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Tokyo Paralympic: शरद कुमार ने बताया कैसे भगवद गीता पढ़ने से पदक जीतने में मदद मिली

Updated Aug 31, 2021 | 21:33 IST

Sharad Kumar on reading Bhagvat Geeta and winning bronze medal in Paralympics| टोक्यो पैरालंपिक्स में भारत के लिए कांस्य पदक जीतने वाले शरद कुमार ने कुछ दिलचस्प खुलासे किए हैं।

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तस्वीर साभार:&nbspTwitter
शरद कुमार ने जीता कांस्य पदक
मुख्य बातें
  • शरद कुमार ने टोक्यो पैरालंपिक में टी42 ऊंची कूद में जीता कांस्य पदक
  • भारतीय खिलाड़ी शरद कुमार ने बताया कैसे भगवद गीता पढ़ने से उनको पदक जीतने में मदद मिली
  • एक समय अपना नाम वापस लेने के बारे में सोच रहे थे शरद कुमार

शरद कुमार घुटने की चोट के कारण पैरालम्पिक टी42 ऊंची कूद फाइनल से नाम वापिस लेने की सोच रहे थे लेकिन भारत में परिवार से बात करने और स्पर्धा से एक रात पहले भगवद गीता पढने से उन्हें चिंताओं से निजात मिली और उन्होंने कांस्य पदक भी जीता। पटना में जन्में 29 वर्ष के शरद को सोमवार को घुटने में चोट लगी थी।

उन्होंने कहा, ‘‘कांस्य पदक जीतकर अच्छा लग रहा है क्योंकि मुझे सोमवार को अभ्यास के दौरान चोट लगी थी । मैं पूरी रात रोता रहा और नाम वापिस लेने की सोच रहा था।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैंने कल रात अपने परिवार से बात की। मेरे पिता ने मुझे भगवद गीता पढने को कहा और यह भी कहा कि जो मैं कर सकता हूं , उस पर ध्यान केंद्रित करूं न कि उस पर जो मेरे वश में नहीं है।’’

पोलियो की नकली खुराक से पैर लकवा मार गया था

दो वर्ष की उम्र में पोलियो की नकली खुराक दिये जाने से शरद के बायें पैर में लकवा मार गया था। उन्होंने कहा ,‘‘ मैने चोट को भुलाकर हर कूद को जंग की तरह लिया । पदक सोने पे सुहागा रहा।’’ दिल्ली के मॉडर्न स्कूल और किरोड़ीमल कॉलेज से से तालीम लेने वाले शरद ने जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी से अंतरराष्ट्रीय संबंधों में मास्टर्स डिग्री ली है।

बारिश में काफी मुश्किल हो गया था

दो बार एशियाई पैरा खेलों में चैम्पियन और विश्व चैम्पियनशिप के रजत पदक विजेता शरद ने कहा, ‘‘बारिश में कूद लगाना काफी मुश्किल था । हम एक ही पैर पर संतुलन बना सकते हैं और दूसरे में स्पाइक्स पहनते हैं । मैं अधिकारियों से बात करने की कोशिश की कि स्पर्धा स्थगित की जानी चाहिये लेकिन अमेरिकी ने दोनों पैरों में स्पाइक्स पहने थे। इसलिये स्पर्धा पूरी कराई गई।’’