैं।’’ चीन के साथ जारी तनातनी को लेकर पूरे देश में चीन के सामान का बहिष्कार करने की गूंज उठी है, ऐसे में भारत में लोगों से स्वदेशी चीजों को ज्यादा महत्व देने की उम्मीद की जा रही है।