- टोक्यो ओलंपिक का रोशनी के फव्वारों के बीच समापन हुआ
- टोक्यो ओलंपिक की क्लोजिंग सेरेमनी में भारत के ध्वजवाहक बजरंग पूनिया बने
- अब अगला ओलंपिक तीन साल बाद पेरिस में आयोजित किया जाएगा
टोक्यो: कोविड-19 वायरस और निकट आ रहे तूफान के बीच असाधारण टोक्यो ओलंपिक खेलों का रविवार को यहां रोशनी के फव्वारों के बीच समापन हो गया, जिसमें उम्मीद और दृढ़ता का अभूतपूर्व प्रदर्शन दिखा। जापान की राजधानी में इतिहास के सबसे विशिष्ट खेलों का समापन शानदार आतिशबाजी के साथ हुआ जिसमें नृत्य, गायन और खुशियां मनाना शामिल रहा। कोविड-19 महामारी के दौरान जान गंवाने वालों को याद करते हुए आगे बढ़ने के संदेश के साथ ओलंपिक ध्वज पेरिस को सौंपा गया, जहां अगले ओलंपिक खेल तीन साल बाद आयोजित किये जायेंगे।
वैश्विक स्वास्थ्य संकट के कारण एक साल देरी, बढ़ती लागत और आयोजन को लेकर स्थानीय लोगों की विभाजित राय के बीच टोक्यो ओलंपिक तमाम चुनौतियों को पार करते हुए समापन समारोह तक पहुंचे। अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति के अध्यक्ष थॉमस बाक ने ओलंपिक खेलों का औपचारिक समापन करने के बाद कहा, 'एथलीट तेजी से आगे बढ़े और मजबूत हुए क्योंकि वे सभी एकजुट होकर खड़े थे। आप लोगों ने हमें खेलों के इस एकीकृत प्रतीक से प्रेरित किया। आपने महामारी में जिन परिस्थितियों का सामना किया, ये खेल इसलिये भी ज्यादा उल्लेखनीय थे।'
बाक के बिना खेलों का आयोजन मुमकिन नहीं हो पाता। उन्होंने कहा, 'महामारी के बाद पहली बार दुनिया एकजुट हुई। लोग भावनाओं से जुड़े थे, वे खुशी और प्रेरणा के पलों को साझा कर रहे थे। इससे हमें उम्मीद मिलती है, यह हमें भविष्य में भरोसा देता है। टोक्यो में ओलंपिक खेल 'उम्मीद, एकजुटता और शांति के ओलंपिक खेल' थे। आप जापानी लोगों ने जो हासिल किया है, उस पर आप बेहद गर्व कर सकते हो। सभी खिलाड़ियों की ओर से हम आपको कहते हैं 'शुक्रिया टोक्यो, शुक्रिया जापान'।'
खिलाड़ियों ने समापन समारोह का लुत्फ उठाया
जापान का ध्वज 68,000 दर्शकों की क्षमता वाले नेशनल स्टेडियम में फहराया गया, जिसमें कोविड-19 महामारी के कारण दर्शकों की कमी थी। इसके बाद दुनिया भर के खिलाड़ियों, गणमान्य व्यक्तियों और अधिकारियों के सामने समारोह शुरू हुआ। खिलाड़ियों ने स्टेडियम में प्रवेश किया और मंच के चारों ओर एक घेरा बनाया। उद्घाटन समारोह में जहां खिलाड़ी 'फॉर्मल' पोशाक पहने थे तो वहीं समापन समारोह उनके लिये लुत्फ उठाने और 'रिलैक्स' होने का मौका था।
काफी बड़ी संख्या में खिलाड़ी पहुंचे और वे अपने मोबाइल फोन से इस क्षण को कैद कर रहे थे। कुछ ध्वज फहरा रहे थे तो कुछ टोक्यो की उमस भरी शाम में पसीना पोछ रहे थे। समापन समारोह की थीम 'वर्ल्ड वी शेयर' थी, जिसमें रौशनी से लेकर संगीत के शो, आतिशबाजियां और स्टंट शामिल थे।
ओलंपिक मशाल बुझाने से पहले पहली बार अगले मेजबान देश का राष्ट्रगान दिखाया गया, जिसे मेजबान शहर में एक फिल्म के तौर पर फिल्माया गया। पहली बार ही समापन समारोह में अगले मेजबान देश से लाइव और शानदार जश्न दिखाया गया, जिसमें पेरिस और फ्रांस 33वें ओलंपिक के मेजबान की भूमिका को अपनाता दिखा। इसमें संगीतकार छह विभिन्न स्थानों से परफोर्म कर रहे थे जिन्होंने पिछले कुछ महीनों में दुनिया के अनुभव को उजागर किया। इसमें संदेश था, 'हम दूर हैं, हम एक साथ होकर एक साथ खेल सकते हैं।'
भारतीय दल के ध्वजवाहक थे बजरंग पूनिया
टोक्यो के गर्वनर यूरिको कोइके ने ओलंपिक ध्वज बाक को सौंपा जिन्होंने इसे पेरिस की मेयर एने हिडाल्गो के सुपुर्द किया। टोक्यो ओलंपिक आयोजन समिति की अध्यक्ष सेको हाशिमोटो ने कहा, 'मैं सभी खिलाड़ियों के प्रति अपना आभार और सम्मान व्यक्त करना चाहूंगी और उन सभी को भी जिन्होंने इन खेलों की तैयारियों के लिये और अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने के लिये इतनी सारी मुश्किलों को पार किया।' बाक ने कीनिया की पेरेस जेपचिरचिर को महिला मैराथन स्पर्धा का स्वर्ण पदक जबकि पुरूष मैराथन का स्वर्ण एलियूड किपचोगे को दिया।
टोक्यो के आसमान में रौशनी का फव्वारा फैल गया और फिर इनसे ओलंपिक रिंग बनी। कोरोना वायरस प्रोटोकॉल के कारण समारोह दर्शकों के बिना किया गया लेकिन आयोजकों ने स्टेडियम के अंदर स्क्रीन लगायी थी जिसमें दुनिया भर के प्रशंसकों के वीडियो दिखाये जा रहे थे। कांस्य पदक विजेता बजरंग पूनिया भारतीय दल के ध्वजवाहक थे और भारत के सबसे बड़े दल ने इतिहास में सबसे ज्यादा पदक हासिल कर खेलों को ‘गुडबॉय’ कहा। समापन समारोह एक वीडियो के साथ शुरू हुआ जिसमें 17 दिन की स्पर्धाओं का सार था।
अमेरिका टॉप पर रहा
अंतिम अध्याय की शुरूआत स्टेडियम में आतिशबाजी से हुई जिसमें आयोजकों ने ‘‘अनगिनत व्यक्तियों के लिए आभार व्यक्त किया’’ जिन्होंने ओलंपिक खेलों को समापन समारोह तक पहुंचाने में मदद की। इसके बाद जापान के क्राउन प्रिंस अकिशिनो और अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति के अध्यक्ष थॉमस बाक आधिकारिक स्टैंड में उपस्थित हुए।
शुरूआती वीडियो में फोकस रिकार्ड और स्कोर पर नहीं बल्कि उन सभी खिलाड़ियों के साहसिक प्रयासों पर था जिन्होंने रोज कोविड-19 जांच करवाते हुए कड़े बायो-बबल में हिस्सा लिया। समारोह का मुख्य संदेश था कि खेल एक उज्जवल भविष्य के दरवाजे खोलेंगे। भारत सात पदक से अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करके निश्चित उज्जवल भविष्य की ओर देख सकता है जिसमें भाला फेंक एथलीट नीरज चोपड़ा ने 13 साल बाद पहला स्वर्ण दिलाया जो खेलों में ट्रैक एवं फील्ड स्पर्धा का देश का पहला पदक भी है। भारत ने इस स्वर्ण के अलावा दो रजत और चार कांस्य पदक भी जीते।
अमेरिका पदक तालिका में 113 पोडियम स्थान से शीर्ष पर रहा, जिसमें 39 स्वर्ण पदक थे जबकि चीन 38 स्वर्ण से 88 पोडियम स्थान से दूसरे स्थान पर रहा। मेजबान जापान 27 स्वर्ण सहित 58 पदकों से तीसरे स्थान पर रहा।